By Sumit Nirwal | Sep 06, 2022
रांची। झारखंड में राजनीतिक संकट बना हुआ है। खनन पट्टा आवंटन मामले को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री नाम को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रमुख और गुरुजी के नाम से ख्याति बटोरने वाले शिबू सोरेन के नाम की चर्चा भी छिड़ी हुई है।
संकट से निपटने की योजना बना रही झामुमो
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि शिबू सोरेन महागठबंधन सरकार के तारणहार बन सकते हैं। गुरुजी अभी मौजूदा परिस्थितियों को टटोलने में लगे हुए हैं और इससे निपटने की योजना तैयार कर रहे हैं। क्योंकि हेमंत सोरेन पर विधानसभा सदस्यता रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है तो छोटे बेटे बसंत सोरेन भी मुश्किलों में घिरे हुए हैं।
आपको बता दें कि शिबू सोरेन ने झारखंड के अस्तित्व की लड़ाई में अहम भूमिका अदा की थी और तो और उन्हें आदिवासियों का सबसे बड़ा नेता माना जाता है, जिनका तमाम दल सम्मान करते हैं। धान काटो आंदोलन से लेकर झामुमो के उदय तक उन्होंने काफी लंबा सघर्ष किया है और फिर तीन बार प्रदेश की सत्ता भी संभाल चुके हैं। मौजूदा हालातों के बीच हेमंत सोरेन ने विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास मत भी हासिल कर लिया है। खैर यह दूसरी बात है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सदन से वॉकआउट कर दिया था।
इन नामों पर भी हो रही चर्चा
मौजूदा हालातों में अगर मुख्यमंत्री बदलने की नौबत आई तो किसे मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है ? यह सवाल काफी ज्यादा अहम है। कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन चाहते हैं कि मुख्यमंत्री पद परिवार में ही रहे। ऐसे में मां रूपी सोरेन, पत्नी कल्पना सोरेन या फिर भाभी सीता सोरेन के नाम पर विचार किया जा सकता है। ज्ञात हो तो कुछ वक्त पहले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया था कि झारखंड में भाभी जी की ताजपोशी हो सकती है। उन्होंने हेमंत सोरेन पर तंज कसते हुए एक ट्वीट में लिखा था कि झारखंड में भाभी जी के ताजपोशी की तैयारी,परिवारवादी पार्टी का बेहतरीन नुस्ख़ा गरीब के लिए...
शिबू सोरेन हो सकते हैं पहली पसंद
शिबू सोरेन को सभी दलों के नेता पसंद करते हैं। ऐसे में अगर मुख्यमंत्री बदलना पड़ा तो नेताओं की पहली पसंद गुरुजी हो सकते हैं। लेकिन उनका स्वास्थ्य ज्यादा कुछ ठीक नहीं है, ऐसे में वो इस पद को स्वीकारेंगे भी या नहीं ? यह देखना भी दिलचस्प होगा। खैर सत्तारूढ़ दल को राज्यपाल रमेश बैस के फैसले का इंतजार है क्योंकि चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता को रद्द करने की अपनी सिफारिश राजभवन को भेज दी थी।