By अनुराग गुप्ता | Jul 28, 2021
नयी दिल्ली। किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 को संसद की मंजूरी मिल गई। राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के बीच इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई। लोकसभा में यह विधेयक 24 मार्च को पारित हो चुका है।
इस विधेयक को लेकर शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में विपक्षी दलों के नेताओं की राय सुने बिना ही इस विधेयक को मंजूरी दे दी गई। जिस तरह से बिना सदन के बिल पास किए जा रहे हैं,वह सरकार के अहंकार को दर्शाता है। यह संशोधन न सिर्फ न्याय विरोधी है बल्कि बच्चों के खिलाफ भी काम करने वाला है।
शिवसेना सांसद ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विधेयक आश्रय गृहों में किशोरों के लिए मौजूद चुनौतियों से बेखबर लगता है। यह दिखाता है कि सरकार कितनी बेशर्मी से सत्ता के केंद्रीकरण पर ध्यान देगी।उन्होंने कहा कि इस बिल के माध्यम से एक अदालत के बजाय डीएम को एक बच्चे के भाग्य का फैसला करने का अधिकार दिया गया। उन्होंने कहा कि वे न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता के बिना आश्रय गृहों, अनुपालन, गोद लेने पर निर्णय लेने वाले एकमात्र और व्यापक प्राधिकरण बन जाएंगे। यह सरकार की वेशर्मी और अहंकार को दर्शाता है।सरकार ने क्या कहा ?
उच्च सदन में विधेयक को चर्चा के लिए रखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि यह विधेयक बच्चों के हितों की रक्षा के लिए लाया गया है तथा आगामी पीढ़ी की जरूरतों को ध्यान में रखकर इसे तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि बाल कल्याण समितियों को ज्यादा ताकत दी जा रही है। इससे बच्चों का बेहतर संरक्षण करने में मदद मिलेगी।उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक में बच्चों से जुड़े मामलों का तेजी से निस्तारण सुनिश्चित करने तथा जवाबदेही बढ़ाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट तथा अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को अतिरिक्त शक्तियां देकर सशक्त बनाया गया है।