By अनुराग गुप्ता | Aug 26, 2022
नयी दिल्ली। जम्म-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस को अलविदा कहा। ऐसे में कांग्रेस के कई नेताओं ने उन पर जमकर हमला बोला। जबकि कुछ नेताओं का मानना है कि गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस नहीं छोड़नी चाहिए थी और तो और पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।
J&K में असमंजस में कांग्रेस
गुलाम नबी आजाद के प्रति अपना समर्थन जताते हुए जम्मू-कश्मीर इकाई के कई कांग्रेस नेताओं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। जिसमें दो पूर्व मंत्रियों सहित पांच नेता शामिल हैं। जबकि कई और नेता कांग्रेस को अलविदा कह सकते हैं। इसके चलते कांग्रेस को जम्मू-कश्मीर में असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
आपको बता दें कि गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में गुलाम नबी आजाद अपनी पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव में दिखाई दे सकते हैं। उन्होंने भाजपा में जाने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि वो जम्मू कश्मीर लौटेंगे और अपनी पार्टी बनाएंगे। ऐसे में आगामी चुनाव में कांग्रेस के वोट गुलाम नबी आजाद की पार्टी में शिफ्ट हो सकते हैं।
ज्ञात हो तो पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अंर्तकलह का सामना कर रही थी। ऐसे में अपमानित महसूस करते हुए अमरिंदर सिंह ने सिर्फ मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया बल्कि कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ दी और कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें मनाने का भी प्रयास नहीं किया। ऐसे में अमरिंदर सिंह ने अपनी पार्टी बनाई और भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। खैर भाजपा को तो इससे फायदा नहीं हुआ लेकिन कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी और आम आदमी पार्टी को इसका लाभ हुआ। जम्मू-कश्मीर में भी ऐसा ही कुछ नजारा दिखाई दे सकता है, जिसका सीधा खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा।
आजाद पर बरसे शिवकुमार
कर्नाटक की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने गुलाम नबी आजाद पर जमकर निशाना साधा और मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस में रहते हुए 40 वर्षों में या तो पार्टी में या सरकार में सत्ता का आनंद लिया। अगर उनके पास मुद्दे होते तो वे उन्हें उठा सकते थे लेकिन वे मूकदर्शक बने रहे। राज्यसभा की सीट नहीं मिलने के कारण उन्होंने ऐसा कदम उठाया।
जबकि सचिन पायलट ने कहा कि गुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दिया है। 50 साल के लंबे अरसे तक तमाम पदों पर रहने के बाद आज जरूरत थी कि भाजपा शासन के खिलाफ महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी के मुद्दों को उठाते। मैं समझता हूं कि वे कहीं न कहीं अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हटे हैं।