By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 11, 2022
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू पर परोक्ष रूप से निशाना साधे जाने के बाद मंगलवार को आरोप लगाया कि मोदी ने एक बार फिर असली इतिहास को छिपाया और तथ्यों की अनदेखी की। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने राजमोहन गांधी की एक पुस्तक का हवाला देते हुए यह दावा भी किया कि ‘जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान में शामिल होने को लेकर सरदार पटेल 13 सितंबर 1947 तक सोच रहे थे कि अगर विलय होता है तो हो जाए। लेकिन जब जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान में विलय को मंजूरी दी तब उन्होंने अपना मन बदल दिया और तय किया कि जम्मू कश्मीर को भारत में ही रहना चाहिए।’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री ने एक बार फ़िर वास्तविक इतिहास को छुपाया है। वह जम्मू-कश्मीर को लेकर नेहरू की आलोचना करने के लिए निम्नलिखित तथ्यों की अनदेखी करते हैं।’’
रमेश का कहना है, ‘‘ राजमोहन गांधी ने सरदार पटेल की जो जीवनी लिखी है उसमें ये सारे तथ्य हैं। जम्मू-कश्मीर में पीएम के नए आदमी (गुलाम नबी आजाद) को भी यह पता है। महाराजा हरि सिंह ने विलय पर रोक लगा दी थी। आज़ादी के सपने थे। लेकिन जब पाकिस्तान ने आक्रमण किया तो हरि सिंह ने भारत में विलय को मंजूरी दी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘शेख अब्दुल्ला ने नेहरू के साथ मित्रता और गांधी के प्रति सम्मान के कारण पूरी तरह से भारत में विलय का समर्थन किया। जम्मू-कश्मीर के पाकिस्तान में शामिल होने को लेकर सरदार पटेल 13 सितंबर 1947 तक सोच रहे थे कि अगर विलय होता है तो हो जाए। लेकिन जब जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान में विलय को मंजूरी दी तब उन्होंने अपना मन बदल दिया और तय किया कि जम्मू कश्मीर को भारत में ही रहना चाहिए।’ उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू का नाम लिए बगैर कहा था कि आजादी के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने तत्कालीन रियासतों के विलय के सभी मुद्दों को हल कर दिया था लेकिन कश्मीर का जिम्मा ‘‘एक अन्य व्यक्ति’’ के पास था तथा वह अनसुलझा ही रह गया। गुजरात में एक रैली में मोदी ने यह भी कहा था कि वह लंबित कश्मीर समस्या का हल करने में इसलिए सक्षम हुए क्योंकि वह सरदार पटेल के नक्शे कदम पर चलते हैं।