कमलनाथ ने उठाया शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार पर सवाल, वन मैन आर्मी की तरह मुख्यमंत्री ने दिया उसका जवाब

By दिनेश शुक्ल | Apr 14, 2020

मध्य प्रदेश में मार्च का महीना राजनीतिक उठा पटक और सत्ता परिवर्तन के लिए याद रखा जाएगा। जब प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को पटखनी देते हुए बीजेपी ने राज्य में एक बार फिर 15 महीनें बाद सत्ता में वापसी की थी। कांग्रेस का आरोप है कि इसकी पठकथा भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा लिखी गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार 12 अप्रैल को ऑनलाइन प्रेसवार्ता कर एक बार फिर अपने आरोपों को दोहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण था, मध्य प्रदेश की सरकार को गिराना न कि कोरोना की रोकथाम करना। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पत्रकार वार्ता में मध्य प्रदेश की एक चुनी हुई सरकार को गिराने ओर भाजपा द्वारा अलोकतांत्रिक तरीके से सरकार को बनाने के लिए प्रदेश सहित देश की जनता की जान को खतरे में डालने का भी आरोप भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व पर लगाया। उन्होनें साफ तौर पर कहा कि देश और मध्य प्रदेश में कोरोना की चिंताजनक हालात के लिए प्रधानमंत्री मोदी और प्रदेश भाजपा जिम्मेदार है।

 

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कमलनाथ ने वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था पर भी प्रश्न खड़े करते हुए कहा कि प्रदेश में प्रजातंत्र के नाम पर एक मुख्यमंत्री मात्र हैं। न स्वास्थ्य मंत्री है, न गृह मंत्री है, मतलब कैबिनेट ही नही है, न ही लोकल बॉडी है, सब नदारद है। आज इस लड़ाई की सबसे बड़ी जिम्मेदारी हेल्थ डिपार्टमेंट की है। प्रदेश के हैल्थ डिपार्टमेंट की प्रिंसिपल सेकेट्री सहित 45 से अधिक अधिकारी कोरोना पॉजिटिव हो गए है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जहां कोरोना को लेकर भाजपा पर सीधा प्रहार करते हुए यह कह दिया कि भाजपा की सत्ता की भूख ने देश को संकट में डाला है, तो वही उन्होनें शिवराज सरकार पर भी कटाक्ष किया कि देश में अकेली मध्यप्रदेश की सरकार है जहां स्वास्थ्य मंत्री भी नहीं है।


हालांकि वन मैन आर्मी की तरह काम कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को मंत्रालय में विभिन्न मुद्दों की समीक्षा के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मंत्रिमंडल विस्तार वाले प्रश्न का उत्तर देते हुए आप्रत्यक्ष रूप से इसे केन्द्रीय नेतृत्व के पाले में डाल दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 23 तारीख से कोरोना के खिलाफ युद्ध में हम लगे हुए है, फिलहाल इस लड़ाई को जीतना है। मंत्रिमंडल का विस्तार फिर थोड़े दिनों के बाद करेगें। इस दौरान अप्रत्यक्ष रूप से यह संदेश भी दे दिया कि 14 अप्रैल के बाद लॉक डाउन बढ़ेगा। उन्होनें कहा कि 14 तारीख को लॉक डाउन समाप्त नहीं हो रहा बल्कि इसका पहला चरण समाप्त हो रहा है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर उन्होनें गेंद पार्टी के पाले में डाल दी है। 


अगर राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बीजेपी के अंदर भी खलबली मची हुई है। मंत्री बनने की आस जोह रहे पार्टी नेताओं ने इसको लेकर अंदर ही अंदर कई तरह के अभियान भी छेड़ रखे है। कई नेता लॉक डाउन के दौरान अपने विधानसभा क्षेत्रों में जनता के बीच नज़र आ रहे है। चूंकि कोरोना संकट का समय है तो कोरोना से लड़ने एक वीर बहादुर की तरह यह नेता अपने क्षेत्र की जनता को राशन पानी और सेनेटाइजर से हाथ साफ करते हुए सोशल मीडिया सहित अन्य मीडिया माध्यमों पर दिख रहे है। हालंकि इस दौरान इन्हें न तो सोशल डिस्टेंशिंग का ख्याल है और न ही कोरोना संक्रमण का डर क्योंकि सरकार उनकी पार्टी की है तो प्रशासन भी हाथ बांधे उनके सामने खड़ा है। वही इस तरह की सामाजिक सेवा करता कोई आम नागरिक या विपक्ष का नेता होता तो प्रशासन उस का दंडात्मक कार्यवाही कर देता। इस बारे में महाकवि तुलसीदास ने भी कहा है कि समरथ को नहीं दोष गोसाई। 

 

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लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा के अंदर भी ऊहपोह की स्थिति बनी हुई है। क्योंकि जिन बागी कांग्रेसी नेताओं की वजह से राज्य में उन्होनें सत्ता में वापसी की है उनसे किए हुए वादे भी पार्टी को निभाना है। कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक कमलनाथ सरकार के 6 मंत्री और विधायकों को भी बीजेपी को संतुष्ट करना है। वही सबसे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्य सभा भेजने और पार्टी में सम्मानजनक स्थिति देने पर भी भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व विचार कर रहा होगा। यही कारण है कि मुख्यमंत्री को शपथ दिलाने के बाद शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार खटाई में पड़ा हुआ है। जबकि सूत्र कहते है कि प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव जैसे दिग्गज नेता सरकार में अपनी भागीदारी का इंतजार बडी ही बेसब्री से कर रहे है। लेकिन चूँकि मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए नेताओ और पार्टी के नेताओं का सामंजस्य बिठा कर करना है। इसलिए भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है जिसके निर्णय के बाद ही मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार होगा।


- दिनेश शुक्ल

 

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