By अभिनय आकाश | Aug 06, 2021
यहां पर एक तथ्य याद दिलाना जरूरी है कि साल 2020 को दिल्ली में हुए दंगोों के बाद ईरान भी भारत में मुस्लिमों के हालात पर टिप्पणी करने वालों में शामिल था। जिसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से ईरान के राजदूत को बुला कर नाराजगी जताई गई थी। लेकिन अब रईसी के शपथ ग्रहण में विदेश मंत्री की मौजूदगी के बाद दोनों देशों के रिश्तों को लेकर नए संकेत मिल रहे हैं।
अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात
भारत भी अफगानिस्तान के हालत को लेकर चिंतित है और अफगानिस्तान के भविष्य से जुड़े सभी हितग्राहियों से बात कर रहा है। तालिबान के नेता अगर कट्टरपंथ की तरफ जाते हैं तो यह स्थिति ईरान के लिए भी खतरनाक होगी और ऐसा होने पर वो तालिबान के खिलाफ ऐसे देशों के साथ साझेदारी करना चाहेगा जिनसे उसकी सोच मिलती है। ईरान के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी ने यहां विदेश मंत्री एस जयशंकर से कहा कि उनका देश और भारत क्षेत्र, विशेष रूप से अफगानिस्तान में सुरक्षा सुनिश्चित करने में ‘‘रचनात्मक और उपयोगी’’ भूमिका निभा सकते हैं और तेहरान युद्धग्रस्त देश में नयी दिल्ली की भूमिका का स्वागत करता है। रईसी ने यह टिप्पणी जयशंकर के साथ मुलाकात के दौरान की।
चाबाहार पर चर्चा
भारत की ईरान से नजदीकियों को चाबाहार प्रोजक्ट से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। चाबहार समझौता भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समझा जाता है. इसे इस क्षेत्र में पाकिस्तान और चीन के प्रभाव को संतुलित करने का एक ज़रिया बताया जाता है। चाबहार भारत के लिए आर्थिक रूप से भी अहमियत रखता है। इसके ज़रिए भारत सीधे अफ़ग़ानिस्तान तक सप्लाई भेज सकता है, जबकि अभी दोनों देशों के बीच पाकिस्तान आता है जिससे रूकावट होती है।