By अनुराग गुप्ता | Mar 31, 2022
बेंगलुरू। कर्नाटक में हिजाब के बाद अब हलाल मीट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हलाल मीट को लेकर उठाई गई गंभीर आपत्तियों पर विचार करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक उनकी सरकार का सवाल है तो उसमें केवल विकास को पंख दिए गए हैं, और कोई दक्षिण पंथ या वाम पंथ नहीं है। दरअसल, कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने हलाल मीट के बहिष्कार की अपील की है।
क्या है हलाल मीट ?
हलाल की तकनीक विशिष्ट समुदाय (मुस्लिम) के निपुण लोग करते हैं। इसके लिए जानवर की गर्दन को तेज धार चाकू से रेता जाता है। जिसकी वजह से कुछ वक्त बाद जानवर की मौत हो जाती है। इस प्रक्रिया में जानवर के शरीर का एक-एक कतरा निकलने का इंतजार किया जाता है। कहा जाता है कि हलाल में जानवर के शरीर से खून का एक-एक कतरा निकलने तक उसका जिंदा रहना जरूरी है।
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार हलाल होने वाले जानवर के सामने दूसरा जानवर नहीं ले जाना चाहिए। एक जानवर के हलाल होने के बाद ही दूसरा ले जाना चाहिए। अगर मार्केट की भाषा में समझें तो हलाल का मतलब वह प्रोडक्ट है, जो शरिया कानूनों के मुताबिक है।
झटका क्या होता है?
मुस्लिम समुदाय में हलाल मीट ही खाया जाता है। इसके अलावा झटका मीट की बातें भी सभी ने सुनी होगी। झटका प्रक्रिया के तहत जानवर की गर्दन को धारदार हथियार से एक बार में ही काट दिया जाता है। ताकि जानवर तड़पे ना और एक झटके में ही जानवर की मौत हो जाए।
क्या है कर्नाटक सरकार का रुख ?
हलाल मामले पर सरकार के रुख को लेकर पूछे गए सवाल पर बसवराज बोम्मई ने कहा यह (हलाल मामला) अभी-अभी शुरू हुआ है। हमें इसका संपूर्णता से अध्ययन करना होगा, क्योंकि इसका नियमों से कोई लेना-देना नहीं है। यह एक प्रथा है जो जारी है। अब इसके संबंध में गंभीर आपत्तियां उठी हैं। हम इन्हें देखेंगे।
हिंदू संगठनों द्वारा हलाल मीट के बहिष्कार को लेकर अभियान चलाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस मसले पर अपना रुख बाद में बताएगी। उन्होंने कहा कि हमें पता है कि किस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करनी है और किस पर नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि जरूरत नहीं पड़ी, तो सरकार कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करेगी।