By दिनेश शुक्ल | Aug 16, 2019
भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार सत्ता का विकेन्द्रीकरण करने जा रही है। जिसके तहत जिला सरकारे गठित की जाएगी और ये जिला सरकारें प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में काम करेंगी। जिला सरकार में जिले के प्रभारी मंत्री मुख्यमंत्री की तरह ही पॉवरफुल होंगे। वे संबंधित जिले के बारे में निर्णय लेने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र भी होंगे। मध्यप्रदेश में जिला सरकार की व्यवस्था तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार में लागू थी। जिसे प्रदेश में 16 साल पहले भाजपा सरकार बनने के बाद समाप्त कर दिया गया था।
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प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद एक बार फिर जिला सरकार व्यवस्था लागू करने को लेकर काम शुरू हो गया है। हालांकि कमलनाथ सरकार बदली हुई परिस्थितियों और संशोधनों के हिसाब से लागू करने की योजना बना रही है। योजना एवं आर्थिक सांख्यकीय विभाग ने मसौदा तैयार कर इसे सामान्य प्रशासन विभाग को भेज दिया है जिस पर कैबिनेट की मोहर लगना बाकी है। जिला सरकार चलाने के लिए सरकार ने नई व्यवस्था का पूरा डॉफ्ट तैयार किया गया है।
दिग्विजय सिंह शासन काल में सत्ता का विकेन्द्रीकरण करते हुए जिला सरकारों का गठन किया गया था। जिसे प्रदेश में साल 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद समाप्त कर दिया गया। प्रदेश में लागू होने वाली नई जिला सरकार व्यवस्था में हर विकासखंड(ब्लाक) को अलग से फंड मिलेगा साथ ही जिले के भीतर तृतीय और चतुर्थ कर्मचारीयों की पदस्थापना के अधिकार भी जिला सरकार को होगें। जिला सरकार के अंतर्गत आने वाली जिला योजना समिति का आकार बढाकर इसे और अधिकार दिए जाएगें। प्रदेश की कमलनाथ सरकार का मानना है कि इससे विकास कार्यों को और गति मिलेगी।
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जिला सरकार गठन होने के साथ ही प्रभारी मंत्रीयों के अधिकार और बढ़ जाएंगे। जिला सरकार गठित होने पर लोगों के काम आसानी से जिले के जिले में ही हो जाया करेगें और उन्हें राजधानी भोपाल स्थित विभाग के मुख्यालय में चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन और पीएचई जैसे विभाग जिले में तैयार होने वाली योजनाओं की संक्षेपिका जिला सरकार को पेश करेगी और जिला सरकार इसका विश्लेषण और परीक्षण कर मंजूरी देगी। जिला सरकार की मंजूरी के बाद वित्त विभाग से बजट की मंजूरी होगी। विभागों के तय लक्ष्यों और कामों पर निगरानी भी जिला सरकार करेगी।
वही दिग्विजय शासन काल की जिला सरकार व्यवस्था को लागू करने के पीछे राजनीतिक पंडित इसके पीछे गुटों में बंटी काँग्रेस की प्रणाली का तर्क देते है। चूंकि काँग्रेस पार्टी गुटो में बटी हुई है और दस साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह अपनी राजनीतिक ताकत प्रदेश में बनाए रखना चहते है यही वजह है कि दिग्विजय सिंह जिला सरकार के गठन में अपने समर्थकों को जगह दिलावाएगें। साथ ही पार्टी के कई कार्यकर्ताओं को भी जगह इन जिला सरकारों में मिलेगी। लेकिन यहाँ अहम सवाल यह है कि क्या वास्तव में कमलनाथ सरकार तत्कालीन दिग्विजय सरकार की व्यवस्था को लागू कर वास्तव में सत्ता का विक्रेन्द्रीकरण करने जा रही है। जिससे उनको सरकार चलाने में कोई दिक्कत न हो और उनकी सरकार सुरक्षित चलती रहे।