By अनन्या मिश्रा | Jan 01, 2025
पहले कांग्रेस और अब भारतीय जनता पार्टी के सबसे कद्दावर नेता केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आज यानी की 01 जनवरी अपना 54वां जन्मदिन मना रहे हैं। बता दें कि सियासी नजरिए से देखा जाए, तो सिंधिया के लिए पिछले दो साल काफी महत्वपूर्ण रहे। अगर मध्यप्रदेश से किसी राजघराने का सबसे अधिक प्रभाव रहा है, तो वह ग्वालियर के सिंधिया परिवार का रहा है। सिंधिया परिवार से ताल्लुक रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूदा समय में मध्य प्रदेश के बड़े राजनेताओं में से एक हैं। तो वहीं केंद्र में भी उनका रौब बढ़ा है। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
मुंबई में 01 जनवरी 1971 को ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म हुआ था। उनको सियासत विरासत में मिली थी। सिंधिया परिवार भारतीय राजनीति के उन चुनिंदा परिवारों में से एक हैं, जिनके पास राजशाही विरासत के साथ लोकतंत्र में रसूख भी कायम है। फिर सिंधिया चाहे कांग्रेस में हों या फिर भाजपा में, हर जगह उनका रुतबा कायम है। बता दें कि पिता माधवराज सिंधिया की मौत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजनीति में कदम रखा था। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस से अपने सियासी सफर की शुरूआत की थी।
अहम रहे दो साल
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साल 2020 में मध्यप्रदेश की सियासत में बड़ा सत्ता परिवर्तन किया। यह प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में दर्ज हो गया। भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद सिंधिया के सियासी सितारे परवान चढ़ने लगे। वहीं साल 2021 में ज्योतिरादित्य सिंधिया का सियासी कद तेजी से बढ़ा।
मोदी सरकार में परवान चढ़े सितारे
भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद 07 जुलाई 2021 का दिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए सबसे अहम रहा था। इस दिन ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोदी सरकार में जगह मिली थी। इस दौरान सिंधिया को नागरिक उड्डयन जैसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। खास बात यह रही ज्योतिरादित्य को यहां भी विरायत मिली, क्योंकि उनके पिता माधवराव भी नागरिक उड्डयन मंत्रालय के मंत्री थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया मोदी टीम के अहम सदस्यों में से एक हैं और उनके जिम्मे कई अहम प्रोजेक्ट भी हैं। वहीं सिंधिया को भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी शामिल किया गया।
सीएम पद के प्रबल दावेदार थे सिंधिया
बता दें कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार बनीं, तो ज्योरादित्य को सीएम पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। लेकिन कांग्रेस ने सिंधिया की जगह कमलनाथ को सीएम बनाया और इसके बाद ज्योतिरादित्य और कमलनाथ में तल्खी बढ़ने लगी। फिर साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गए। ज्योतिरादित्य के साथ उनके 22 समर्थकों ने भी कांग्रेस का दामन छोड़ दिया। इस वजह से कमलनाथ को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। फिर राज्य में भाजपा की सरकार आई और ज्योतिरादित्य सिंधिया मोदी सरकार की टीम का अहम हिस्सा भी बन गए हैं।