By Ritika Kamthan | Oct 01, 2022
देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, जो आमतौर पर अपनी सादगी और उच्च नैतिकता के लिए जाने जाते है, आज अपना 77वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनका जन्म एक अक्टूबर 1945 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के परौंख गांव में हुआ था। कोविंद का जन्म ऐसे परिवार में हुआ जो उत्तर प्रदेश के कोरी या कोली जाति है, जिसे अनुसूचित जाति माना जाता है। वो देश के 14वें राष्ट्रपति रहे हैं जिन्होंने 25 जुलाई 2017 को अपना पद ग्रहण किया था। रामनाथ कोविंद को आज भी उनके शासन कला और नेतृत्व के लिए माना जाता है। बता दें कि उन्होंने वर्ष 2017 से 2022 तक राष्ट्रपति पद संभाला था।
रामनाथ कोविंद भारतीय राजनीतिज्ञ के तौर पर जाने जाते है। छात्र जीवन से ही रामनाथ कोविंद ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समेत महिलाओं के विकास के लिए भी काफी कार्य करते रहे थे। रामनाथ कोविंद ने शिक्षा के महत्व को भी बखूबी समझा और सांसद रहते हुए अपने 12 वर्षीय कार्यकाल में शिक्षा संबंधित कई अहम मुद्दों को उठाया और उन पर काम भी किया।
कानपुर में हुई पढ़ाई
रामनाथ कोविंद ने स्कूल पूरा करने के बाद कानपुर यूनिवर्सिटी से बीकॉम और एलएलबी की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में 1977 से 1979 तक केंद्र सरकार की ओर से वकालत की। वर्ष 1980 से 1993 तक रामनाथ कोविंद केंद्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल के सदस्य रहे। माना जाता है कि जबतक उन्होंने वकालत की तबतक वो गरीब और दलितों के लिए मुफ्त कानूनी लड़ाई लड़ते थे। उनका मुख्य उद्देश्य था कि गरीब व निचले तबके के लोगों की मदद की जाए और उन्हें विकास की ओर बढ़ाया जाए।
वर्ष 1991 में थामा बीजेपी का दामन
वर्ष 1991 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा। समय के साथ साथ रामनाथ कोविंद ने यूपी की राजनीति में काफी काम किया। वो भाजपा के दलित नेता के तौर पर जाने गए। राज्यसभा के दो बार सांसद भी चुने गए। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता की भूमिका भी निभाई।
बिहार को बनाया कर्मभूमि
भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल भी रह चुके थे। उन्होंने 8 अगस्त 2015 को बिहार के 36वें राज्यपाल के तौर पर शपथ ली थी। शायद यही कारण रहा कि बिहार के लिए रामनाथ कोविंद के दिल में खास जगह रही है। बिहार को वो अपनी कर्मभूमि मानते थे। राष्ट्रपति बनने के बाद वो पहली बार वर्ष 2017 में बिहार गए, जहां उन्होंने तृतीय कृषि रोडमैप का उद्घाटन किया। इसका मुख्य उद्देश्य था कि जैविक खेती और उत्पादन में बढ़ोतरी की जाए। वो वर्ष 2018 में भी बिहार गए थे जब उन्होंने राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा और एनआईटी पटना के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया था। तीसरी बार 25 अक्टूबर 2019 को भी उन्होंने बिहार का दौरा किया था। इस मौके पर वो विश्व शांति स्तूप के 50वें वार्षिकोत्सव के उद्धाटन सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया था।
जानें परिवार के बारे में
रामनाथ कोविंद का विवाह 30 मई 1974 को सविता कोविंद से हुआ। इनके एक बेटा और एक बेटी है।