By अंकित सिंह | Jul 29, 2021
देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून का मुद्दा गरमाया हुआ है। असम और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने इससे जुड़े कानून भी पेश करने की बात कही है। इन सबके बीच बिहार विधानसभा में भी जनसंख्या का मामला उठा है। जनसंख्या नियंत्रण कानून की गूंज बिहार विधानसभा में भी सुनाई दी। कई विधायकों ने मांग की है कि 2 बच्चों वाला प्रावधान बिहार में भी लागू किया जाए। साथ ही साथ जनसंख्या पर 1999 की करुणाकरण कमेटी के सुझावों को भी लागू किया जाए। खास बात तो यह रही कि बिहार विधानसभा में ऐसा पहली बार हुआ जब भाजपा और जदयू के विधायकों ने एक साथ मुखर होकर जनसंख्या पर कानून बनाने की बात कही है। भाजपा विधायक विजय कुमार खेमका, अवधेश सिंह ने जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग की तो वही जदयू के विनय चौधरी ने इसका समर्थन किया।
विजय खेमका ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को जरूर सुनेगी। जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनना चाहिए। हालांकि जदयू की ओर से कहा गया कि जनसंख्या पर कानून के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी चलाया जाना चाहिए और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार कुछ ऐसा ही कर रही है। हालांकि बिहार में एक समय ऐसा आया था जब जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर जदयू और भाजपा आमने-सामने हो गई थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर केवल कानून बनाकर नहीं बल्कि महिलाओं को पूरी तरह शिक्षित कर प्रजनन दर को कम किया जा सकता है। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर ठोस कानून के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में नीतीश ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिये अगर सिर्फ आप कानून बनाकर उसका उपाय करेंगे तो ये संभव नहीं है।
दूसरी ओर बिहार के उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने अपने मुख्यमंत्री की राय से अलग राय रखी थी। रेणु देवी और नीतीश कुमार की राय जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर अलग-अलग है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जनसंख्या नीति के ऐलान को रेणु देवी ने सराहनीय बताया था। रेणु देवी ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश की तुलना में बिहार में प्रजनन दर अधिक है इसलिए यहां भी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना चाहिए। रेणु देवी ने कहा की जनसंख्या नियंत्रण के लिए पुरुषों को भी जागरूक करना ज्यादा जरूरी है। अपने बयान में रेणु देवी ने यह भी कहा कि पुरुषों के अंदर जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए नसबंदी को लेकर काफी डर की स्थिति है। बिहार के कई जिलों में तो नसबंदी की दर 1 फ़ीसदी से भी कम है। रेणु देवी ने अपने बयान में यह भी कहा कि अक्सर देखा जाता है कि बेटे की चाहत में पति और ससुराल वाले महिला पर अधिक बच्चा पैदा करने का दबाव बनाते हैं जिससे परिवार का आकार बड़ा होता जाता है।