By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 03, 2020
इंदौर। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शुक्रवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार देश में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने पर फिलहाल कोई विचार नहीं कर रही है। हालांकि, उन्होंने सवाल भी उठाया कि देश के नागरिकों का पंजीयन क्यों नहीं किया जाना चाहिए?
विजयवर्गीय ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वैसे तो प्रधानमंत्री खुद कह चुके हैं कि देश भर में एनआरसी लागू करने पर केंद्र सरकार का अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। लेकिन एनआरसी है क्या? यह देश के नागरिकों के पंजीयन की प्रक्रिया है। यह पंजीयन क्यों नहीं होना चाहिए? उन्होंने कहा कि हमें पता होना चाहिए कि हमारे देश में कौन रह रहा है। यह देश कोई धर्मशाला थोड़े ही है।
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भाजपा महासचिव ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर विपक्ष के रुख पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, सीएए में इस्लाम के खिलाफ भला क्या है? इस कानून से हिंदुस्तान के मुसलमानों की नागरिकता पर कोई खतरा नहीं है। लेकिन वामपंथी दलों समेत गैर जिम्मेदार विपक्ष गंदी राजनीति के षड़यंत्र के तहत सीएए को लेकर दुष्प्रचार कर रहा है और देश में अराजकता फैलाने का प्रयास कर रहा है।
उन्होंने सीएए के समर्थन में दावा किया, देश की आजादी के बाद खुद महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक के रूप में रहने वाले सिख और हिंदू यदि ऐसा महसूस करें कि वे भारत आना चाहते हैं, तो भारत न सिर्फ उनका स्वागत करेगा बल्कि उनके रोजगार और अन्य प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति भी करेगा।
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भाजपा महासचिव ने कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए कहा, कुछ राजनीतिक दल महात्मा गांधी के नाम पर केवल वोट मांगते रहे हैं। लेकिन हमारी पार्टी (भाजपा) के नेता महात्मा गांधी की कही बातों को देश में साकार कर दिखाते हैं, चाहे वह स्वच्छ भारत अभियान हो या नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) हो।
विजयवर्गीय से उस किताब के बारे में सवाल पूछा गया जो कांग्रेस सेवा दल ने भोपाल में गुरुवार को आयोजित राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में बांटी थी। किताब में हिंदुत्व की राजनीतिक विचारधारा के जनक कहे जाने वाले विनायक दामोदर सावरकर को लेकर कथित तौर पर आपत्तिजनक बातें कही गयी हैं।
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इस पर उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति आसमान की ओर देखकर थूकेगा, तो थूक उसी के चेहरे पर गिरेगा। सावरकर के खिलाफ कांग्रेस कितनी भी टिप्पणियां कर ले, इससे उन जैसे देशभक्त की प्रतिष्ठा पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन इससे कांग्रेस का चेहरा निश्चित तौर पर बेनकाब हो जायेगा।