राज्यपाल बनने के बाद से विवादों के इर्द-गिर्द रहे सत्यपाल मलिक

By अनुराग गुप्ता | Jul 22, 2019

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक एक बार फिर से विवादों में आ गए। बता दें कि मलिक ने आतंकवादियों से अपील करते हुए कहा कि बेगुनाहों को मत मारो बल्कि उन लोगों को निशाना बनाओं, जिन्होंने वर्षों तक कश्मीर की सम्पदा को लूटा है। भ्रष्ट नेताओं को मारो। सत्यपाल मलिक ने यह बयान दिया ही था उनकी चौतरफा आलोचना होने लगी कि राज्यपाल पद पर बैठे हुए भला सत्यपाल मलिका ऐसा कैसे कह सकते हैं।

लद्दाख संभाग के करगिल में एक पर्यटन कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे सत्यपाल मलिक ने कहा कि ये लड़के जिन्होंने हथियार उठाए हैं वे अपने ही लोगों की हत्या कर रहे हैं, वे पीएसओ और एसपीओ (विशेष पुलिस अधिकारियों) की हत्या कर रहे हैं। इनकी हत्या क्यों कर रहे हो? उनकी हत्या करो जिन्होंने कश्मीर की सम्पदा लूटी है। राज्यपाल मलिक इतने में ही नहीं रुके उन्होंने आगे पूछा कि क्या तुमने इनमें से किसी को मारा है?

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राज्यपाल के बयान से भड़के अब्दुल्ला

राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह शख्स जो जाहिर तौर पर एक जिम्मेदार संवैधानिक पद पर काबिज है और वह आतंकवादियों को भ्रष्ट समझे जाने वाले नेताओं की हत्या के लिये कह रहा है। इतने में ही अब्दुल्ला नहीं रुके उन्होंने कुछ घंटे के अंतराल में एक और ट्वीट किया और लिखा कि इस ट्वीट को सहेज लें- आज के बाद जम्मू-कश्मीर में मारे गए किसी भी मुख्यधारा के नेता या सेवारत/सेवानिवृत्त नौकरशाह की अगर हत्या होती है तो समझा जाएगा कि यह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के आदेशों पर की गयी है।

कांग्रेस ने उठाया सवाल

राज्य कांग्रेस प्रमुख जी ए मीर से पूछा कि क्या वह जंगल राज को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि मलिक जिस संवैधानिक पद पर हैं, उनका यह बयान उसकी गरिमा के खिलाफ है। हालांकि राज्यपाल ने फौरन यह भी कहा कि हथियार उठाना कभी भी किसी समस्या का हल नहीं हो सकता और उन्होंने श्रीलंका में लिट्टे का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार कभी हथियार के आगे घुटने नहीं टेकेगी।  

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राज्यपाल ने अब्दुल्ला को दिया जवाब

सत्यपाल मलिक ने उमर अब्दुल्ला द्वारा की गई आलोचनाओं का जवाब देते हुए उन्हें राजनैतिक नौसिखिया बताया और कहा कि वह हर मुद्दे पर ट्वीट कर रहे हैं। उनके ट्वीट पर आई प्रतिक्रियाएं पढ़ लें, आप खुद ही जान जाएंगे। इसके साथ ही मलिक ने प्रतिष्ठा की बात करते हुए अपनी और अब्दुल्ला की प्रतिष्ठा का जिक्र किया और कहा कि मैं दिल्ली में अपनी रेपुटेशन की वजह से यहां हूं आप अपनी रेपुटेशन की वजह से वहां हो जहां हो...

पहले भी सुर्खियों में छाए रहे सत्यपाल मलिक

इससे पहले जम्मू कश्मीर विधानसभा को भंग करने का फैसले को लेकर सत्यपाल मलिक सुर्खियों में छाए हुए थे। पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने दावा किया था कि उन्होंने राज्यपाल को फैक्स किया था लेकिन वह नहीं पहुंच पाया था। हालांकि सत्यपाल मलिक ने दोनों नेताओं के इन दावों को इनकार कर दिया था। दरअसल यह दावा जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने को लेकर पेश किया जा रहा था। 

हालांकि इस विवाद के बाद सत्यपाल मलिक ने यह कहा था कि अगर मैंने दिल्ली की तरफ देखा होता तो मुझे सज्जाद लोन को मुख्यमंत्री बनाना पड़ता और इसके लिए मैं इतिहास में एक ‘बेईमान आदमी’ के रूप में याद किया जाता। दरअसल पीडीपी और एनसी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था लेकिन राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दिया था। जिसके बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू था। हालांकि अभी जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है।

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आतंकियों के प्रति जता चुके हैं सहानुभूति

राज्य विधानसभा भंग करने के बाद चर्चा में आए सत्यपाल मलिक ने कुछ दिनों बाद ही विवादित बयान दे डाला। उन्होंने कहा था कि जब कोई आतंकवादी मारा जाता है तो मुझे दुख होता है। मलिक द्वारा जनवरी में दिए गए इस बयान की काफी आलोचनाएं हुईं। उन्होंने कहा कि पुलिस अपना काम बहुत अच्छे से कर रही है, लेकिन अगर एक भी जान जाती है अगर वो आतंकी की भी क्यों ना हो तो मुझे तकलीफ होती है। हम चाहते हैं कि हर कोई वापस आए।

आतंकियों से की थी वार्ता की अपील

इस विवाद के पनपने से कुछ वक्त पहले राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आतंकियों से हथियार छोड़ने का अनुरोध किया और उन्हें वार्ता के लिए आमंत्रित किया और कहा कि वार्ता ही महज एक मार्ग है जिसके जरिए संविधान के दायरे के भीतर जो चाहते हैं वो उन्हें मिल सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को हिंसा के जरिए नहीं झुकाया जा सकता। पिछले दिनों ऐसा बयान देने वाले सत्यपाल मलिक अचानक से ऐसे बदल जाएंगे किसी ने सोचा नहीं था।

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बयान के बाद राज्यपाल को हुआ पक्षतावा

काफी आलोचनाओं के बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक को इस बात की अनुभूति जरूर हुई कि उन्होंने गलत बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के तौर पर उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था। इसके साथ ही स्पष्टीकरण देते हुए उन्होंने इस बयान के लिए गुस्से को जिम्मेदार ठहराया। मलिक कहते हैं कि मैंने जो कुछ भी कहा वह बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर गुस्सा और हताशा है। सत्यपाल मलिक ने कहा कि अगर मैं राज्यपाल के पद में नहीं होता तो मैं बिल्कुल ऐसा ही कहता और उसके बाद जो कुछ भी होता उसे भुगतने के तैयार रहता।

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