नवजात शिशु का विकास सही तरह से हो रहा है या नहीं वह उसकी लंबाई और वज़न से ही मापा जाता है इसलिए डॉक्टर नवजात के वज़न पर निगरानी रखने की सलाह देते हैं। आमतौर पर नवजात शिशु का वज़न 2.5 से 3.5 किलोग्राम तक होता है जो सामान्य है। इससे कम या अधिक वज़न असमान्य माना जाता है। जन्म के बाद बच्चे का वज़न स्वस्थ तरीके से बढ़े इसलिए लिए मां को कुछ बातों का ध्यान रखने की ज़रूरत है।
स्तनपान है ज़रूरी- चिकित्सकों के अनुसार, नवजात बच्चों के लिए मां का दूध ही सबसे हेल्दी होता है और उन्हें सारे पोषक तत्व इसी से मिलते हैं। कुछ महिलाएं ऑफिस जाने के कारण बच्चे को स्तनपान नहीं करा पाती और फॉर्मूला मिल्क देती हैं, जिससे बच्चे का पेट तो भर जाता है लेकिन मां के दूध जितना पोषण नहीं मिल पाता। साथ ही इसमें अंदाज़ा नहीं मिल पाता कि बच्चे का पेट भरा या नहीं से में कई बार दादी/नानी बच्चे को ज़्यादा दूध पिला देती हैं जो सेहत के लिए ठीक नहीं होता है। जबकि स्तनपान में ज़्यादा दूध पिलाना संभव ही नहीं है क्योंकि पेटभर जाने पर बच्चा खुद ही दूध पीना छोड़ा देता है यानी बच्चों के संतुलित वज़न के लिए ब्रेस्टफीडिंग बहुत ज़रूरी है।
हर बार रोने पर दूध न पिलाएं
नवजात शिशु का रोना सामान्य बात है। हर बार वह भूख लगने की वजह से ही रोते है ऐसा ज़रूरी नहीं है। कभी कुछ असहज महसूस करने या डर जाने पर भी रोने लगते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कई महिलाएं जैसे ही बच्चा रोता है तुरंत दूध पिलाने लगती है जिससे कई बार वह ओवरफीडिंग करा देती हैं जो बच्चे की सेहत के लिए ठीक नहीं है ठीक वैसे ही जैसे भूख से अधिक खाना आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं होता है।
हेल्दी फूड दें
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाए और आप उन्हें सॉलिड फूड देने लगें तो कोशिश करें कि बच्चे को फल, सब्ज़ियों, साबुत अनाज और दाल आदि से हल्की-फुल्की चीज़ें बनाकर खिलाएं। हर दिन अलग-अलग तरह की चीज़ें दें जिससे बच्चे को सारे पोषक तत्व मिलते रहेंगे और उनका वज़न स्वस्थ तरीके से बढ़ेगा।
जबर्दस्ती न खिलाएं
यदि बच्चा खाना खाने लगा है तो कभी भी उसे जबरन न खिलाएं। उसे जितनी भूख होगा खा लेगा। हां, यदि डॉक्टर बोलता है कि आपके बच्चे का वज़न कम है तो आप उन्हें बहलाकर खिला सकती हैं।
परिवार के साथ खाने की आदत
जब बच्चा खाना खाने लगे तो हमेशा पूरे परिवार के साथ बैठकर खाने की आदत डालें। शोधकर्ताओं के मुताबिक, परिवार के साथ भोजन करने वाले बच्चों के ओवरवेट होने की संभावना कम होती है। साथ ही इससे परिवार के साथ बच्चों की बॉन्डिंग मज़बूत होती है।
शारीरिक गतिविधि
डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चे के लिए फिजिकल एक्टिविटी बहुत ज़रूरी है दिनभर गोद में लिए रहने की बजाय उन्हें ज़मीन पर बिठाएं और खिसकने, चलने के लिए प्रेरित करें। लेकिन इस बात का ध्यान रहे की बच्चा जिस जगह पर है वहां आसपास कोई खतरनाक सामान न हो यानी बच्चे के चलने, दौड़ने और खिसकने के लिए जगह पूरी तरह से सुरक्षित हो। शारीरिक गतिविधि बच्चे का वज़न संतुलित रखने में मदद करती है।
आजकल बच्चों में जिस तरह से ओबेसिटी की समस्या बढ़ती जा रही है, बहुत ज़रूरी है कि छोटी उम्र से ही माता-पिता स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और बच्चे को भी इसके लिए प्रेरित करें।
- कंचन सिंह