बाटला हाउस एनकाउंटर की सच्चाई को बेहद करीब से दिखाने की ईमानदार कोशिश है

By रेनू तिवारी | Aug 16, 2019

नयी दिल्ली। देश में ऐसे कई विवादित मद्दे हैं जिन पर आज तक सबकी राय एक मत नहीं हुई। लोगों के ज़हन में आज भी उन मुद्दों को लेकर असमंजस बना हुआ है। इनमें से एक मुद्दा है बाटला हाऊस का एनकाउंटर। इस मुद्दे से जुड़े तथ्यों और सबूतों के आधार पर आज भले ही दिल्ली पुलिस को क्लीनचिट मिल गई हो लेकिन दबे स्वर में कुछ लोग आज भी इस एनकाउंटर को फेक मानते हैं। निर्देशक निखिल अडवानी ने इसी विवादित मुद्दे को लेकर फिल्म 'बाटला हाऊस' बनाई है, इस फिल्म में लीड रोल में जॉन अब्राहम हैं। फिल्म बाटला हाऊस (Batla House) को 15 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज किया गया। अगर आप फिल्म देखने के लिए जा रहे हैं तो जान लीजिए कैसी हैं फिल्म बाटला हाऊस- 

फिल्म की कहानी

देश के कई शहरों में सिलसिलेवार तरीके से बम धमाके हुए थे। इन धमाकों की बड़े स्तर पर जांच चल रही थी। इसी मामले से जुड़ी एक खबर दिल्ली पुलिस को मिलती है जिसकी पड़ताल के लिए दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के अफसर के के यानी (रवि किशन) और संजीव कुमार यादव (जॉन अब्राहम) अपनी टीम के साथ बाटला हाऊस एल-18 नंबर की इमारत की तीसरी मंजिल पर पहुंचते हैं। सामने कुछ कम उम्र के इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकी एक जुट बैठे किसी नये धमाके की प्लानिंग कर रहे होते हैं, संजीव कुमार यादव की टीम वहां पहुंचती हैं और आतंकियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ शुरू हो जाती है। इस मुठभेड़ में कई आतंकी मारे जाते हैं और एक वहां से भाग निकलता है साथ ही संजीव कुमार यादव की टीम के ऑफिसर के. के. की भी इस दौरान गोली लगने से मौत हो जाती है। 

संजीव कुमार यादव (जॉन अब्राहम) की टीम की तरफ से किये गये इस एनकाउंटर पर सवाल खड़े किये जाते हैं। राजनीतिक पार्टियों और मानवाधिकार संगठनों द्वारा संजीव कुमार यादव की टीम पर बेकसूर स्टूडेंट्स को आतंकी बताकर फेक एनकाउंटर करने के गंभीर आरोप लगते हैं। इस एनकाउंटर द्वारा देश में सांप्रदायिक हिंसा बढ़ाई जाने लगती है। आतंकियों को बेकसूर स्टूडेंट्स कह कर एक समुदाय का हीरों बनने की कोशिश राजनीतिक पार्टियां करने लगती है। इन सब के चलते संजीव कुमार यादव ट्रॉमैटिक डिसॉर्डर जैसी मानसिक बीमारी से गुजर रहे होते हैं। राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ पुलिस विभाग में भी संजीव कुमार यादव के खिलाफ राजनीति होती है। जांच को आगे बढ़ाने और खुद को निर्दोष साबित करने के सिलसिले में उसके हाथ बांध दिए जाते हैं। इस सब हालात से संजीव कुमार यादव परेशान रहते हैं इस दौरान उनकी पत्नी का रोल निभा रही (मृणाल ठाकुर) एक अच्छी पत्नी बन कर उनका साथ देती हैं। अब क्या संजीव कुमार यादव अपने आपको सही साबित कर पाते हैं या नहीं? इसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

बाटला हाऊस मूवी रिव्यू

डायरेक्शन

फिल्म की सबसे खास बात यह है कि फिल्म में किसी भी तरह के तथ्यों को थोपा नहीं गया है। विवाद जिस चीज पर हुआ, सवाल जिस मुद्दे पर उठाए गये, कैसे राजनीतिक पार्टियों ने इस मुद्दे पर अपनी वोट की रोटियां सेंकी... इन सब चीजों को बिना मिर्च-मसाला लगाए दर्शकों के सामने कई परतों के साथ परोसा गया है। फिल्म को बहुत ही रियलिस्टिक रखा है। फिल्म निर्देशक निखिल अडवानी उस समय के हालात और तमाम दृष्टिकोणों को दर्शकों को समझाने में कामयाब रहे हैं। 

स्क्रिप्ट 

फिल्म की कहानी सिलसिलेवार तरीके से लिखी गई है। हर एक बिंदु को काफी बरिकियों को ध्यान में रख कर जोड़ा गया है। पुलिस की जांबाजी, अपराधबोध, बेबसी, पुलिस की दागदार होती साख, पॉलिटिकल पार्टीज की राजनीति, मानवाधिकार संगठनों का आक्रोश, धार्मिक कट्टरता, मीडिया के प्रोजेक्शन और प्रेशर सब चीजों को फिल्म में निष्पक्ष रूप से लिखा गया है। पुलिस को कहीं भी महिमामंडित नहीं किया गया है। पुलिस खुद अंडरडॉग है। फिल्म में कई ऐसे दमदार डायलॉग्ज हैं जिसे सुनकर सिनेमाघरों में तालियां और सीटियां बजने लगती हैँ। जैसे- एक सीन में संजीव कुमार यादव कहता है 'एक टैरेरिस्ट को मारने के लिए सरकार जो रकम देती है, उससे ज्यादा तो एक ट्रैफिक पुलिस एक हफ्ते में कमा सकता है।' 

कलाकार

जॉन अब्राहम एक अच्छे एक्टर हैं। उनकी शुरूआती फिल्मों को नजर अंदाज कर दिया जाए तो कुछ समय से वह गंभीर और देश से जुड़े मुद्दों पर फिल्म करते आ रहे हैं, लेकिन जॉन ने फिल्म बाटला हाऊस में अब तक की सबसे दमदार एक्टिंग की है। पुलिस अफसर संजीव कुमार यादव के किरदार को जॉन अब्राहम ने बखूबी निभाया है। कहते हैं कि एक्टर की एक्टिंग अच्छी हो तो कमजोर फिल्म को चलाया जा सकता है लेकिन फिल्म बाटला हाऊस का डायरेक्शन, स्क्रिप्ट और कास्ट सब कुछ दमदार है। 

कलाकार- जॉन अब्राहम, मृणाल ठाकुर, नोरा फतेही, रवि किशन 

निर्देशक- रवि किशन 

मूवी टाइप- एक्शन, ड्रामा 

अवधि- 2 घंटा 26 मिनट

रेटिंग- 4 स्टार

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