By अंकित सिंह | Aug 30, 2022
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव बिहार दौरे पर पहुंचने वाले हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल अपने समीकरणों को साधने के लिए नई राजनीतिक चाल चलते नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री 31 अगस्त को पटना पहुंचने वाले हैं। जानकारी के मुताबिक पटना में नीतीश कुमार के साथ उनकी एक मुलाकात भी है। दोनों नेताओं की मुलाकात को लेकर फिलहाल सियासत गर्म है। दावा किया जा रहा है कि दोनों नेता वर्तमान के राजनीतिक हालात पर मंथन करेंगे। फिलहाल तेलंगाना के अधिकारी बिहार पहुंच चुके हैं। गलवान घाटी में शहीद हुए बिहार के सैनिकों के परिजनों को वह 10 लाख की आर्थिक मदद भी देंगे। इसके अलावा के चंद्रशेखर राव 12 मजदूरों के परिजनों को आर्थिक सहायता देंगे जिनकी मौत सिकंदराबाद में मजदूरी के दौरान हुई थी।
लेकिन चर्चा इस बात की ज्यादा है कि नीतीश कुमार के साथ के चंद्रशेखर राव भोजन करने वाले हैं। साथ ही साथ दोनों नेता 2024 के चुनावी मुद्दों पर चर्चा करेंगे। राजनीतिक विश्लेषक इस मुलाकात के मायने तलाशने में जुटे हुए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि बिहार में राजनीतिक परिवर्तन में के चंद्रशेखर राव की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दिलचस्प देखना यह होगा कि दोनों नेताओं के बीच किन मुद्दों पर बातचीत होती है। लेकिन इतना जरूर है कि 2024 के इर्द-गिर्द यह बात होगी। के चंद्रशेखर राव सीधे तौर पर मोदी सरकार की लगातार आलोचना करते रहे है। इसके अलावा वह उन नेताओं में शामिल हैं जो 2024 के चुनाव को लेकर अपनी अलग रणनीति बना रहे हैं। के चंद्रशेखर राव ममता बनर्जी को भी साथ में की लगातार कोशिश कर रहे हैं। माना जा रहा है कि 2024 चुनाव को लेकर नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने की कोशिश करेंगे। इसमें केसीआर की भी भूमिका अहम हो सकती है।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या किसी याद नीतीश कुमार को 2024 के प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में आगे करेंगे। इसके लिए नीतीश कुमार की पार्टी की ओर से नवीन पटनायक और ममता बनर्जी को भी साधने की कोशिश की जा रही है। नीतीश की छवि के सहारे एक महागठबंधन बनाने की कोशिश होगी जिसमें राजद की भी भूमिका काफी अहम हो सकती है। तेलंगाना के सीएम के बिहार दौरे को लेकर पॉलिटिकल पंडित भी थोड़ा कंफ्यूज जरूर है कि आखिर अचानक उन्हें बिहार की याद कैसे आ गई। लेकिन कहीं ना कहीं कोशिश यह की जा रही है कि विपक्ष को किसी भी तरह से एकजुट रखा जाए ताकि 2024 के चुनाव में भाजपा को मात दी जा सके।