By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 29, 2020
पटना। कोरोना संक्रमण की वजह से घोषित लॉकडाउन में बिहार के कई मजदूर देश के अलग-अलग हिस्सों से बिहार आना चाहते हैं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ये साफ कर चुके हैं कि लॉकडाउन के गाइडलाइंस का उलंघन कर उन्हें बिहार नहीं लाया जाएगा। बजाए उन्हें उन राज्यों में बने रह कर स्वयं एवं अपने परिवार को कोरोना संक्रमण से बचाने की सलाह देने के। राजद ने उन्हें बिहार बुलाने की माँग के लिए उपवास का निर्णय लेकर एक बार फिर न केवल अपने वैचारिक दिवालियापन का प्रमाण दे दिया है बल्कि यह क़दम मानवता विरोधी एवं उकसावापूर्ण भी है।
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जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने विपक्ष के इस रवैये को गैरजिम्मेदाराना और शर्मनाक करार दिया है। राजीव रंजन ने कहा कि विपत्ति की इस घड़ी में जैसे बयान विपक्ष की ओर से दिए जा रहे हैं वह ना सिर्फ मानवता के लिए खतरनाक है बल्कि संक्रमण के दायरे को बढ़ाए जाने में इस तरह के मांगों की बड़ी भूमिका होगी। उन्होंने विपक्ष के नेताओं को नसीहत दी कि अगर उनमें प्रवासी मजदूरों के लिए दर्द है, उनके लिए उनके मन में हमदर्दी है तो जहां भी बिहार के मजदूर फंसे हैं वहां की सरकार से वो बात करके उनके खाने की, रहने की व्यवस्था करवा दें, जिस कारखाने में वो काम करते हैं वहां से उनकी बकाया राशि का भुगतान करवा दें ताकि वह लोग जहां हैं वहां रहकर ही कोरोना के संक्रमण के दायरे को कम करने में योगदान दे पाए। जिन राज्यों में उनकी समर्थित सरकार है वहां की सरकार से बिहारी मजदूरों की चिंता करने के लिए दबाव बनाएं तो यह ज्यादा सार्थक होगा। लेकिन सिर्फ सरकार का विरोध करने की आड़ में विपक्ष गैरजिम्मेदाराना बातें दे रहा है।
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प्रसाद ने कहा कि पंद्रह लाख से ज़्यादा प्रवासी मज़दूरों के एकाउंट्स में प्रति व्यक्ति हज़ार रुपए का अंतरण,नौ राज्यों के बारह शहरों में पचपन राहत शिविर के साथ साथ सम्बद्द राज्य सरकारों से समन्वय कर उन्हें राहत पहुँचाने की हर मुमकिन कोशिश जारी है। साथ ही जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा पीएम श्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बिहार ने मजबूती के साथ अपना स्टैंड रख दिया है।