चीनी शासन के बखान के नए तरीके के साथ सामने आए जिनपिंग, लोकतंत्र का ही बना दिया मजाक

By अभिनय आकाश | Jun 30, 2022

एक मुल्क के हुक्मरानों के साथ कितनी दिक्कतें जुड़ी हो सकती हैं? ये मुल्क जो हमारे पड़ोस में है, ये मुल्क जिसका नाम चीन है। जिसने कोरोना के मामले में लापरवाही बरती और पूरी दुनिया ने इसका खामियाजा भुगता। जो पूरी दुनिया में कभी कारोबार फैलाने के नाम पर तो कभी किसी मदद को देने के नाम पर घुसपैठ कर चुका है। जो अपने यहां के अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार करता है। इसके साथ ही दूसरे देशों की सरकारी संस्थाओं में घुसकर जासूसी करता है। हांगकांग और ताइवान की संप्रभुता जिसकी वजह से खतरे में रहती है। चीन अब एक देश की बजाए एक पार्टी बन चुका है। लेकिन ये एंट्रो उसके शासक शी जिनपिंग को नागवार गुजरता है। इसलिए वो अब चीन का वर्णन करने के एक नए तरीके के साथ सामने आए हैं। 

इसे भी पढ़ें: कैसे पाई-पाई बचा रहा पाकिस्तान, चाय छोड़ लस्सी और सत्तू पीने पर दिया जा रहा जोर

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने घोषणा की कि चीन ने एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया है, जिसने अगले पांच वर्षों में देश के वरिष्ठ नेतृत्व को कैसा दिखना चाहिए, इस पर जनता की राय एकट्ठा की है। शी जिनपिंग ने कहा है कि चीन एक लोकतंत्र है।  बीजिंग ने इसे पश्चिम के लोकतंत्र के मॉडल से बेहतर बताया है। इतना ही नहीं बीजिंग ने बीते वर्ष एक वाइट पेपर पब्लिश करते हुए कहा कि चीन में लोकतंत्र काम करता है। इस साल इसी नीति को आगे बढ़ाते हुए शी जिनपिंग ने कहा कि चीन ने चीनी नागरिकों के साथ एक सर्वे किया है। जिसका मकसद लोगों से चीन के भविष्य की राजनीति को लेकर सवाल किए गए। चीन की वरिष्ठ लीडरशिप को लेकर उनके विचार लिए गए। 

इसे भी पढ़ें: जिनपिंग का मोहरा बना नॉर्थ कोरिया, किम जोंग की हिट लिस्ट में जापान और दक्षिण कोरिया

रिपोर्टों में कहा गया है कि लाखों नागरिकों ने चीन के भविष्य के नेतृत्व पर राय दी।राज्य के मीडिया आउटलेट शिन्हुआ ने कहा कि चीनी अधिकारियों ने चीन की आगामी राष्ट्रीय कांग्रेस पर 8.54 मिलियन ऑनलाइन राय एकत्र की, जहां हर पांच साल में देश के शीर्ष नेतृत्व पदों में बदलाव की घोषणा की जाती है। जिसके बाद जिनपिंग ने चीन को लोकतंत्र बताया। ये अपने आप में मजाक से कम नहीं है। चीन में सिंगल पार्टी रूल है। इसका मतलब है कि यहां सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी ही सरकार बनाती है और पार्टी का महासचिव ही प्रेसिडेंट बनता है। यहां पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को जनता नहीं चुनती बल्कि बेहद गोपनीय तरीके से एक बंद हॉल में उसके नाम की घोषणा की जाती है।

इसे भी पढ़ें: कर्ज जाल में फंसा पाकिस्तान, ड्रैगन को बेचेगा गिलगित-बाल्टिस्तान

 इसमें तो कोई शक नहीं है कि चीन ने आर्थिक विकास के कई प्रतिमान गढ़ें हैं लेकिन इस बात में भी कोई शक नहीं है कि उसने अपने यहां लोगों के सामाजिक और लोकतांत्रिक मूल्यों का गला घोटा है। उसकी विस्तारवादी नीतियों की आलोचना पूरी दुनिया में हो रही है। आलम ये है कि चीन के नागरिक खुली आवाज में कम्युनिस्ट पार्टी की आलोचना नहीं कर सकते हैं। लोगों पर कई तरह की पाबंदियां हैं।


प्रमुख खबरें

Champions Trophy: इस दिन होगा भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला, जानें दोनों टीमों के आंकड़े

बायोहैकिंग क्या है? भारत में इसका प्रचलन कैसे बढ़ा?

Recap 2024: EV कारों का दिखा जलवा, Tata Motors और MG ने मारी बाजी

Recap 2024 | आलिया भट्ट की जिगरा से लेकर अजय देवगन की मैदान तक, 5 फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस पर हुई धराशायी, जबकि उनमें क्षमता थी