जेसिका लाल हत्याकांड: किरदार पलटते रहे, बयान बदलते रहे, मीडिया ने निभाया अहम रोल

By अभिनय आकाश | Jun 06, 2020

देश में अपराध हर रोज होते हैं, लेकिन कुछ वारदातें ऐसी होती हैं जो सालों तक याद की जाती हैं। एक ऐसा ही केस है मशहूर माडल जेसिका लाल हत्याकांड। जेसिका लाल के कत्ल की वारदात और उसके बाद उस केस की तफ्तीश और सुनवाई अपने आप में किसी सस्पेंस थ्रिलर फिल्म की तरह थे। कत्ल की वारदात जिसमें किरदार दर किरदार पलटते रहे, बयान दर बयान बदलते रहे। जेसिका लाल केस इतना चर्चित रहा है कि इस पर फिल्म भी बन चुकी हैं। हमारी चेतना में ‘जेसिका लाल’ के साथ हत्याकांड इतनी शिद्दत के साथ जुड़ा है, जो बताता है कि एक मौत किस कदर तमाशा बन सकती है। जेसिका की ज़िंदगी, उसकी मौत और फिर उसे मारने वाले मनु शर्मा उर्फ सिद्धार्थ वशिष्ठ से जुड़ी कोई भी बात होती है, खबर बन जाती है। और जब बात जिंदगी लेने वाले की रिहाई से जुड़ी हो तो घटना की गंभीरता के लिहाजे से इतिहास के पन्नें टटोलना वक्त की मजबूरी भी है और जानकारी दुरुस्त करने की जरूरत में जरूरी भी। जेसिका लाल हत्याकांड कई सालों तक काफी सुर्खियों में रहा एक बार फिर से मामले को लेकर चर्चाएं तेज हैं जब दोषी मनु शर्मा की रिहाई की खबरें सामने आई और  21 साल पुराना यह केस सुर्खियों में आ गया।

जेसिका लाल हत्याकांड क्या है, केस कैसे-कैसे चला, क्या-क्या मोड़ आएं, कोई असरदार आदमी होता है तो वह कानून का किस कदर फायदा उठाता है, कैसे वह पुलिस की इन्वेस्टिगेशन का रुख मोड़ने के लिए मजबूर कर देता है। कैसे गवाहों को खरीद लिया जाता है और गवाह मुकर जाते हैं। फॉरेंसिक साइंस के डॉक्टर तक खरीद लिए गए। पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन लाइन बदल दी। यह सारी चीज जेसिका लाल मर्डर केस में हुई। आज इस केस की पूरी कहानी बताते हैं। इस केस की कहानी शूरू हुई थी दिल्ली के एक रेस्टोरेंट से जहां एक हाई प्रोफाइल पार्टी चल रही थी।

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29 अप्रैल 1999 को महरौली स्थित टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में सोशलाइट बीना रमानी ने पार्टी दी थी। इसमें राजधानी की कई नामी हस्तियों ने शिरकत की थी। डांस फ्लोर पर नौजवान लड़के-लड़कियां थिरक रहे थे, शराब के जाम छलक रहे  थे। लेकिन डांस फ्लोर पर थिरकते रईसजादे और शराब के जाम छलका रहीं पेज थ्री सिलेब्रेटी आने वाले खतरे से बेखबर थे। उन्हें पता भी नहीं था कि उस रात के बाद टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में फिर कभी कोई पार्टी नहीं होगी। इस पार्टी में जेसिका लाल भी मौजदू थीं और साथ ही मौजूद था मनु शर्मा। रात के 2 बज रहे थे, पार्टी में शराब सर्व होने का टाइम खत्म हो चुका था। तभी मनु शर्मा ने जेसिका लाल से शराब की मांग की। जेसिका ने मना किया। नाराज मनु शर्मा ने अपनी पिस्टल से फायरिंग की। पहली गोली हवा में और दूसरी जेसिका को लगी। उसके बाद मनु अपने दोस्तों के साथ फरार हो गया। मनु शर्मा जो कांग्रेस के दिग्गज नेता और मंत्री रहे विनोद शर्मा का पुत्र है। विनोद शर्मा और मनु शर्मा के रिश्तेदारी पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा से है। विनोद शर्मा पिकैडली नामक पांच सितारा होटल चेन के मालिक भी हैं। मनु शर्मा के बड़े भाई कार्तिकेय शर्मा न्यूज़ एक्स, इंडिया न्यूज़ नाम के चैनल चलाते हैं। उस रात मनु शर्मा के साथ वहां पर कुछ दोस्त भी मौजूद थे। जिसमें विकास यादव और अमरदीप सिंह गिल थे। विकास यादव उत्तर प्रदेश के नेता डीपी यादव के बेटे हैं। 

नो वन किल्ड जेसिका

लोअर कोर्ट में फॉरेंसिक में दो पिस्टल की थ्योरी सामने आती है। जिसमें कहा जाता है कि मनु शर्मा के पिस्टल से लगी गोली छत पर लगी और दूसरे पिस्टल से चली गोली जेसिका लाल को लगी। इसके अलावा गवाह अपने बयान से पलट जाते हैं। एक गवाह श्यान मुंशी ने तो कोर्ट में यहां तक कह दिया कि पुलिस ने मुझसे कुछ भी बयान लिखवा लिया और मुझे हिंदी बिल्कुल भी नहीं आती। इन सारी चीजों को देखते हुए लोअर कोर्ट मे मनु शर्मा और सभी आरोपियों को बरी कर दिया। लोअर कोर्ट ने उस वक्त कहा कि सभी को बेनिफिट आफ डाउट देते हुए बरी किया जाता है। ये केस एक पहेली बनकर रह जाती अगर जनता अन्याय के खिलाफ सड़कों पर नहीं आती और मीडिया इस मामले में लगातार पुलिस की तफ्तीश को कटघरे में खड़ा नहीं करती।  

जनता और मीडिया ने निभाया अहम रोल

लोअर कोर्ट से सभी आरोपियों को बरी किए जाने के बाद मीडिया के ओवी वैन दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में लग चुके थे। अंग्रेजी अखबार टाइम्स आफ इंडिया के अखबार की हेडलाइन थी 'नो वन किल्ड जेसिका' इस हेडलाइन ने उस वक्त हंगामा मचा दिया। मीडिया चैनलों और समाचारपत्रों ने पुनः मुकदमे को चलाने के आग्रह वाले दो लाख से अधिक सेलफोन संदेश प्राप्त किये और दिखाए। जनता का दबाव बढ़ रहा था और समाचार पत्र सुर्खियाँ जैसे "किसी ने जेसिका को नहीं मारा" लिख रहे थे और टीवी चैनल पर एसएमएस पोल चल रहे थे। कई मॉडल, फैशन डिजाइनर, जेसिका के दोस्त, रिश्तेदार और अन्य लोगों ने दिल्ली में इंडिया गेट फैसले के विरोध में मोमबत्ती की रोशनी में प्रार्थना सभा आयोजित की, जिसके बाद एक और बड़ी प्रार्थना सभा आयोजित की, साथ ही उन्होंने एक सप्ताह लम्बे विशेष टी-शर्ट (नारा:हम जेसिका लाल ह्त्या काण्ड की पुनः जांच का समर्थन करते हैं, सच को बाहर आने दें) अभियान को मनु शर्मा के गृह नगर, चंडीगढ़ में चलाया। चंडीगढ़ सैकड़ों छात्रों, एम्एनसी (MNC) में काम करने वालों के साथ सेवानिवृत्त सेना अधिकारियों और आईएएस (IAS) अधिकारियों ने विरोध में भाग लिया। इस केस को अंजाम तक पहुंचाने में अगर किसी ने प्रमुख भूमिका निभाई तो वह तहलका डॉट कॉम था, जिसने कोर्ट में मुकरे गवाहों का स्टिंग 9 सितंबर 2006 को दिखाया। इसके बाद मनु शर्मा के पिता कांग्रेसी नेता विनोद शर्मा को 6 अक्टूबर 2006 को हरियाणा के कैबिनेट मिनिस्ट्री से इस्तीफ़ा तक देना पड़ा था। मीडिया और पब्लिक ने शोर मचाया तो दिल्ली हाई कोर्ट ने इस केस का रिट्रायल करते हुए केवल 25 दिनों में सुनवाई पूरी कर हरियाणा के ताकतवर नेता के पुत्र और उसके साथियों को दोषी करार देते हुए मीडिया द्वारा उठाए उस सवाल का जवाब भी देश को न्याय के जरिए दिया कि Who has Killed Jessica

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जेसिका लाल मर्डर केस की कहानी को तारीख दर तारीख के अनुसार सिलसिलेवार ढंग से समझने की कोशिश करते हैं:-

29-30 अप्रैल, 1999 के दरमियानी रात को साउथ दिल्ली के टैमरिंड कोर्ट रेस्टोरेंट में पार्टी में जेसिका की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है।

30 अप्रैल, 1999: अपोलो अस्पताल में डॉक्टरों ने घोषित किया कि जेसिका को अस्पताल में मृत लाया गया था।

2 मई, 1999: मनु शर्मा की टाटा सफारी को दिल्ली पुलिस ने उत्तर प्रदेश के नोएडा से बरामद किया।

6 मई, 1999: चंडीगढ़ की एक अदालत के सामने मनु शर्मा ने सरेंडर किया।

इसके बाद यूपी के नेता डीपी यादव के बेटे विकास यादव सहित 10 सह अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई।

3 अगस्त, 1999: आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत जेसिका मर्डर केस में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई।

31 जनवरी, 2000: मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस केस को सेशन कोर्ट को सुपुर्द किया।

23 नवंबर, 2000: सेशन कोर्ट ने हत्या के मामले में नौ लोगों के खिलाफ आरोप तय किए।

एक आरोपी अमित झिंगन बरी और रविंदर उर्फ टीटू को भगोड़ा घोषित किया।

2 मई, 2001: कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की और चश्मदीद गवाह दीपक भोजवानी ने गवाही दी।

3 मई, 2001: चश्मदीद गवाह श्यान मुंशी अपने बयान से मुकर गया। कोर्ट में उसने मनु की शिनाख्त नहीं की।

इसके बाद गवाहों के अपने बयान से मुकरने का सिलसिला सिलसिलेवार ढंग से चलता ही गया

5 मई, 2001: कुतुब कोलोनेड में इलेक्ट्रिशियन एक अन्य चश्मदीद शिव दास भी अपने बयान से मुकर गया।

16 मई, 2001: तीसरा प्रमुख गवाह करन राजपूत भी अपने बयान से मुकर गया।

6 जुलाई, 2001 को एक गवाह मालिनी रमानी ने मनु शर्मा की शिनाख्त की।

12 अक्तूबर, 2001: रेस्टोरेंट और बार मालकिन बीना रमानी ने भी मनु की शिनाख्त की।

17 अक्तूबर, 2001: बीना के पति जार्ज मेलहोत ने गवाही दी और मनु शर्मा की शिनाख्त की।

20 जुलाई, 2004: विवादास्पद जांच अधिकारी सुरिंदर शर्मा ने गवाही दी।

21 फरवरी, 2006: लोअर कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में सभी नौ अभियुक्तों को बरी किया।

13 मार्च, 2006: दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में अपील दायर की।

3 अक्तूबर, 2006: हाईकोर्ट ने इस अपील पर नियमित आधार पर सुनवाई शुरू की।

29 नवंबर, 2006: हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।

18 दिसंबर, 2006: हाईकोर्ट ने मनु शर्मा, विकास यादव और अमरदीप सिंह गिल उर्फ टोनी को दोषी करार दिया.

आलोक खन्ना, विकास गिल, हरविंदर सिंह चोपड़ा, राजा चोपड़ा, श्याम सुंदर शर्मा और योगराज सिंह बरी।

20 दिसंबर, 2006: हाईकोर्ट ने मनु शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

सह अभियुक्त अमरदीप सिंह गिल और विकास यादव को चार साल की जेल की सजा और तीन हजार का जुर्माना.

2 फरवरी, 2007: मनु शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की।

8 मार्च, 2007: सुप्रीम कोर्ट ने मनु शर्मा की अपील स्वीकार की।

27 नवंबर, 2007: सुप्रीम कोर्ट ने मनु की जमानत की दलील खारिज की।

12 मई, 2008: सुप्रीम कोर्ट ने मनु शर्मा की जमानत याचिका फिर से खारिज की।

24 सितंबर 2009: मनु शर्मा को पैरोल मिली गई उसे एक महीने के लिए छोड़ा गया।

 ये पैरोल मनु शर्मा को उसकी दादी के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए दी गई थी। बाद में उसके आवेदन पर दिल्ली सरकार ने पैरोल की अवधि एक महीना और बढ़ा दी।

लेकिन इसी दौरान मनु शर्मा दिल्ली के एक डिस्कोथेक में देखा गया। ये खबर मीडिया में छा गई। मनु ने पैरोल नियमों को तोड़ा तो दिल्ली सरकार की काफी फजीहत हुई।

19 अप्रैल, 2010: फिर से ने मनु शर्मा की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा।

वर्ष 2018 में सबरीना लाल ने कहा था कि उसने मनु शर्मा को माफ कर दिया है और अगर उसे रिहा कर दिया जाता है तो उसे कोई ऐतराज नहीं होगा।

2 जून 2020: अच्छे व्यवहार के आधार पर मनु शर्मा को जेल से रिहा कर दिया गया।

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2014 में पढ़ाई के लिए मिली पैरोल

जेल में सजा काट रहे मनु शर्मा ने मानवाधिकार की पढ़ाई की। उसने मास्टर डिग्री हासिल की थी। परीक्षा के लिए दिसंबर 2014 में उसे पैरोल मिली थी। दरअसल, मनु जेल में कैदियों को पेंटिंग सिखाता था। कैदियों के बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाता था। इसी आधार पर उसे पैरोल मिली थी। 

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जेल में रहते हुए रचाई शादी

सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को भी शादी करने की छूट प्रदान की। इसी के तहत मनु शर्मा ने भी जेल में रहते हुए शादी रचाई। अप्रैल 2015 में मनु को शादी करने के लिए पैरोल मिली थी। 22 अप्रैल 2015 को चंडीगढ़ में उसकी शादी हुई थी।

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ओपन जेल में रह रहा था मनु

भारत में ओपन जेल यानी खुली जेल की शुरुआत ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी। ओपन जेल एक ऐसी जेल व्यवस्था होती है, जहां रहने वाले कैदियों को दिन के समय बाहर काम पर जाने दिया जाता है और रात होते ही वे सब वापस जेल लौट आते हैं। भारत में पहली ओपन जेल वर्ष 1905 के दौरान मुंबई में खोली गई थी। तभी से भारत में इसकी शुरुआत मानी जाती है। मनु शर्मा 2017 से ही ओपन जेल में रह रहा था। उसे ओपन जेल में सुबह 8 से शाम 8 बजे तक जेल से बाहर जाने की इजाजत थी। इस दौरान मनु साउथ दिल्ली स्थित अपने दफ्तर जाता था। 2016 तक तिहाड़ जेल के लॉ ऑफिसर रहे सुनील गुप्ता के मुताबिक, 2015 में अच्छे व्यवहार की वजह से ही उसे पहले सेमी ओपन जेल में भेजा गया था, जिसमें जेल कॉम्प्लेक्स के अंदर काम करना होता है। मनु के जिम्मे जेल की दुकानों का हिसाब किताब देखना होता था।

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मनु शर्मा का रसूख

2010 में तिहाड़ से 4 किलोमीटर के करीब की होटल को विनोद शर्मा खरीद लेते हैं। सुनील गुप्ता ने ब्लैक वारंट किताब में लिखा कि इस होटल में तिहाड़ जेल के जेलर से लेकर 50 स्टाफ के बच्चों, रिश्तेदारों को इसमें नौकरी दी गई। जब भी कोई गेस्ट तिहाड़ जेल में आता तो खाना पिकैडली से ही आता। सुनील गुप्ता अपनी किताब में तिहाड़ जेल के घटना का जिक्र करते हुए बताते हैं कि डीजी और आईजी साथ में सोफे पर मनु शर्मा ऐसे बैठा है जैसे असली जेलर वह है और वहीं से बैठे वो खाना ऑर्डर कर रहा है। 

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दिल्ली सजा समीक्षा बोर्ड

दिल्ली सजा समीक्षा बोर्ड ऐसे कैदियों की समीक्षा करता है जिसके जेल के अंदर चाल-चलन अच्छे हैं, जेल प्रशासन उनके बारे में अनुशंसा करती है। विक्टिम या उसकी फैमिली को कोई ऑब्जेक्शन ना हो तो एसआरबी के पास ऐसे कैदियों को रिहा करने काअधिकार है। इस बोर्ड के पास तिहाड़ जेल की अर्जी आई, इससे पहले 5 बार आ चुकी थी। मनु शर्मा की रिहाई की अर्जी जो हर बार रिजेक्ट कर दिया गया। लेकिन छठी बार इस अर्जी पर दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की अध्यक्षता में 11 मई की बैठक में 22 लोगों को रिहा करने का फैसला लिया गया मनु शर्मा की रिहाई की आखिरी बाधा को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दूर करते हुए इस पर मुहर लगा दी।

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सबरीना के बयान ने निभाया रिहाई में अहम रोल

जेसिका के इंसाफ की जंग में अहम रोल निभाने वाली उसकी बहन सबरीना लाल ने साल 2018 में दिल्ली की तिहाड़ जेल के वेलफेयर ऑफिसर को एक चिट्ठी लिखकर बताया कि उन्हें मनु शर्मा की रिहाई में कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने लिखा कि ”मैं ईसाई हूं और माफ करने में यकीन रखती हूं. मेरी मां ने मनु को 1999 में ही माफ कर दिया होता अगर उसने खुद माफी मांगी होती। मैंने अपनी बहन और मां-बाप को खो दिया है। हमारी ज़िंदगी में एक वक्त वो भी आता है, जब हमें कुछ चीज़ों को पीछे छोड़ देना होता है। मैं विक्टिम वेलफेयर बोर्ड की ओर से मिलने वाले पैसे भी नहीं लेना चाहती। इन्हें किसी ज़रूरतमंद को दे देना चाहिए।

आजादी लेकिन शर्तें लागू 

रिहा किए गए कैदियों से 20 साल का एक बांड भरवाया जाता है। 20 साल तक किसी दूसरे अपराध में संलिप्त होने पर यह सजा माफी खत्म हो जाएगी। लेकिन इस बांड की अवधि पूरे टाइमलाइन के अनुरूप होती है। 17 साल 3 महीने मनु शर्मा ने जेल में काट दिए, बाकी के 3 साल मतलब इस बांड की मियाद 6 मई 2023 को खत्म होगी।


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