By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 29, 2022
राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद चौधरी उच्च सदन में अपनी पार्टी के अकेले सदस्य होंगे। जयंत चौधरी ने दूरभाष पर पीटीआई- से बातचीत में ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर कहा, यदि आप इसे देखें, तो कानून इस तरह की बहस (जैसी ज्ञानवापी मुद्दे पर चल रही है) की अनुमति नहीं देता है। हमें आधुनिक लोकतांत्रिक भारत में ऐसी बहसों पर विचार नहीं करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा, हम अपने इतिहास की घटनाओं का उल्लेख करके भविष्य के लिए और अधिक गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश न करें। हमें आगे की ओर देखने और वास्तविक भारत के वास्तविक मुद्दों पर चर्चा करने की आवश्यकता है। चौधरी से उनके नामांकन पत्र दाखिल करने के बारे में पूछे जाने पर कहा, मैं सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करूंगा। आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर दिल्ली में एक कार्यक्रम है। हम एक सामाजिक न्याय सम्मेलन कर रहे हैं। हम अन्य मुद्दो के साथ जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। इसमें विभिन्न दलों के प्रतिनिधि होंगे। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह रालोद प्रमुख के पितामह (बाबा) ह्रैं।
विधानसभा और उसके बाहर रालोद की भूमिका पर चौधरी ने कहा, हम उत्तर प्रदेश विधानसभा में बहुत सकारात्मक भूमिका निभाएंगे। हम अपने क्षेत्रों और निर्वाचन क्षेत्रों को विकसित करने पर ध्यान देंगे। विपक्ष के बीच, हम नंबर दो पार्टी हैं और यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। हम विपक्षी एकता को मजबूत रखेंगे। इस साल हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राज्य की 403 सीट में से भारतीय जनता पार्टी ने 255 पर जीत हासिल की, जबकि उसकी सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) और निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद)को क्रमश: 12 और छह सीट मिली थीं। सपा ने 111 सीट, उसकी सहयोगी रालोद को आठ तथा एक अन्य सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) को छह सीट पर जीत मिली। कांग्रेस को दो, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को दो और बसपा को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली। यह पूछे जाने पर कि हाल ही में विधानसभा में पेश किए गए वित्त वर्ष 2022-23 के उत्तर प्रदेश के बजट को वह कैसे देखते हैं, चौधरी ने कहा, अगर हम भाजपा के हर बजट भाषण को देखें तो वे बहुत समान हैं। उप्र का कर्ज बढ़ रहा है, बेरोजगारी भी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के मसले पर राज्य सरकार ने जरा भी ध्यान नहीं दिया और राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों की वित्तीय स्थिति बहुत खराब है। उन्होंने कहा कि आधारभूत संरचना चरमरा रही है और नई सड़कों की गुणवत्ता ठीक नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे टूट रहा है। उन्होंने कहा कि इन बिंदुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘ हम सभी जानते हैं कि उप्र में बजट का एक बड़ा हिस्सा वेतन देने में जाता है।’