एक तरफ मेट्रो फ्री तो दूसरी ओर ऑटो का किराया बढ़ाकर गुमराह कर रहे हैं केजरीवाल

By अंकित सिंह | Jun 13, 2019

पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविद केजरीवाल ने महिलाओं के लिए मेट्रो और सरकारी बस में मुफ्त सफर की योजना की घोषणा की। इस घोषणा को लोग सियासी नजर से देखने लगे क्योंकि 2020 के शुरूआत में ही दिल्ली में विधानसभा के चुनाव होने हैं और केजरीवाल की नजर दोबारा सत्ता में वापसी पर है। ऐसे में यह कहना भी गलत नहीं होगा कि केजरीवाल ने एक बड़ा सियासी दांव खेला है। पर सवाल यह उठने लगा कि जिन ऑटो वालों ने केजरीवाल को जिताने के लिए दिन-रात एक कर दिया था उनका क्या होगा क्योंकि मुफ्त सफर की योजना से सबसे ज्यादा मार इन्हीं लोगों को झेलनी पड़ेगी। अब केजरीवाल इनके लिए भी एक नई योजना लेकर आए हैं। तो सबसे पहले आपको इस योजना के बारे में बताते हैं।

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बुधवार को केजरीवाल सरकार ने एक अधिसूचना जारी करते हुए बताया कि ऑटो का किराया बढ़ाने के लिए मंजूरी दे दी गई है। यह बढ़ोत्तरी साल 2013 के बाद पहली बार की गई है। हालांकि उसके लिए राज्यपाल से कोई भी मंजूरी नहीं ली गई है। जिसका मतलब यह हुआ कि इस पर अभी विवाद होना बाकी है। वैसे कई दिनों से यह फाइल अटकी हुई थी क्योंकि परिवहन विभाग उपराज्यपाल की मंजूरी मांग रहा था तो परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत फाइल भेजने को तैयार नहीं थे। सरकार के दबाव में कानूनी राय लेने के बाद इस योजना को अमली जामा पहना दिया गया। बढ़े हुए किराए के अनुसार अब आपको न्यूनतम किराया 9.5 रुपए प्रति किलोमीटर देना होगा जो कि पहले 8 रुपए था। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप पांच किलोमीटर की यात्रा कर रहे हैं तो आपको 58.25 रुपए देने होंगे जोकि पहले की तुलना में 9.25 रुपए ज्यादा है। पहले पांच किलोमीटर की यात्रा के लिए 49 रुपए लगते थे। 

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इसके अलावा वेटिंग चार्ज भी बढ़ा दिया गया है हालांकि सामान का शुल्क और रात्रि शुल्क को बरकरार रखा गया है। दिल्ली में 90,000 से ज्यादा ऑटो रजिस्टर हैं जबकि सेवा में 89,000 हजार ही हैं। जाहिर सी बात है केजरीवाल ने अपनी इस योजना से ऑटो वालों को खुश करने की कोशिश की है। अगर दूसरे एंगल से देखा जाए तो ऑटो वालों के लिए यह दोहरी मार भी साबित हो सकता है। एक तरफ केजरीवाल ने फ्री मेट्रो और बस कर ऑटो वालों के लिए पहले ही मुसीबत खड़ी कर दी थी तो दूसरी तरफ किराया बढ़ने से आम लोग ऑटो से दूरी बना सकते हैं। मरग दूसरी तरफ देखे तो आम आदमी पर इसका मार पड़ने वाला है। अब सवाल यह उठता है जिन लोगों के लिए केजरीवाल मेट्रो और सरकारी बस में मुफ्त सफर की बात कर रहे हैं, फिर क्या दुसरी तरफ उनके इस कदम से उन्हें दिक्कत नहीं होगी? जाहिर सी बात है कि होगी। अगर केजरीवाल DMRC के असमर्थता के बावजूद दिल्ली सरकार से मेट्रो का किराया भरने को तैयार हैं तो ऑटो वालों को अतिरिक्त सब्सिडी देकर राहत क्यों नहीं दे सकते थे, किराया बढ़ाने की क्या जरूरत थी। 

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केजरीवाल अपनी फ्री योजना से अपनी सियासी रोटी सेंकने के फिराक में हैं। उन्हें इस बात की अच्छे से जानकारी है कि DMRC उनके मुफ्त सफर की योजना में आनाकानी करेगी। इसके अलावा इस योजना के लिए अलग से व्यवस्था करनी होगी जिसके लिए भारी खर्च उठाना होगा। ऐसे में DMRC को इस योजना को लागू करने में वक्त लगेगा और केजरीवाल को सियासत करने का अच्छा मौका मिल जाएगा क्योंकि DMRC केंद्र के अधीन आता है। केजरीवाल के मुफ्त वाली योजना से विपक्ष तो हमलावर है ही, जनता में भी रोष है क्योंकि उन्हें यह चुनावी चाल लगती है। 

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