कश्मीर में पतझड़ का मौसम, चिनार के बिखरे पत्तों से ऐसा लगता है जैसे सोना बिखरा हुआ है

By नीरज कुमार दुबे | Nov 29, 2021

कश्मीर का वैसे तो हर मौसम निराला होता है लेकिन पतझड़ का मौसम भी बेहद खूबसूरत होता है और इस दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ आते हैं। पतझड़ के मौसम के बाद कश्मीर में सर्दियां शुरू हो जाएंगी और तीन महीने तक जबरदस्त ठंड के साथ बर्फ़बारी होती रहेगी। पतझड़ के मौसम के दौरान कश्मीर में जब चिनार के पत्ते सूखकर ज़मीन पर गिरते हैं तो पूरा नजारा ही रोमांटिक हो जाता है। चिनार के सूखे पत्तों पर चलना एक अलग अहसास देता है और ऐसा लगता है कि जैसे चारों ओर सोना बिखरा हुआ हो। कश्मीर में जैसे लोग बर्फबारी के समय एक दूसरे पर बर्फ डाल कर खेल का आनंद लेते हैं उसी तरह पतझड़ के मौसम में एक दूसरे पर चिनार के पत्ते फेंकने का आनंद भी लेते हैं। यहाँ तक कि जब पतझड़ के मौसम में चिनार से पत्ते गिरना शुरू हो जाते हैं तो लोग इनको साफ करने की बजाय इसका आनंद लेते हैं। इस समय मुगल गार्डन पर्यटकों के विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 'चिनार के पेड़ों' की पतझड़ से जो सुंदर दृश्य बना है उसे देखने देश के कोन-कोने से यहां पर्यटक आ रहे हैं। प्रभासाक्षी संवाददाता ने पर्यटकों से बातचीत कर उनकी राय जानी।

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आइये अब बात करते हैं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मिल रही सफलता की। जम्मू-कश्मीर में पिछले महीने आम लोगों की हत्या करने में संलिप्त रहे लगभग सभी आतंकवादियों को मार गिराया गया है और सशस्त्र बल अब खुफिया-आधारित "सर्जिकल ऑपरेशन" पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिसमें केंद्रशासित प्रदेश में आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए छोटी टीम शामिल हैं। सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस, खुफिया एजेंसियों और सेना के बीच बेहतर समन्वय के वास्ते एक अधिक सूक्ष्म ढांचे के तहत एक "परिष्कृत" दृष्टिकोण रखा गया है, जिसका उद्देश्य आसपास होने वाली आकस्मिक क्षति को कम करना है। हम आपको याद दिला दें कि अपेक्षाकृत शांति के बाद, जम्मू-कश्मीर में पिछले महीने निर्दोष लोगों की हत्याओं का एक सिलसिला शुरू हो गया था जिससे इस क्षेत्र में हिंसा और अशांति की आशंका पैदा हो गई थी।


सूत्रों ने कहा कि आतंकवाद रोधी अभियान का मुख्य उद्देश्य रहा है कि इस दौरान निर्दोष लोगों की जान न जाए और सुरक्षाबलों की सभी शाखाएं इस उद्देश्य को हासिल करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि "खुफिया-आधारित सर्जिकल ऑपरेशन" पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें छोटी टीम शामिल की गई हैं और इस तरह की कार्रवाइयों के लिए स्थानीय आबादी से समर्थन प्राप्त करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। सूत्रों ने कहा कि खुफिया जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान स्थित आतंकी आकाओं ने कश्मीर में सक्रिय अपने लोगों को निर्देश दिया है कि जब भी सुरक्षाबल आतंकवाद रोधी अभियान शुरू करें तो उस दौरान कम से कम 10 आम लोगों की हत्या की जाए। श्रीनगर के हैदरपुरा में हुई मुठभेड़ के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने कहा कि एक खास वर्ग 'खोई हुई जगह' पर फिर काबिज होना चाहता है। जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने भी कहा था कि हैदरपुरा मुठभेड़ की चल रही जांच से पता चलता है कि आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में एक ‘नेटवर्क’ ने आतंकवादियों की मदद की थी। सूत्रों ने कहा कि सुरक्षाबलों को जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में स्थानीय लोगों से कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी सहित समर्थन मिल रहा है क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे "दुष्प्रचार" को खारिज कर दिया है।

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सूत्रों ने कहा कि जम्मू कश्मीर में स्थिति नियंत्रण में है और बताया कि 2018 में जहां 318 आतंकी घटनाएं हुई थीं, वहीं 2021 में केवल 121 आतंकी घटनाएं दर्ज की गई हैं। वहीं, एक अन्य सूत्र ने कहा, "इसी तरह, 2019 में जहां पथराव की 202 घटनाएं हुईं, वहीं 2021 में इस तरह के केवल 39 मामले दर्ज किए गए।" सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के करीबी तत्व कश्मीरी लोगों को भड़काने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। हम आपको याद दिला दें कि गत सात अक्टूबर को आतंकवादी मेहरान यासीन शल्ला ने श्रीनगर के सफा कदल में एक राजकीय बाल उच्च माध्यमिक विद्यालय के अंदर दो शिक्षकों की हत्या कर दी थी। सूत्रों ने बताया कि शल्ला को 24 नवंबर को सुरक्षाबलों ने मार गिराया। अनंतनाग में लिटार बस अड्डे के पास आतंकी आदिल आह वानी ने सहारनपुर निवासी सगीर अहमद अंसारी की हत्या कर दी थी। सूत्रों ने बताया कि सुरक्षाबलों ने वानी को 20 अक्टूबर को शिरमल शोपियां में एक अभियान में ढेर कर दिया। आतंकी गुलजार अहमद रेशी ने 17 अक्टूबर को कुलगाम के वानपोह में बिहार निवासी दो मजदूरों की हत्या कर दी थी और एक मजदूर को घायल कर दिया था। सूत्रों ने बताया कि गुलजार अहमद रेशी को 20 अक्टूबर को सुरक्षा बलों ने मार गिराया।

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