By नीरज कुमार दुबे | Apr 22, 2025
शिवभक्तों के लिए झूम उठने वाली खबर आई है। हम आपको बता दें कि पांच साल के इंतजार के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल फिर से शुरू होने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के प्रयासों के चलते सुधरते भारत-चीन संबंधों की वजह से कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू हो रही है। यात्रा की तारीखें सामने आ चुकी हैं और उत्तराखंड सरकार तैयारियों में जुट गयी है। हम आपको बता दें कि कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल बाद इस वर्ष 30 जून से शुरू होगी जिसका मार्ग उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 17 हजार फुट की उंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रे से होगा। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार हर वर्ष आयोजित होने वाली यह यात्रा 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गयी थी और उसके बाद से यह संचालित नहीं हो पायी लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विशेष प्रयासों से इस वर्ष यह संभव हो पाया है। विज्ञप्ति के अनुसार उत्तराखंड सरकार एवं भारतीय विदेश मंत्रालय के तत्वाधान में आयोजित होने वाली इस यात्रा के संबंध में सोमवार को नयी दिल्ली में एक बैठक की गयी जिसमें इसके संचालन का जिम्मा कुमाऊं मंडल विकास निगम को सौंपा गया। यह यात्रा दिल्ली से 30 जून को शुरू होगी जिसमें 50-50 व्यक्तियों के कुल पांच दल होंगे और इस प्रकार इस यात्रा में ढ़ाई सौ श्रद्धालु शामिल होंगे।
कैलाश मानसरोवर यात्रा करने वाला प्रथम दल 10 जुलाई को लिपुलेख दर्रे से होते हुए चीन में प्रवेश करेगा तथा अंतिम यात्रा दल 22 अगस्त को चीन से भारत के लिए प्रस्थान करेगा। विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रत्येक दल दिल्ली से प्रस्थान कर उत्तराखंड के चंपावत जिले के टनकपुर में एक रात, पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में एक रात, गुंजी में दो रात तथा नाभीढांग में दो रात रुकने के बाद चीन के तकलाकोट में प्रवेश करेगा। इसमें कहा गया कि कैलाश दर्शन के उपरान्त वापसी में चीन से प्रस्थान कर पिथौरागढ़ जिले के बूंदी में एक रात, चौकोड़ी में एक रात, अल्मोड़ा में एक रात रुकने के बाद दिल्ली पहुंचेगा। इस प्रकार, प्रत्येक दल द्वारा कुल 22 दिनों की यात्रा की जायेगी।
विज्ञप्ति के अनुसार, कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले सभी यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण पहले दिल्ली में और उसके बाद गुंजी में किया जायेगा। हम आपको बता दें कि चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील का काफी धार्मिक महत्व है। हिंदुओं की मान्यता है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का वास स्थल है और उसकी परिक्रमा करने तथा मानसरोवर झील में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हम आपको यह भी बता दें कि गत सप्ताह ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि कैलाश मानसरोवर यात्रा के जल्द ही दोबारा बहाल होने की उम्मीद है और इसकी तैयारियां की जा रही हैं। भारत और चीन ने पिछले वर्ष अक्टूबर में हुए समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग के दो शेष टकराव बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी पूरी करने के बाद संबंधों को सुधारने के प्रयासों के तहत कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा और उड़ान सेवाओं को फिर से शुरू करने का कदम भारत और चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चार साल से अधिक समय से चल रहे सैन्य गतिरोध की वजह से प्रभावित संबंधों को सुधारने के प्रयासों का हिस्सा है।