राज्यसभा सदस्य एवं आम आदमी पार्टी (आप) के उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि जल जीवन मिशन में हुआ कथित घोटाला राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले से भी कई गुना बड़ा है।
सिंह ने पार्टी प्रदेश कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग दोहराई। गौरतलब है कि वर्ष 2007 से 2012 के बीच राज्य की तत्कालीन बसपा सरकार के कार्यकाल में एनआरएचएम के लिए आवंटित धन में करीब 100 अरब रुपये का कथित घोटाला हुआ था।
सिंह ने दावा किया,‘‘उन्होंने जो आरोप लगाए थे, वे धीरे-धीरे साबित हो रहे हैं। पहले मिशन के इंजीनियरों ने अपनी चिट्ठियों में लिखा कि कैसे स्वीकृत दरों से 30 से 40 प्रतिशत ज्यादा दरों पर निविदा दी गयी।’’
उन्होंने दावा किया कि ‘‘इंजीनियरों की चिट्ठियों के दबाव में मिशन के अधिशाषी निदेशक अखण्ड प्रताप सिंह ने गत 21 अगस्त को जल निगम के प्रबंध निदेशक को एक पत्र लिखकर विभाग द्वारा स्वीकृत दरों की नई सूची मंगायी। इसका मतलब यह है कि जिन बढ़ी दरों पर काम बांटे गए, उन्हें सही ठहराने के लिए जल निगम से ही दरों को संशोधित कराकर बढ़ी दरों के बराबर लाने के कुत्सित प्रयास किए गए।’’
सिंह ने दावा किया कि बुंदेलखंड क्षेत्र में पेयजल का काम करने वाली 21 कंपनियों के कामकाज को लेकर राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के अध्यक्ष एवं प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गत 25 अगस्त को समीक्षा बैठक हुई जिसमें पाया गया कि सभी कंपनियों का कार्य संतोषजनक नहीं है।
संजय सिंह ने कहा कि सच तो यह है कि इस काम में राज्य की बाहर की कंपनियों को काम दिए गए। उन्होंने कहा कि इसका मतलब साफ है कि मोटा कमीशन लेकर राज्य की बाहर की कंपनियों को काम बांटे गए। इस बारे में जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।