By अनन्या मिश्रा | May 15, 2023
के. एम. करिअप्पा आजाद भारत के पहले ऐसे नागरिक थे। जिन्होंने भारतीय सेना की कमान संभाली थी। वह भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल थे। बता दें कि 15 जनवरी 1949 को करिअप्पा को सेना प्रमुख बनाया गया था। आज ही के दिन यानी की 15 मई को केएम करियप्पा पंचतत्वों में विलीन हो गए। करिअप्पा ने न सिर्फ सेना बल्कि जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी काफी लोकप्रियता हासिल की थी। बताया जाता है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री भी के.एम करिअप्पा से डरते थे। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सिरी के मौके पर के.एम करिअप्पा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
कर्नाटक के कोडागु में शनिवर्सांथि नामक स्थान पर 28 जनवरी 1899 को करिअप्पा का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा था। करिअप्पा को बचपन में प्यार से घर के सदस्य चिम्मा कहकर बुलाते थे। करिअप्पा के पिता मदप्पा, कोडंडेरा माडिकेरी में एक राजस्व अधिकारी थे। करिअप्पा ने अपनी शुरूआती शिक्षा सेंट्रल हाई स्कूल, मडिकेरी से पूरी की। इसके बाद आगे की पढ़ाई मद्रास के प्रसिडेंसी कॉलेज से पूरी की। अपने छात्र जीवन में करिअप्पा को एक बेहतरीन खिलाड़ी के तौर पर भी जाना जाता था। वह हॉकी और टेनिस के मंझे हुए खिलाड़ी थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रथम विश्वयुद्ध दौरान के.एम करिअप्पा का चयन भारतीय सेना में हो गया था।
करियर
के.एम करिअप्पा को 'कीपर' के नाम से भी जाना जाता था। बता दें कि करिअप्पा फील्ड मार्शल के पद पर पहुंचने वाले इकलौते भारतीय है। वह भारतीय सेना के पहले ऐसे अधिकारी बनें, जिनको फील्ड मार्शल का पद मिला था। वहीं उनके बाद सैम मानेकशा दूसरे ऐसे अधिकारी थे, जिनको फील्ड मार्शल का पद मिला था। 15 जनवरी 1949 को करिअप्पा को सेना प्रमुख बनाया गया। करिअप्पा के गांधी परिवार में जवाहर लाल नेहरू व इंदिरा गांधी से काफी अच्छे संबंध थे। लेकिन इसके बाद भी नेहरू को यह डर हमेशा सताया करता था कि कहीं करिअप्पा उनका तख्तापलट न कर दें।
साल 1953 में भारत के उच्चायुक्त के रूप में करिअप्पा ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड में नियुक्त किया गया। उस दौरान करिअप्पा को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति Harry S. Truman द्वारा ‘Order of the Chief Commander of the Legion of Merit’ उपाधि से नवाजा गया। साल 1986 में भारत सरकार ने के.एम करिअप्पा को उनकी सेवाओं को देखते हुए फील्ड मार्शल के पद पर नियुक्त किया गया था।
स्वतंत्र भारत के पहले सेनाध्यक्ष
फील्ड मार्शल के. एम. करिअप्पा आजाद भारत के पहले सेनाध्यक्ष थे। साल 1947 में भारत-पाक युद्ध में करिअप्पा ने पश्चिमी सीमा पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया। जिसके बाद से 15 जनवरी को हर साल 'सेना दिवस' के रूप में मनाया जाने लगा। फील्ड मार्शल करिअप्पा साल 1953 में भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हो गए।
पुरस्कार और सम्मान
करिअप्पा ने अभूतपूर्व योग्यता और नेतृत्व के कारण कई उपलब्धियां प्राप्त की। वह सेना में कमीशन पाने वाले पहले भारतीय थे। उन्होंने अनेक मोर्चों पर सफल नेतृ्त्व भी किया। आजादी से पहले ब्रिटिश सरकार ने करिअप्पा को 'डिप्टी चीफ़ ऑफ़ जनरल स्टाफ़' के पद पर नियुक्त किया था।
निधन
करिअप्पा अपने आखिरी समय में गठिया व दिल की समस्याओं से पीड़ित थे। साल 1991 में तबियत खराब होने पर उनको कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन 15 मई 1993 को 94 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।