CAA के खिलाफ पटना में कन्हैया कुमार की रैली, नहीं गा पाए राष्ट्रगान

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 28, 2020

 पटना। भाकपा नेता और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ बिहार के विभिन्न जिलों में निकाली गई जन गण मन यात्रा  के समापन के मौके पर गुरुवार को पटना में आयोजित एक विशाल रैली में कई सामाजिक और सांस्कृतिक हस्तियों ने मंच साझा किया। इनमें नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी,पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन और दिवंगत मार्क्सवादी नाटककार और निर्देशक सफदर हाशमी की बहन शबनम हाशमी शामिल थीं। इस अवसर पर कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान जो कि चंपारण से 30 जनवरी को शुरू हुई इस यात्रा में कन्हैया के साथ रहे, भी मौजूद थे। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित संविधान बचाओ, नागरिकता बचाओ रैली की शुरुआत हाल में दिल्ली में हुए दंगों में मारे गए लोगों की याद में एक मिनट के मौन से हुई। इसके बाद रैली को संबोधित करते हुए कन्हैया ने सत्तारूढ़ भाजपा पर मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं को भडकाने का आरोप लगाते हुए लोगों से  राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खान की दोस्ती का अनुकरण करके उनके एजेंडे को हराने का संकल्प करने का आह्वान किया। 

 

कन्हैया ने बिहार विधानसभा में एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ सर्वसम्मति से पारित किए गए प्रस्ताव पर भी नाखुशी जताई। कन्हैया ने कहा “सरकार और विपक्ष दोनों खुद को बधाई देने में व्यस्त हैं। मैं अपनी बधाई भी देता हूं। लेकिन उन सभी के लिए जो यहां मौजूद हैं, मैं कहूंगा कि यह आधी जीत है। जब तक एनपीआर की कवायद वापस नहीं ले ली जाती,हम गांधी के सविनय अवज्ञा से सबक हासिल कर अपने आंदोलन को विफल नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा,  ग्रामीणों को अपने संबंधित पंचायत प्रमुखों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहना चाहिए कि जब एनपीआर को मई में निर्धारित किया जाना है, तो किसी भी एनपीआर अधिकारी को उनके अधिकार क्षेत्र में दस्तक देने की अनुमति नहीं है ।कन्हैया नेकहा, “हमें एक लंबी और कठिन लड़ाई के लिए तैयार होना होगा। हम एक ऐसे शासन के तहत रह रहे हैं, जो डाक्टर कफील अहमद जैसे कर्तव्यनिष्ठ पेशेवरों को सलाखों के पीछे भेज देता है और उसके कार्यों पर सवाल उठाने पर किसी को भी राष्ट्र विरोधी घोषित कर देता है।” 

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इससे पहले, तुषार गांधी ने अपने संबोधन में सीएए, एनपीआर और एनआरसी की तुलना  महात्मा को मारने वाली तीन गोलियों  से की और जोर देकर कहा कि ये  सभी धार्मिक समुदायों विशेषकरमुसलमानों से संबंधित गरीबों को नुकसान पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा  अगर सरकार गरीबों की परवाह नहीं करती है, तो हमें सत्ता में उन लोगों को बताना होगा - चले जाओ जैसे हमने ब्रिटिश उपनिवेशवादियों के साथ किया था ... यह एक लंबी लड़ाई होने जा रही है। तुषार ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन के पांच साल बाद हमें आजादी मिली थी। उन्होंने महात्मा गांधी के  अहिंसा  के रास्ते पर चलने आग्रह करते हुए कहा  यह हमारे लिए निश्चित रूप से कठिन है। हमें बार-बार अहिंसा के महत्व को दोहराते रहने की जरूरत है, जबकि अन्य लोगों को बस एक बार बोलना होगा - गोली मारो सालों को ”। तुषार का इशारा केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता अनुराग ठाकुर के दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान विवादास्पद और तिरस्कारपूर्ण बयान की ओर था। कन्नन गोपीनाथन ने आरोप लगाया “सीएए नागरिकता प्रदान करने न कि किसी नागरिकता लेने का दावा बकवास है। जो भी कानून धर्म के आधार पर समाज के एक वर्ग का पक्ष लेता है, उसे दूसरे सामाजिक तबके को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है ... लोगों का कहना है कि यह सरकार फासीवादी है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने संसद में घोषणा की थी कि एनआरसी आएगा। सार्वजनिक प्रतिरोध का सामना करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कहना पड़ा कि उन्हें नहीं पता कि एनआरसी क्या है। कुछ दिन और आंदोलन जारी रखें । वह कहने लगेंगे कि वे अमित शाह को नहीं जानते हैं ।अपने भाषण के दौरान कन्हैया ने लोगों से उनके साथ राष्ट्रगान गाने की अपील की, लेकिन उन्होंने कुछ पंक्तियां ही गाई। इसे लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल भी किया गया। 

 

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