By नीरज कुमार दुबे | May 13, 2023
इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारत के रिश्ते अमेरिका के साथ नई ऊँचाइयों पर पहुँचे हैं। अब तक अमेरिका के तीन राष्ट्रपतियों- बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन के साथ काम कर चुके प्रधानमंत्री मोदी के संबंध सभी के साथ प्रगाढ़ रहे और इसके चलते उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा तो दी ही साथ ही भारतीय हितों को भी हमेशा प्राथमिकता दी। मोदी और बाइडन के रिश्तों का जिक्र करें तो यह बेहद शानदार हैं। विभिन्न मंचों पर मोदी और बाइडन जब मिलते हैं तो उनकी मित्रता देखते ही बनती है। अब बाइडन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री अगले महीने अमेरिका की पहली आधिकारिक यात्रा पर जा रहे हैं, इसलिए इस यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दरअसल अमेरिका और भारत, दोनों के ही चीन के साथ संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं, इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध आगे बढ़ता जा रहा है और भारत की भूमिका तटस्थ देश की बनी हुई है, साथ ही भारत इस साल जी-20 का अध्यक्ष है और अमेरिका भारत की अध्यक्षता में हो रही बैठकों को पूर्ण समर्थन दे रहा है। इसके अलावा, सबसे खास बात यह कि अगले साल मोदी और बाइडन, दोनों को ही चुनावों का सामना करना है, इसलिए मोदी की इस यात्रा का रणनीतिक के साथ ही राजनीतिक महत्व भी है। मोदी अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर तो जा ही रहे हैं साथ ही इसी साल सितंबर में जब जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक नई दिल्ली में होगी तब अमेरिकी राष्ट्रपति भी उसमें शामिल होंगे।
मोदी की अमेरिका यात्रा का राजनीतिक महत्व
जहां तक मोदी की अमेरिका यात्रा का वहां की राजनीति के हिसाब से महत्व है तो आपको बता दें कि अमेरिका इस समय महंगाई और मंदी के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में उसे भारत की मदद की जरूरत है ताकि बाडइन अगले साल होने वाले चुनावों के दौरान मतदाताओं के कोप से बच सकें। इसी प्रकार मोदी भी भारत को तकनीक और निवेश दिलाने, भारत के सेमीकंडक्टर अभियान के लिए दोनों देशों के कार्यबल के लिए सहयोग बढ़ाने तथा अनिवासी भारतीयों के तमाम मुद्दों को सुलझाने के लिए बाइडन का सहयोग ले सकते हैं। वैसे भी, अमेरिका में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए भारत प्रयास शुरू कर भी चुका है। हम आपको याद दिला दें कि दुनिया में मंदी के बीच भारतीय विमानन कंपनी एअर इंडिया ने हाल ही में अमेरिका और फ्रांस से बड़े विमान सौदे करने की घोषणा की थी। एअर इंडिया ने अमेरिका की बोइंग से 34 अरब डॉलर में 220 विमान खरीदने का फैसला किया है जिससे कई अमेरिकी राज्यों में रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ है। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा था कि यह बिक्री 44 राज्यों में 10 लाख से अधिक अमेरिकी नौकरियों में मददगार होगी। इसके अलावा भारत और अमेरिका ‘क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी (आईसीईटी) पहल के तहत अंतरिक्ष, सेमी-कंडक्टर, आपूर्ति श्रृंखला, रक्षा सह-उत्पादन और सह-विकास तथा ज्ञान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में द्विपक्षीय सहयोग को लगातार बढ़ा रहे हैं जिसे मोदी की यात्रा से और मजबूती मिलेगी।
मोदी की यात्रा से पहले डोभाल करके आ गये थे तैयारी
इसके अलावा, हम आपको यह भी बता दें कि इस साल की शुरुआत में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अपने अमेरिकी दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण तकनीकी समझौते भी किये थे जिससे भारत को सैन्य रणनीतिक रूप से भी कई लाभ होंगे। उसी दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका की राजकीय यात्रा का निमंत्रण दिया था। डोभाल की यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका तीन अरब डॉलर से अधिक की लागत वाले 30 ‘एमक्यू 9बी प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन’ के सौदे को अंतिम रूप देने के एकदम करीब पहुँच गये थे। माना जा रहा है कि मोदी की यात्रा के दौरान इस सौदे पर हस्ताक्षर किये जा सकते हैं। हम आपको बता दें कि इन ड्रोन्स की मदद से भारत को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और हिंद महासागर के आसपास अपने समग्र निगरानी तंत्र को मजबूत करने में मदद मिलेगी। एमक्यू 9बी प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा तथा रक्षा जरूरतों के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन जल्द से जल्द इस सौदे को अमली जामा पहनाना चाहता है, क्योंकि इससे अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और राजनीतिक रूप से भी यह सौदा फायदेमंद होगा।
मोदी की अमेरिका यात्रा का रणनीतिक महत्व
मोदी की अमेरिका यात्रा के रणनीतिक महत्व पर गौर करें तो आपको बता दें कि इस दौरान इस बात पर जोर रहेगा कि ‘क्वाड’ जैसे समूहों को कैसे मजबूत किया जाये। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी अमेरिकी दौरे के दौरान अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित कर सकते हैं और इस दौरान भारत के बारे में विपक्षी नेताओं द्वारा विश्व स्तर पर फैलाये गये तमाम भ्रमों और अफवाहों को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा, मोदी की अमेरिका यात्रा द्विपक्षीय सामरिक संबंधों के बढ़ते महत्व और दोनों पक्षों के एक खुले एवं स्वतंत्र हिन्द प्रशांत के विचारों को रेखांकित करती है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के समग्र और अग्रसर वैश्विक सामरिक गठजोड़ को और प्रगाढ़ बनाने का बहुमूल्य अवसर भी प्रदान करेगी। बताया जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान दोनों नेताओं को कारोबार, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, उद्योग, स्वच्छ ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, अनुसंधान, लोगों के बीच सम्पर्क सहित साझा हितों से जुड़े द्विपक्षीय मुद्दों की समीक्षा करने का अवसर प्राप्त होगा। यह भी बताया जा रहा है कि मोदी और बाइडन भारत-अमेरिका गठजोड़ को मजबूत बनाने और जी-20 सहित बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने के रास्ते तलाशेंगे। बताया जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से प्रधानमंत्री मोदी के लिए 22 जून को राजकीय भोज का आयोजन भी किया जायेगा।
बहरहाल, यात्रा की तैयारियों से जुड़े जानकार अधिकारियों ने बताया है कि प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के कार्यक्रम पर अभी काम किया जा रहा है और संभावना है कि उनकी यात्रा चार दिनों की अवधि की हो सकती है। प्रधानमंत्री मोदी की पिछली अमेरिका यात्रा की बात करें तो आपको बता दें कि वह सितंबर 2021 में क्वाड समूह के नेताओं की बैठक में हिस्सा लेने वाशिंगटन गए थे। उस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की बाइडन के साथ द्विपक्षीय बैठक हुई थी। इसके अलावा भी दोनों नेता समय-समय पर फोन पर बातचीत करते रहते हैं और बहुपक्षीय मंचों पर मुलाकातें करते रहते हैं।