विकसित मोहल्ले के बीच सुन्दर पार्क बना हुआ है। किस्म किस्म के वृक्ष लगे हुए हैं। फव्वारे हैं लेकिन चल नहीं पाते। कई जगह नोटिस लगा है कि शराब पीना मना है। सख्त मना नहीं है इसलिए चुपचाप पी सकते हैं। पार्क के अन्दर एक तरफ गंदा पानी फैला हुआ है। सैर करने वाले रास्ते पर घास उगी हुई है जिसमें से बदबू आ रही है। पानी से फिसलन रहती है और लापरवाही हो जाए तो फिसल जाते हैं। सूखा कूड़ा और गीला कूड़ा वाले कूड़ेदान ज़मीन में फंसाए हुए हैं। दुखी हैं क्यूंकि कूड़ा कचरा बाहर पड़ा है। आवारा कुत्ते भौंक रहे हैं। फूल तोड़ना मना का बोर्ड है हालांकि बेचारे पौधे सूखे पड़े हैं। उन्हें कोई पानी देने वाला नहीं है, यदि होगा तो उचित अंतराल पर नहीं देता। कितने पौधे जो संभावित वृक्ष थे, दम तोड़ चुके हैं। एक बार मिटटी खोद कर उसमें टिका दिया और भूल गए।
पार्क में प्रवेश के निकट दोनों तरफ बोर्ड लगे हुए हैं। एक बोर्ड तो तीन भाषाओं में है, सबसे पहले अंग्रेज़ी में है, क्यूंकि हमारे देश में ज़्यादातर वासी अंग्रेज़ी पसंद करते हैं। हिंदी भी अंग्रेज़ी में पढ़ाई जाती है। अंग्रेज़ी आए न आए, समझ लेते हैं और बोलना गर्व समझते हैं। वैसे भी स्मार्ट सिटी में लगा बोर्ड है तो यहां के अधिकांश निवासियों को अंग्रेज़ी ज्यादा आती होगी। इसलिए स्पेलिंग्स की दो चार गलतियों का बुरा नहीं मानते। फिर हिंदी में भी काफी कुछ सख्त मना किया गया है। एक और भाषा में लिखवाया गया है ताकि ज़्यादा से ज्यादा लोगों को सख्त मनाही का सन्देश पहुँच सके। बोर्ड के पास, बोरी में कबाड़ भर कर फेंक रखा है। ईंटों और कंक्रीट के टुकड़े फेंके हुए हैं। चिप्स, पालिथीन के पुराने गंदे लिफाफे, मिटटी पड़ी है। ठेकेदार ने फर्श की घटिया किस्म की मरम्मत की हुई है।
दूसरे बोर्ड पर सबसे पहले कुत्ते की फोटो छापी है। यह भी सख्त मना करने वाला बोर्ड है, जिसके आदेशानुसार पालतू कुत्तों को पार्क में ले जाना सख्त मना है। आवारा कुत्तों को रोटी या ब्रेड खिलाना सख्त मना है। वैसे आवारा कुत्ता प्रेमी, आवारा कुत्तों को पनीर नहीं खिलाते, बासी रोटी या ब्रेड ही खिलाते हैं। पार्क में गंदगी फैलाना सख्त मना है। लिखा है, उल्लंघन करने पर पांच सौ रूपए जुर्माना किया जाएगा। भ्रष्टाचार, झूठ बोलना, बहकाना, फुसलाना, धमकाना, पीटना, धोखा देना बारे कहीं नहीं लिखा कि सख्त मना है ।
पार्क के टॉयलेट पर चार छोटे आकर्षक पोस्टर लगे हैं। जिनमें, ‘शहर का एक ही नारा, नंबर एक हो शहर हमारा’, ‘हमारा शहर, हमारा स्वाभिमान’ जैसे नारे लिखे हैं। ज़िम्मेदार लोगों के नाम हैं, फोन नंबर नहीं क्यूंकि आम लोगों द्वारा शिकायत करना सख्त मना है।
- संतोष उत्सुक