By रितिका कमठान | Oct 10, 2022
'चिट्ठी न कोई संदेश' जैसा मार्मिक गीत गाने वाले मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह जो अपनी मखमली आवाज से किसी को भी अपना मुरीद बना लेते थे, आज उनकी 11वीं पुण्यतिथि है। वर्ष 2011 में आज ही के दिन उनका निधन हो गया था। उनके निधन के बाद आज भी उनकी गजलें हमारे बीच हैं जिसके जरिए जगजीत सिंह भी हमारे बीच मौजूद है।
बेटे के गम में गाया था गाना
जगजीत सिंह के साथ किस्मत ने बहुत बड़ा अन्याय किया था। उनके इकलौते बेटे का एक सड़क हादसे में निधन हो गया था। इस गम के बाद उन्होंने अपने बेटे के लिए फिल्म दुश्मन का मशहूर गाना 'चिट्ठी ना कोई संदेश' गाया था। ये ऐसा हादसा था जिसे बाद जगजीत सिंह और उनकी पत्नी बुरी तरह से टूट गए थे। कहा जाता है कि उनकी पत्नी डिप्रेशन का शिकार हो गई थी और उन्होंने संगीत से भी दूरी बना ली थी।
ब्रेन हेमरेज के कारण हुआ निधन
बता दें कि जगजीत सिंह को वर्ष 2011 के सितंबर में ब्रेन हैमरेज हुआ था, जिसके बाद वो अस्पताल में भर्ती हुए थे। उनके फैंस को उम्मीद थी कि आवाज का जादूगर इस बीमारी को हराकर फिर लौटेगा, मगर ये उम्मीद पूरी नहीं हो सकी। उनकी कमी को आज के समय में भी कोई कलाकार पूरा नहीं कर सका है। मगर जगजीत सिंह अपनी गजलों के जरिए आज सभी के बीच में मौजूद है।
कॉन्सर्ट के दौरान रोने लगे जगजीत
वर्ष 1990 में जगजीत सिंह एक कॉन्सर्ट में गा रहे थे, जो अपने अंतिम चरण में थे। इस दौरान किसी ने उनसे फरमाइश की कि गजल ‘दर्द से मेरा दामन भर दे’ एक बार गाएं। जगजीत सिंह का ये गजल गाने का मन नहीं था, मगर फिर भी उन्होंने इसे गाया। इस गजल को गाने के दौरान वो इसमें इतना डूब गए कि कॉन्सर्ट में लाइव गाते हुए ही रोने लगे। ये वो पल था जिसे कभी जगजीत सिंह अपने जीवन में नहीं भूल सके। इस कॉन्सर्ट के चंद घंटो बाद ही उन्हें अपने 20 वर्षीय बेटे की कार एक्सिडेंट में मौत होने की खबर मिली थी।
बेटे की मौत से बढ़ा गजलों में दर्द
जगजीत सिंह की सुरीली आवाज और मंत्रमुग्ध कर देने वाली गजलों को सुनने के लिए फैंस हमेशा आतुर रहते थे। हालांकि जब उनके बेटे की मौत हुई तो उन्होंने संगीत की दुनिया छोड़ दी थी मगर बेटे की मौत के दर्द को सहने के बाद उन्होंने इस सदमे से बाहर निकलने का फैसला किया। कुछ अंतराल के बाद उन्होंने गायकी की दुनिया में दोबारा कदम रखा। इस दौरान उनकी आवाज में दर्द में कई गुणा बढ़ोतरी हुई। उनकी गजलों में छिपे दर्द को खुद जगजीत सिंह ने भी जीया है।