Hamas को, हिजबुल्लाह को, हूती को, ईरान को, सबको ठोकेगा इजरायल, दम है तो रोक लो

By अभिनय आकाश | Sep 30, 2024

साल 2012 में अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी फिल्म गैंग ऑफ वासेपुर, बदला लेने की इस कहानी में अपने घरवालों की मौत का बदला लेने की बात करते हुए नवाजुद्दीन सिद्दकी अपनी मां से कहता है- बाप का, दादा का, भाई का, सबका बदला लेगा रे तेरा फैजल। फिल्म को रिलीज हुए 12 साल हो गए हैं पर फिर भी इसके डायलॉग के मुकाबले हर किसी की जुबान पर रहते हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश, वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जो नहीं कर सके क्‍या पीएम नेतन्‍याहू उसे पूर करके दिखाएंगे? क्या हमास को हूती को हिज्बुल्लाह को, ईरान को सबको खत्म करने के लिए इजरायल कमर कस चुका है? आतंक के ट्रिपल एच यानी हिजबुल्ला, हमास और हूती पर इस समय इजरायल कहर बनकर टूट पड़ा है। निशाने पर वो आतंकवादी संगठन हैं जो इस समय इजरायल पर हमले कर रहे हैं। इजरायल चौतरफा जंग का आगाज कर चुका है और हमास व हिजबुल्ला के चीफ को मार गिराने के बाद अब बारी हूती विद्रोहियों की है। हमास चीफ इस्माइल हानिया, हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह के बाद अब बारी हूती चीफ की लग रही है। यमन में इजरायल ने जोरदार हमले शुरू कर दिए हैं। लेबनान में आफत मचाने के बाद अब इजरायल का अगला टारगेट यमन लग रहा है। यमन में लगातार जोरदार हमले हो रहे हैं। 29 सितंबर से लगातार हो रहे हमले को देखकर साफ लग रहा है कि अब इजरायल के निशाने पर हूती चीफ है। 

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हिज्बुल्लाह के बाद हूती विद्रोहियों का नंबर?

हूती वही है जिसने अरब सागर में लगातार इजरायल की जहाजों को रोका है। वो जहाज जो एक जगह से दूसरे जगह व्यापार के लिहाज से ले जाए जा रहे थे। उन्हें बार बार हूती विद्रोहियों द्वारा रोका गया। इन्हें रोकने के लिए अमेरिका और ब्रिटेन की सेना ने भी मोर्चा संभाला। हूती के आतंक को रोकने के लिए इजरायल ने खुद हमले तेज कर दिए हैं। यमन में घुसकर जोरदार एयरस्ट्राइक इजरायल की तरफ से की गई है। जानकारी के मुताबिक इजरायल अकेला ईरान, हिजबुल्लाह, हमास और यमन के हूती विद्रोहियों से इजरायल अकेला मोर्चा संभाले हुए है। हिजबुल्लाह पर एक्शन के बाद इजरायल ने हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर जोरदार हमला किया है। बताया जा रहा है कि आईडीएफ ने बिजली संयंत्रों और एक बंदरगाह पर हमला किया, जिसका इस्तेमाल तेल आयात करने के लिए किया जाता है। 

कौन है हूती

"अल्लाह सबसे महान है, अमेरिका के लिए मौत, इज़राइल के लिए मौत, यहूदियों को शाप, इस्लाम की जीत" 

ये हूती आंदोलन का नारा है। एक छोटी विद्रोही सेना जो अब यमन के 70 प्रतिशत हिस्से पर शासन करती है। सऊदी अरब व इजरायल के खिलाफ बेहतर युद्ध लड़ रहे हैं। कोई बगावत करता है और समूह में करता है तो विद्रोही गुट के नाम से पहचाना जाता है। मिडिल ईस्ट में यमन नाम का देश है, जिसके उत्तर में सऊदी अरब है और पूर्व में ओमान की सीमा है। बाकी दिशाओं में फैला है विशाल समुद्र। यमन के उत्तर पश्चिम में सैना नामक शहर है। 1990 के दशक में यहां पर द बिलिविंग यूथ नाम से एक छात्र आंदोलन शुरू हुआ। इसके फाउंडर का नाम बेद्दीन हुसैन अल हूती था। इस संगठन का मतलब जैदी इस्लाम का पुनर्जागरण था। दरअसल, ज़ैदी या ज़ैदिय्या शिया इस्लाम के एक संप्रदाय को कहते हैं जो मुख्यतः अधिकांश यमन मे एवं ईराक, ईरान, भारत, पाकिस्तान में थोडा जनसंख्या में मौजूद है। 1978 में उत्तरी यमन में एक आर्मी के अफसर अली अब्दुल्ला सालेह को राष्ट्रपति बनाया गया। उनके दौर में उत्तरी और दक्षिणी यमन के बीच फिर से लड़ाई हुई। जिसमें हजारों लोग मारे गए। बेद्दीन हुसैन अल हूती ने बिलिविंग यूथ नाम से एक स्टूडेंट मूवमेंट चलाया। अगर हूती नाम के बात करें तो ये इस अभियान के संस्थापक हुसैल अल हूती के नाम से है। इन एजेंडा भी इस्लाम को बढ़ावा देना और यहूदियों को खत्म करना है।

हिज्बुल्लाह क्या है

हिज्बुल्लाह एक शिया इस्लामी संगठन है, जिसे 1980 के दशक में लेबनान में शुरू किया गया था। यह संगठन मुख्य रूप से इस्राइल के खिलाफ संघर्ष के लिए बना था। धीरे-धीरे यह एक सशक्त राजनीतिक और सैन्य संगठन बन गया। इस संगठन को ईरान का समर्थन है। हालांकि इस्राइल समेत कई देश इसे एक आतंकी संगठन के तौर पर देखते हैं।

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नसरल्लाह कौन?

हिज्बुल्लाह का चीफ हसन नसरल्लाह था। हसन न सिर्फ हिज्बुल्लाह का प्रमुख नेता था, बल्कि मिडिल ईस्ट के सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक था। उसने हिज्बुल्लाह को एक शक्तिशाली सैन्य संगठन के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। वह ईरान का निकट सहयोगी माना जाता था और हिज्बुल्लाह के समर्थकों के बीच उसका काफी सम्मान था। हसन नसरल्लाह का जन्म 1960 में बेरूत में हुआ था। पिता अब्दुल करीम सब्जी की छोटी दुकान चलाते थे। नसरैल्लाह 1970 के दशक में शिया मिलिशिया संगठन अमल में शामिल हो गया और इस तरह राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1982 में वह हिज्बुल्लाह का हिस्सा बना। 1992 में जब अब्बास अल-मुसावी मारा गया तो नसरल्लाह 32 की उम्र में हिज्बुल्लाह का नेता बन गया। नसरल्लाह की सोच शिया इस्लाम और इस्राइल के खिलाफ संघर्ष पर आधारित है। उसने 1985 में 'ओपन लेटर' में अमेरिका और सोवियत संघ को इस्लाम का शत्रु बताया था, और इस्राइल को 'मुस्लिम भूमि पर कब्जा करने वाला' कहा था। वह इस्राइल का विनाश चाहता था। नसरल्लाह ने हिज्बुल्लाह को सैन्य और राजनीतिक ताकत में बदलने में बेहद अहम भूमिका निभाई। उसके नेतृत्व में हिज्बुल्लाह ने 2000 में इस्राइल को दक्षिणी लेबनान से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। 2006 के इस्राइल-हिज्बुल्लाह वॉर में भी उसकी निर्णायक भूमिका दिखी थी, जिसमें उसने इस्राइल के खिलाफ बड़ी सैन्य कार्रवाइयां की। नसरल्लाह ने हिज्बुल्लाह को ईरान से हथियार और मिसाइलें दिलाने में भी भी मदद की।

इजरायल ने कैसे मार गिराया?

हसन नसरल्लाह हिज्बुल्लाह की ताकत था। इस बात को हिज्बुल्लाह और इस्राइल दोनों अच्छी तरह जानते थे। इसलिए, जहां एक तरफ हिज्बुल्लाह अपने नेता को बचाने के लिए तमाम कोशिशें करता रहा, वहीं इस्राइल उसे मारने के लिए तरह-तरह की रणनीति बनाता रहा। न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, नसरल्लाह को इस्राइल से खतरे को देखते हुए वह कई सालों से किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नजर नहीं आया था। वह अनाम जगह से अपने विडियो जारी करता था।  बावजूद, इसके इस्राइल ने को बेरूत में F35 विमानों से टन के 85 बम गिराए। इस नसरल्लाह समेत हिज्बुल्लाह के अन्य लीडर बेरूत के दहियेह स्थित अपने हेड क्वॉर्टर में मीटिंग कर रहे थे, जिसकी रीयल टाइम जानकारी इस्राइल को थी। इजरायल की एयर फोर्स के कहा कि पायलटों को उड़ान कुछ समय पहले ही लक्ष्य जानकारी दी गई थी और वे समझ क्या करने जा रहे हैं। रीयल इंटलेजिंस से यह संभव हुआ।

इजरायल ने साफ किए इरादें

कुछ समय पहले तक 12 देशों की ओर से प्रस्तावित युद्धविराम को लेकर जो भी बची-खुची उम्मीद थी, वह अब समात हो गई है। ताजा कामयाबी ने इस्राइल का उत्साह और बढ़ा दिया है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या हिज्बुल्ला की मिसाइलों का खतरा समाप्त करने के बाद इस्राइल अपने सैनिकों को लेबनान में घुसने का आदेश देता है। अगर ऐसा हुआ तो यह एक और लंबी लड़ाई की शुरुआत साबित हो सकती है। 

ईरान पर निगाहें 

निगाहें ईरान पर भी टिकी हैं। वह पहले से नाराज है। तेहरान के एक गेस्टहाउस में हमास नेता इस्माइल हानिये की मौत का बदला भी उसे लेना है। नसरल्लाह की मौत उसके लिए भी झटका है। देखना होगा कि उसकी प्रतिक्रिया कितनी और कैसी होती है। 


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