चाहे नौकरी पेशा वाले हों या कारोबारी या फिर आमलोग, अपने भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए वो बचत और निवेश दोनों करते हैं, ताकि आड़े वक्त पर उन्हें किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़े। इस नजरिए से सुरक्षित निवेश के लिए सावधि जमा यानी फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) काफी अच्छा विकल्प है। हालांकि, जब भी आपात स्थिति में लोगों को पैसों की जरूरत होती है तो कई लोग अपनी एफडी ही तुड़वा लेते हैं। खासकर यह जानने के बावजूद कि परिपक्वता (मैच्योरिटी) से पहले एफडी तुड़वाने से निवेशकों को कतिपय नुकसान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में क्षति से बचने के लिए एफडी लोन काफी अच्छा विकल्प समझा जाता है।
आपको पता होना चाहिए कि किसी भी एफडी की मैच्योरिटी से पहले उसे तोड़वाने पर ब्याज (इंट्रेस्ट) कम मिलता है और पेनल्टी भी देनी होती है। ऐसे में सुझाव दिया जाता है कि आप अपनी एफडी को तुड़वाएं नहीं, बल्कि उस पर "एफडी लोन" ले लें। यह आपके लिए बेहतर रहेगा। इसलिए यहां पर हम आपको बता रहे हैं कि आखिर क्यों आपात स्थिति में एफडी तोड़वाने या एफडी लोन लेने में से बेहतर विकल्प क्या है? क्यों है? और जरूरत पड़ने पर हमें कौन-सा ऑप्शन सेलेक्ट करना चाहिए।
यह बात सबको पता है कि मैच्योरिटी से पहले कोई भी एफडी तुड़वाने पर उसकी ब्याज की दर कम हो जाती है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) में एफडी तोड़वाने पर ब्याज दर 1 प्रतिशत कम हो जाता है। उदाहरण स्वरूप यदि एफडी पर 7 प्रतिशत का ब्याज मिल रहा है और निवेशक 8 महीने में ही अपनी एफडी तोड़वाता है तो उसे 6 प्रतिशत की दर से ही ब्याज मिलेगा। इसके अतिरिक्त, उसे पेनल्टी का भी भुगतान करना होगा।
अब सवाल यह है कि आखिर किसी एफडी को तोड़वाने पर पेनल्टी कितनी लगती है, तो जवाब होगा कि सभी बैंक की पेनल्टी दर अलग अलग होती है। देश का सबसे प्रमुख बैंक एसबीआई के नियमों के मुताबिक, 5 लाख रुपये तक की एफडी पर 0.50 प्रतिशत की पेनल्टी लगता है। जबकि 1 करोड़ रुपये तक की एफडी पर यह पेनल्टी 1 प्रतिशत हो जाता है। इस प्रकार पेनल्टी और ब्याज की कटौती करने के बाद बैंक निवेशक को बची हुई राशि देता है।
इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि अपनी एफडी तुड़वाने से अच्छा है कि आप उस पर ही एफडी लोन ले लें। नियमानुसार कोई भी निवेशक अपनी एफडी की कुल राशि में से 90 फीसदी तक का लोन ले सकते हैं। इसे ऐसे समझिए कि अगर आपने 2 लाख रुपये की एफडी करवाई है तो आप 1,80,000 रुपये का लोन ले सकते हैं। इस लोन पर आपको 1 से 2 प्रतिशत का ब्याज देना होगा। यानी अगर एफडी पर 5 प्रतिशत का ब्याज मिल रहा है तो लोन पर निवेशक को 6 से 7 प्रतिशत की दर पर ब्याज देना होता है। वहीं, यदि निवेशक लोन की राशि नहीं चुकाता है तो जब एफडी मैच्योर होती है तो बैंक लोन की राशि काट लेता है। फिर जितनी राशि बचती है वह निवेशक के अकाउंट में आ जाती है।
इसलिए मेरी राय के मुताबिक, किसी भी निवेशक के लिए एफडी तोड़वाने से अच्छा रहेगा कि जरूरत के समय आप एफडी लोन ले लें। हालांकि, यह भी सुझाव है कि यदि आपको कम पैसों की जरूरत है तो लोन लेना आपके लिए फायदेमंद रहेगा। वहीं, यदि ज्यादा पैसे की जरूरत है तब एफडी तोड़वाना ही आपके लिए अच्छा विकल्प रहेगा।
उदाहरणतया यदि 2 लाख रुपये के एफडी पर 1,00,000 रुपये का लोन लेते हैं तो यह अच्छा विकल्प है, क्योंकि इसमें आप अपनी तत्कालीन जरूरत को भी पूरा कर पाएंगे और आपकी सेविंग्स भी बची रहेगी। वहीं यदि आपको 1,60,000 रुपये या 1,80,000 रुपये की जरूरत है तब आपको एफडी तोड़वाना चाहिए।
इसप्रकार स्पष्ट है कि एफडी इंवेस्टमेंट का सिक्योर ऑप्शन है। हालांकि मैच्योरिटी से पहले एफडी ब्रेक करने पर पेनल्टी लगाई जाती है। वहीं, यदि मैच्योरिटी से पहले आप अपनी एफडी तुड़वाते हैं तो आपको ब्याज भी कम मिलता है। इसलिए सोच-समझकर निर्णय लें और वित्तीय रूप से हमेशा फायदे में रहें।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तंभकार