By अनन्या मिश्रा | Oct 08, 2024
आज ही के दिन यानी की 08 अक्तूबर को जयप्रकाश नारायण का निधन हुआ था। उन्होंने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। वहीं जयप्रकाश नारायण का जीवन काफी संघर्ष से भरा था। जय प्रकाश नारायण कभी किसी के सामने नहीं झुके। जय प्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति के नारे पर पूरा देश उमड़ पड़ा था। तो आइए जानते हैं डेथ एनिवर्सरी के मौके पर जय प्रकाश नारायण के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
बिहार के सारण जिला के सिताब दियारा में 11 अक्तूबर 1902 जय प्रकाश नारायण का जन्म हुआ था। वह 9 साल की उम्र में अपने गांव को छोड़कर पढ़ाई के लिए पटना चले गए थे। फिर साल 1920 में महज 18 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई। वहीं शुरूआत से ही उनका झुकाव स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहे। फिर साल 1919 में ब्रिटिश सरकार के रालेट एक्ट के खिलाफ असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर जय प्रकाश नारायण ने कॉलेज छोड़ दिया।
फिर वह महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलनों में शामिल रहे। इसके बाद वह अपनी पत्नी को साबरमती के आश्रम में छोड़कर अमेरिका पढ़ाई के लिए चले गए। अमेरिका में वह अपने खर्चे निकालने के लिए छोटे-मोटे काम करते थे।
राजनीतिक जीवन
साल 1929 में अमेरिका से वापस आने के बाद जय प्रकाश नारायण कांग्रेस में शामिल हो गए। हालांकि जय प्रकाश की विचारधाना समाजवादी थी। इसलिए वह जल्द ही कांग्रेस से अलग हो गए और कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के नाम से अलग संगठन बनाया। फिर साल 1952 में उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की। लेकिन आजादी के बाद की राजनीति ने जय प्रकाश को हताश कर दिया। इसके बाद साल 1974 में जय प्रकाश नारायण इंदिरा गांधी के राजनीति के खिलाफ देशभर में तेजी से उभरे।
बता दें कि इंदिरा गांधी के आपातकाल के खिलाफ जय प्रकाश ने आवाज बुलंद की। इस दौरान उन्होंने बिहार में छात्र आंदोलन की अगुआई की, जिसको जेपी आंदोलन कहा गया। जेपी आंदोलन से बिहार में कई समाजवादी नेताओं का जन्म हुआ, जो वर्तमान समय में सक्रिय राजनीति में अहम किरदार में हैं।
संपूर्ण क्रांति का आह्वान
हालांकि जय प्रकाश ने कभी सत्ता में दिलचस्पी नहीं दिखाई। बताया जाता है कि जय प्रकाश को राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक बनने का ऑफर मिला। लेकिन उन्होंने हर बार प्रस्ताव ठुकरा दिए। बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में जय प्रकाश नारायण ने 05 जून 1974 को संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया। नारायण ने कहा था, 'सम्पूर्ण क्रांति से मेरा तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है।'
इस दौरान पटना के गांधी मैदान 'जात-पात तोड़ दो, तिलक-दहेज छोड़ दो, समाज के प्रवाह को नई दिशा में मोड़ दो' नारे से गूंजा था। इसी नारे से विश्व में जय प्रकाश को पहचान मिली। वहीं 08 अक्तूबर 1979 को जय प्रकाश नारायण का निधन हो गया था। फिर साल 1999 में उनको मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। फिर साल 1965 में उनको समाजसेवा के लिए मैग्ससे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।