By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 16, 2022
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा करते हुए भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि धनखड़ लगभग तीन दशकों से सार्वजनिक जीवन में हैं। साथ ही, उन्होंने जाट नेता को ‘किसान पुत्र’ करार दिया। दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पिछली अखिल भारतीय बैठक भी धनखड़ के गृह जिले झुंझुनू में हुई थी। अपने समय के अधिकांश जाट नेताओं की तरह धनखड़ भी मूल रूप से देवीलाल से जुड़े हुए थे। तब युवा वकील रहे धनखड़ का राजनीतिक सफर तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब देवीलाल ने उन्हें 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था और धनखड़ ने जीत दर्ज की। धनखड़ 1990 में चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। जब पी.वी. नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो वह कांग्रेस में शामिल हो गए। राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत का प्रभाव बढ़ने पर धनखड़ भाजपा में शामिल हो गए और कहा जाता है कि वह जल्द वसुंधरा राजे के करीबी बन गए। धनखड़ का राजनीतिक सफर उस समय करीब एक दशक के लिए थम गया, जब उन्होंने अपने कानूनी करियर पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।
जुलाई 2019 में धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और तब से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करने को लेकर वह अक्सर सुर्खियों में रहे हैं। राजस्थान में झुंझुनू जिले के एक सुदूर गांव में किसान परिवार में जन्मे धनखड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से पूरी की। भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि ली। धनखड़ ने राजस्थान उच्च न्यायालय और देश के उच्चतम न्यायालय, दोनों में वकालत की। 1989 के लोकसभा चुनाव में झुंझुनू से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने 1990 में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। 1993 में वह अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा पहुंचे। धनखड़ को एक खेल प्रेमी के रूप में भी जाना जाता है और वह राजस्थान ओलंपिक संघ और राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं।