By अनुराग गुप्ता | Jan 22, 2022
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में भाजपा ने दमदार उम्मीदवारों को अपना प्रत्याशी बनाया है, जिनकी राजनीति कांग्रेस से शुरू हुई लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज से प्रभावित होकर उन्होंने दल बदल लिया। इतना ही नहीं साल 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद कई मौकों पर राकेश सिंह और अदिति सिंह को भाजपा सरकार की तारीफ करते हुए देखा गया है।
कौन हैं अदिति सिंह
रायबरेली की सदर सीट से विधायक रही अदिति सिंह ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता और विधायकी से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में भाजपा ने उन्हें रायबरेली सदर से अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर उनके परिवार का दबदबा 33 साल से चला आ रहा है। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र की रायबरेली सदर सीट से अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह लगातार पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं।
साल 1989 में पहली बार रायबरेली की सदर सीट से पूर्व सांसद अशोक सिंह जनता दल के टिकट पर विधायक चुने गए थे। इसके बाद उन्होंने साल 1993 में अपने भाई अखिलेश सिंह के लिए यह सीट छोड़ दी थी और फिर कांग्रेस के टिकट पर अखिलेश सिंह विधानसभा पहुंचे थे। हालांकि साल 2003 में राकेश पांडे हत्याकांड में अखिलेश सिंह का नाम सामने आने के बाद कांग्रेस ने उन्हें निकाल दिया था। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर चुनाव लड़ा और विधायक चुके गए।
कांग्रेस भी इस सीट पर अखिलेश सिंह के प्रभाव को अच्छी तरह से समझती थी, ऐसे में वो ज्यादा दिन तक पार्टी से जुटा नहीं रहे। आखिरी बार उन्होंने साल 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। जिसमें हुए जीत मिली थी। लेकिन स्वास्थ्य खराब होने की वजह से उन्होंने 2017 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया और अपनी बेटी को कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़वाया।
इस चुनाव में अदिति सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी को करीब 89,000 वोट से परास्त किया और विधानसभा पहुंची। लेकिन फिर उनका पार्टी से मोहभंग हो गया और भाजपा की तरफ आकर्षित हो गईं। उन्होंने कई मौकों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना भी की और अब भाजपा की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरी हैं।
भाजपा ने हरचंदपुर सीट से राकेश को उतारा
हरचंदपुर सीट भी रायबरेली संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है। भाजपा ने अदिति सिंह और राकेश सिंह को अपना कैंडिडेट बनाकर कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी की कोशिश की है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। ऐसे में राकेश सिंह को हरचंदपुर से उतारा गया था और वो भाजपा कैंडिडेट राहुल लोधी को परास्त कर विधानसभा पहुंचे थे।
राकेश सिंह साल 2019 में सोनिया गांधी के खिलाफ भाजपा से चुनाव लड़ने वाले दिनेश प्रताप सिंह के भाई हैं और पूर्व में राकेश सिंह के भाई और भाभी दोनों ही जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इस इलाके में उनके परिवार की अच्छी खासी पकड़ है।