By अंकित सिंह | Nov 27, 2020
बंगाल विधानसभा चुनाव में कूदने से पहले ममता बनर्जी भाजपा के हर उस मुद्दे को खत्म कर देना चाहती है जिसके सहारे भगवा पार्टी पश्चिम बंगाल में अपनी जड़ें मजबूत करने में जुटी हुई है। तभी तो ममता बनर्जी ने भाजपा से बड़ा मुद्दा छीन लेते हुए पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य योजना ‘स्वास्थ्य साथी’ का ऐलान कर दिया है। ‘स्वास्थ्य साथी’ का लाभ एक दिसंबर, 2020 से अब प्रदेश के प्रत्येक परिवार और व्यक्ति को प्राप्त होगा। केन्द्र की योजना ‘आयुष्मान भारत’ के साथ तुलना करते हुए बनर्जी ने कहा कि केंद्रीय योजना को राज्यों के साथ 60:40 के अनुपात में लागू किया जाता है, जबकि ‘स्वास्थ्य साथी’ पर आने वाला पूरा वित्तीय खर्च पश्चिम बंगाल सरकार उठाती है। बनर्जी ने पत्रकारों से कहा कि इससे पहले हमने ‘स्वास्थ्य साथी’ के तहत कम से कम 7.5 करोड़ लोगों को लाभ देने का फैसला लिया था। आज मैं घोषणा करती हूं कि इस योजना के तहत पश्चिम बंगाल के प्रत्येक परिवार, प्रत्येक व्यक्ति, बुजुर्ग, बच्चे या महिला सभी को इस योजना के तहत लाभ मिलेगा, फिर चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों।
ममता बनर्जी ने इस ऐलान के साथ ही भाजपा से बहुत बड़ा मुद्दा छीन लिया है। भाजपा पश्चिम बंगाल में लगातार केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना को नहीं लागू करने को लेकर टीएमसी सरकार पर आरोप लगाते थी। भाजपा यह भी कहते थी कि ममता को बंगाल वासियों से कोई मतलब नहीं है। वह सिर्फ और सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति करती हैं। इस योजना को लागू करते समय ममता बनर्जी ने आयुष्मान भारत योजना को लेकर केंद्र सरकार से कई सवाल भी पूछे। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत के लिए केन्द्र सरकार महज 60 प्रतिशत राशि देती है। बाकी 40 प्रतिशत कौन देगा? अगर आम आदमी को पांच लाख के बीमा के लिए 2.5 लाख रुपये देने पड़ें तो वह ऐसा बीमा क्यों कराएगा। हमारी स्वास्थ्य साथी योजना पूरी तरह से सरकार द्वारा वित्त पोषित है। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने कहा कि केन्द्र अगर योजना के लिए पूरा 100 प्रतिशत खर्च उठाने को तैयार है तो वह उसका स्वागत करेंगी। उन्होंने कहा कि अगर वे आयुष्मान भारत का पूरा खर्च उठाना चाहते हैं तो वह इसे चलाएं। वे ऐसा क्यों नहीं करते हैं।
ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में भाजपा के हिंदुत्व कार्ड को भी कमजोर करने की कोशिश में जुटी हुई हैं। भाजपा के हिंदुत्व पर ममता बनर्जी अब बंगाली अस्मिता को लेकर सामने आई हैं। इतना ही नहीं, दुर्गा पूजा के दौरान पूजा पंडालों को नगदी सहायता देकर ममता बनर्जी ने भाजपा के हिंदुत्व वाले एजेंडे को कमजोर करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है। ममता बनर्जी किसी भी हालत में पश्चिम बंगाल में भाजपा को मजबूत होते नहीं देना चाहती। इसका कारण यह है कि अगर वहां भाजपा मजबूत होती है तो ममता की सत्ता से पकड़ कमजोर हो सकती है। वर्तमान में ममता के लिए परिस्थितियां भी अनुकूल नहीं है। पार्टी के कई नेताओं के अंदर भी नाराजगी दिखाई दे रही है। इसका खामियाजा भी ममता को उठाना पड़ सकता है।
ममता बनर्जी इस बात को भलीभांति समझती हैं कि केंद्र की योजनाएं पश्चिम बंगाल में नहीं लागू करने को लेकर भाजपा उनके खिलाफ बड़ा मुद्दा जरूर बनाएगी। पश्चिम बंगाल में केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू नहीं करने के ममता के निर्णय को भाजपा राजनीति से प्रेरित निर्णय बताएगी और यह कहेगी कि वह जनता का भला ही नहीं चाहती। ममता को यह अच्छे तरीके से पता है कि वर्तमान में उनके साथ सिर्फ और सिर्फ बंगाली अस्मिता और उनके द्वारा किया गया काम है जो भाजपा से लड़ाई में उनकी मदद कर सकता है। ऐसे में वे अपने काम को लेकर गांव गांव तक पहुंचने की कोशिश में हैं। यह बात भी अच्छी तरीके से पता है कि आने वाला चुनाव उनके और भाजपा के बीच ही होगा। वे वाम और कांग्रेस को फिलहाल वोट कटवा के रूप में देख रही हैं जिनके मजबूत होने से टीएमसी को ही नुकसान होगा।