K B Hedgewar Birth Anniversary: बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव थे के बी हेडगेवार, ऐसे खड़ा किया था दुनिया का सबसे बड़ा संगठन

By अनन्या मिश्रा | Apr 01, 2025

आज ही के दिन यानी की 01 अप्रैल को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखने वाले डॉ केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म हुआ था। देश की आजादी के संघर्ष के दौरान हेडगेवार पहले कांग्रेस में शामिल हुए। फिर कांग्रेस पदाधिकारी के तौर पर उनकी गिरफ्तारी भी हुई। लेकिन जल्द ही कांग्रेस से उनका मोहभंग हो गया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नींव रखी थी। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

नागपुर में एक ब्राह्मण परिवार में 01 अप्रैल 1889 को केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म हुआ था। वह बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव के थे और उनको अंग्रेजी हुकूमत से नफरत थी। ऐसे में उनमें देश प्रेम-भाव उत्पन्न होने में समय नहीं लगा। आप के बी हेडगेवार की अपने समाज के प्रति गहरी संवेदनशीलता का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि उन्होंने इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के 60 साल के पूरे होने पर बांटी गई मिठाई को स्वीकार नहीं किया था।

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RSS की स्थापना

बता दें कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के सपने के साथ राष्ट्री स्वयंसेवक संघ की स्थापना की गई थी। डॉ केशव बलिराम हेडगेवार के मन में हिन्दुवादी संगठन बनाने का विचार आया था। हेडगेवार ने  नागपुर में 17 लोगों की बैठक में सबसे पहले आरएसएस की स्थापना का विचार रखा था। इस बैठक में डॉ हेडगेवार के अलावा भाऊजी कावरे, अण्णा साहने, विश्वनाथ केलकर, बाला ही हुद्दार एवं बापूराव भेदी जैसे प्रमुख लोग शामिल हुए थे।


डॉ हेडगेवार बने पहले सरसंघचालक

25 सितंबर 1925 का बने हिन्दुवादी संगठन को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानि RSS का नाम 17 अप्रैल 1926 को मिला था। इस दौरान डॉ हेडगेवार को RSS का पहला सरसंघचालक चुना गया था। साल 1925 में अस्तित्व में आया राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ वर्तमान समय में दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बन चुका है।


मृत्यु

डॉ हेडगेवार का मानना था कि हिंदुओं को एक धागे में पिरो कर एक ताकतवर समूह के रूप में विकसित करना ही संगठन का प्राथमिक काम है। वहीं 21 जून 1940 को डॉ हेडगेवार का निधन हो गया था। वहीं उनकी मृत्यु के बाद सरसंघचालक की जिम्मेदारी माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर को सौंप दी गई।

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