भारत में 2000 साल पुराना है चाय पीने का इतिहास, आज जानिए कुछ बेहतरीन टी−गार्डन के बारे में

By मिताली जैन | Nov 23, 2020

भारत में चाय कई मायनों में महत्वपूर्ण है। दिन की शुरूआत से लेकर मेहमानों की आव−भगत इसी चाय के माध्यम से ही की जाती है। वैसे चाय को भारत में पिछले 2000 सालों से पिया जा रहा है। करीबन 2000 साल पहले बौद्ध भिक्षु चाय की पत्तियों को चबाते थे ताकि वे अपनी तपस्या को आसानी से कर पाएं। इसके बाद 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा पहला चाय का बागान शुरू किया गया। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े चाय उत्पादकों में से एक है और इसकी 70 प्रतिशत से अधिक चाय भारत के भीतर ही पी जाती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको भारत के कुछ बेहतरीन टी−गार्डन के बारे में बता रहे हैं−

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दार्जिलिंग

दार्जिलिंग दुनिया में सबसे बेहतरीन चाय बनाने के लिए जाना जाता है, जिसमें एक अनोखा स्वाद और सुगंध होता है। यह क्षेत्र हिमालय के पास स्थित है। दार्जिलिंग में वर्तमान में 87 चाय बागान हैं, जो करीबन 19,000 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले हैं। इसमें लगभग 52,000 दैनिक श्रमिक वहाँ कार्यरत हैं। मार्च से नवंबर तक प्लकिंग सीजन के दौरान, अतिरिक्त 15,000 प्लकर प्लांटेशन में लगाए जाते हैं। 


असम 

जब भारत के चाय के बागानों की बात हो और असम का नाम ना लिया जाए, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। असम का क्षेत्र दुनिया में चाय के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। यहां पर हर साल चाय के बागानों में सामूहिक रूप से 1.5 मिलियन पाउंड से अधिक चाय की पैदावार होती है। वास्तव में, असम और दक्षिणी चीन एकमात्र ऐसे स्थान हैं जहां देशी चाय के पौधे हैं। असम में, आप हूलॉक गिब्बन, रेड−हेडेड वल्चर, और एक सींग वाले राइनो जैसे जानवरों को भी देखेंगे। समुद्र से महज 45−60 मीटर की ऊंचाई पर चाय असम में उगाई जाती है।

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मुन्नार

मुन्नार में दुनिया के सबसे ऊंचे चाय के बागान मौजूद हैं, जो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। अगर आप मुन्नार जा रहे हैं तो यकीन मानिए यहां पर आपको चाय पीने के साथ−साथ चाय के बागानों में घूमकर एक अलग ही अनुभव प्राप्त होगा।


इसके अलावा आप तमिलनाडु के नीलगिरी हिल्स, पश्चिम बंगाल क्षेत्र में डूआर्स−तराई और हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा में भी आप कुछ बेहतरीन चाय के बागान देख सकते हैं।


मिताली जैन

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