पहले भी चर्चा में रहे हैं UP चुनाव को टालने का सुझाव देने वाले जस्टिस, गाय और भगवान राम को लेकर कही थी यह बात

By अनुराग गुप्ता | Dec 24, 2021

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोरोना के नए वेरिएंट 'ओमीक्रोन' के बढ़ते खतरे के बीच केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से चुनावी रैलियों पर रोक लगाने तथा चुनावों को टालने पर विचार करने का आग्रह किया। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने गुरुवार को एक मामले में याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए कहा कि कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के मरीजों की संख्या बढ़ रही है और तीसरी लहर आने की आशंका है। उन्होंने कहा कि इस भयावह महामारी को देखते हुए चीन, नीदरलैंड, जर्मनी जैसे देशों ने पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है। 

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गाय को घोषित किया जाए राष्ट्रीय पशु

इससे पहले भी जस्टिस शेखर कुमार यादव की कई बार टिप्पणी सामने आ चुकी है। उन्होंने सितंबर में कहा था कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए और गौरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार में रखा जाए क्योंकि जब देश की संस्कृति और उसकी आस्था पर चोट होती है तो देश कमजोर होता है। गौहत्या मामले में आरोपी जावेद की जमानत याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने कहा था कि गौहत्या के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए संसद को एक कानून बनाना चाहिए।

भगवान के सम्मान के लिए लाना चाहिए कानून

वहीं, अक्टूबर में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संसद को भगवान राम, भगवान कृष्ण, रामायण और इसके रचयिता वाल्मीकि, गीता और इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास को राष्ट्रीय सम्मान देने के लिए कानून लाने की नसीहत दी थी। जस्टिस शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि संसद को भगवान राम, भगवान कृष्ण, रामायण और इसके रचयिता वाल्मीकि, गीता और इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास को सम्मान देने के लिए एक कानून लाया जाना चाहिए क्योंकि वे भारत की संस्कृति और परम्परा हैं। 

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गौरतलब है कि जस्टिस शेखर कुमार यादव ने गुरुवार को कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में हमने देखा कि लाखों की संख्या में लोग संक्रमित हुए और लोगों की मृत्यु हुई। ग्राम पंचायत और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के कारण बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए और उनकी मृत्यु हुई। कोर्ट ने कहा कि अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव निकट है जिसके लिए सभी पार्टियां रैलियां, सभाएं आदि करके लाखों लोगों की भीड़ जुटा रही हैं जहां कोरोना प्रोटाकॉल का पालन किसी रूप में संभव नहीं है।

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