By अंकित सिंह | Dec 02, 2019
औरंगाबाद (महाराष्ट्र)। भाजपा नेता पंकजा मुंडे की ‘भावी यात्रा’ के संबंध में सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट के बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। महाराष्ट्र की राजनीतिक घटनाक्रम के बीच सोमवार को पंकजा ने ट्विटर पर अपने ‘बायो’ या निजी विवरण से अपनी पार्टी का नाम हटा दिया है।
ऐसा कहा जा रहा है कि पंकजा मुंडे शिवसेना में शामिल हो सकती हैं। हालांकि महाराष्ट्र भाजपा के प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने इन रिपोर्टों और अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। वहीं इन खबरों पर शिवसेना के विधायक अब्दुल सत्तार ने कहा कि अगर वह शिवसेना में शामिल होती हैं, तो हम खुशी से उनका स्वागत करेंगे। स्वर्गीय गोपीनाथ और बालासाहेब ने अतीत में सौहार्दपूर्ण संबंध साझा किए है। इससे पहले संजय राउत ने भी इसे लेकर बयान दिया था।
महाराष्ट्र में बदले राजनीतिक परिदृश्य की पृष्ठभूमि में पंकजा ने अपनी पंकजा ने 28 नवंबर को तीन ट्वीट पोस्ट किए थे जिनमें महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बधाई दी थी लेकिन शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की गठबंधन सरकार के बारे में कुछ नहीं लिखा था। सोमवार को पंकजा ने अपने ‘ट्विटर बायो से’ सारी जानकारी हटा दी। इसमें भाजपा नेता ने अपनी पार्टी का नाम और अपने राजनीतिक सफर का विवरण भी हटा दिया। राज्य विधानसभा चुनाव में वह बीड जिले की परली सीट से अपने चचेरे भाई एवं प्रतिद्वंद्वी राकांपा के धनंजय मुंडे से हार गई। पंकजा की बहन प्रीतम मुंडे बीड़ से भाजपा की सांसद हैं। देवेंद्र फडणवीस सरकार में पंकजा मंत्री थीं। ठाकरे नीत सरकार के गठन से पहले तक वह राज्य भाजपा इकाई की कोर समिति की सभी बैठकों में मौजूद रहीं। रविवार को फेसबुक की अपनी पोस्ट में पंकजा ने अपने समर्थकों को अपने दिवंगत पिता एवं भाजपा के पूर्व नेता गोपीनाथ मुंडे की जयंती के मौके पर 12 दिसंबर को गोपीनाथगढ़ आने का न्योता दिया था।
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गोपीनाथगढ़ बीड जिले में गोपीनाथ मुंडे का स्मारक है। पंकजा ने मराठी में लिखी फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘राज्य में बदले राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह सोचने और निर्णय लेने की आवश्यकता है कि आगे क्या किया जाए। मुझे स्वयं से बात करने के लिए आठ से 10 दिन की आवश्यकता है। मौजूदा राजनीतिक बदलावों की पृष्ठभूमि में भावी यात्रा पर फैसला किए जाने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब क्या करना है? कौन सा मार्ग चुनना है? हम लोगों को क्या दे सकते हैं? हमारी ताकत क्या है? लोगों की अपेक्षाएं क्या हैं? मैं इन सभी पहलुओं पर विचार करूंगी और आपके सामने 12 दिसंबर को आऊंगी।’’ पंकजा ने लिखा कि उन्होंने चुनाव में मिली हार स्वीकार कर ली है और वह हार-जीत में उलझने की जगह आगे बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पार्टी (भाजपा) की बैठकों में शामिल हुई थी।’’