By मिथिलेश कुमार सिंह | Aug 03, 2021
एक तो लोगों को नौकरी मिलना आज के समय में बेहद मुश्किल का कार्य है, वहीं कई लोग भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें एक नौकरी छोड़ने से पहले ही दूसरी नौकरी मिल जाए! ऐसे में थोड़ी ग्रोथ के लिए लोगबाग जल्दी-जल्दी नौकरी चेंज करने लगते हैं। शायद आप भी उनमें से हों, किन्तु अगर आप भी जल्दी जल्दी नौकरी चेंज करते हैं तो यह जान लें कि शार्ट टर्म में बेशक इसके कुछ फायदे दिखें, किन्तु दीर्घावधि में इसका काफी नुक्सान होता है।
हालांकि अभी के समय में हालात यह हैं कि अब पहले की तरह लोग एक ही नौकरी पर बहुत दिन तक कार्य नहीं करते हैं, बल्कि नौकरी चेंज करने में वह अपनी ग्रोथ देखते हैं, और उसी अनुरूप डिसीजन भी लेते हैं।
किंतु जॉब बदलने का फैसला कुछ मामलों में बेशक ठीक लगता है, किंतु कुछ मामलों में यह कहीं ना कहीं नुकसान देता है। आइये जानते हैं...
अगर फायदे की बात करें तो आप यह जान लीजिए कि जॉब बदलने में सबसे पहले तो कुछ परसेंट ही सही, मगर आपकी सैलरी बढ़ जाती है।
निश्चित रूप से हर व्यक्ति चाहता है कि उसे उसके काम के अधिक से अधिक पैसे मिलें, और एक नौकरी में अगर उस अनुरूप ग्रोथ नहीं होती है, तो वह जॉब बदलना चाहता है, और ऐसे में उसे तुरंत ही ग्रोथ मिल जाती है।
वहीं अगर दूसरे फायदे की बात करें तो इससे पर्टिकुलर इंडस्ट्री में आपका नेटवर्क बेहतर होता है। अगर एक कंपनी में आप जॉब करते हैं, फिर दूसरी कंपनी में जाते हैं, और इस तरीके से अलग-अलग कंपनी में आपका बेस तैयार होता चला जाता है। इसके अलावा सबसे बड़ी बात यह है कि एक ही कंपनी में काम करने पर आप कंफर्ट जोन में आ जाते हैं। आपकी स्किल कहीं ना कहीं सैचुरेट हो जाती है, तो दूसरी कंपनी में जब आप जाते हैं, तो वहां कुछ ना कुछ नया सीखने को अवश्य मिलता है। चाहे वहां आपका नया सीनियर हो, चाहे वहां का इनवायरमेंट हो, आप उस कंपनी से नई चीजें जरूर सीखते हैं, और यह वह चीज है जो आपको आने वाले दिनों में मजबूती करती है।
इसके अलावा कई भारत लोग एक जगह पर कार्य करने से बोर भी हो जाते हैं, ऐसे में नयी जॉब में उन्हें नयापन भी मिलता है। हालांकि यह इसका पॉजिटिव पक्ष है, किंतु कुछ निगेटिव पक्ष भी हैं, जिन्हें आपको अवश्य ध्यान में रखना चाहिए।
नुकसान की बात करें तो बार बार जॉब चेंज करने से पोजीशन के मामले में आपके आगे बढ़ने पर असर पड़ सकता है। जी हाँ! एक ही कंपनी में जब आप काम करते हैं, तो वहां आपकी कांस्टेंट ग्रोथ होती है। वहां आपको प्रमोशन मिलता रहता है, किंतु जब आप दूसरी कंपनी में जाते हैं, तो सीनियर पोजिशन पर आपको पहुंचने में कहीं ना कहीं दिक्कत होती है।
इससे आपकी लॉयल्टी भी चेक की जाती है। अगर आप कुछ ज्यादा ही जॉब चेंज करते हैं, तब आपको किसी हायर पोजिशन पर जॉब देने से एचआर मैनेजर निश्चित ही कई बार सोचेगा। कंपनी अगर किसी जिम्मेदारी वाली पोस्ट पर आप की हायरिंग कर भी लेती है, तो भी कंपनी श्योर नहीं हो पाती है कि आप आखिर कितने दिन जॉब करेंगे? कहीं आप बीच में ही जॉब छोड़ कर कहीं और तो नहीं चले जाएंगे? ऐसे में आप शक के घेरे में आ जाते हैं!
यह कार्य सिर्फ पोजीशन के मामले में ही नहीं है, बल्कि प्रोजेक्ट अलॉटमेंट के मामले में भी है, तो क्लाइंट इंटरेक्शन के मामले में भी है। जब तक आप किसी कंपनी के लम्बे समय तक वफादार नहीं होते हैं, तब तक किसी बड़े प्रोजेक्ट की कमांड आपके हाथ में देने से निश्चित रूप से वह कंपनी हिचकिचाएगी। इसी प्रकार से बड़े क्लाइंट हैंडलिंग में भी कंपनी आपको तब तक इंवॉल्व नहीं करेगी, जब तक आप उसके प्रति लॉयल साबित न हो जाएँ! ऐसे में कहीं ना कहीं बड़ी संभावनाओं से आपके दूर रहने की शुरुआत हो जाती है।
कंपनी बार-बार चेंज करने का आपके फाइनेंसियल पोजीशन पर भी खासा असर पड़ता है। चाहे आप क्रेडिट कार्ड एप्लीकेशन के लिए अप्लाई करें, चाहे आप होम लोन या दूसरे लोन के लिए अप्लाई करें. आपकी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी जरूर चेक की जाती है। आप किस कंपनी में कितने लंबे समय तक रहे हैं, यह आपके लिए एक प्लस प्वाइंट साबित होता है। वहीं अगर आप बार-बार अपनी जॉब चेंज करते हैं, तो कहीं ना कहीं आप की फाइनेंसियल स्टेबिलिटी पर एक सवाल खड़ा होता है।
मैनेजेरियल स्किल डेवलपमेंट पर पड़ता है फर्क
जी हां! ऊपर से आपको बेशक लगे कि आप कुछ चीजें ऊपर ऊपर समझ गए हैं, किंतु प्रबंधन के गुणों को आप तब तक नहीं समझ सकते, जब तक आप किसी कंपनी में देर तक नहीं टिकेंगे!
कहीं टिक कर काम करने के बाद ही कंपनी पॉलिटिक्स, प्रबंधन टेक्निक आप समझ पाते हैं। कंपनी अपने इन्वेस्टमेंट डिसीजंस किस प्रकार लेती है, वास्तव में उसकी रुचि और भविष्य की योजनायें क्या हैं, यह आप गहराई से एक समय के बाद ही समझ पाते हैं।
अगर बाद में आप कभी अपना उद्यम शुरू करना चाहें, तो इसलिए जरूरी है कि किसी कंपनी में आप देर तक टिक कर काम करें, अन्यथा आप उसकी गहराई को नहीं समझ पाएंगे।
- मिथिलेश कुमार सिंह