By अंकित सिंह | Oct 01, 2024
बिहार में सियासत जबरदस्त तरीके से जारी है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपने-अपने दांव साधने की तैयारी में है। वहीं, दूसरी ओर खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान अलग ही मोड में नजर आ रहे हैं। केंद्र में मंत्री बनने के बाद लगातार अपनी ही सरकार के कई फैसलों पर सवाल खड़े करने वाले चिराग पासवान ने अब मंत्री पद छोड़ने की भी बात कह दी है। यहां स्पष्ट कर दें कि वह मंत्री पद से इस्तीफा देने नहीं जा रहे हैं।
चिराग पासवान ने एसके मेमोरियल हॉल में पार्टी के एससी-एसटी प्रकोष्ठ की बैठक में अपने संबोधन के दौरान कहा कि मैं चाहूं किसी भी गठबंधन में रहूं, जिस दिन मुझे लगेगा कि संविधान और आरक्षण से खिलवाड़ हो रहा है, मैं उसी वक्त मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा। इसके आगे उन्होंने कहा कि जैसा मेरे पिता ने 1 मिनट में मंत्री पद त्याग दिया था, उसी तरह मैं भी मंत्री पद त्याग दूंगा। हालांकि, चिराग पासवान के इस बयान को लेकर चर्चा तेज हो गई है। दावा किया जा रहा है कि चिराग पासवान एनडीए से नाराज चल रहे हैं।
हालांकि, चिराग पासवान इससे साफ तौर पर इंकार कर रहे हैं। दूसरी ओर राजनीतिक विश्लेषक इसके अलग मायने निकाल रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि चिराग पासवान भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि झारखंड चुनाव में भी गठबंधन के तहत सीट उन्हें मिल सके। दूसरी ओर जिस तरीके से हाल के दिनों में उनके चाचा पशुपति पारस से भाजपा के नजदीकियां बढ़ी है, वह भी चिराग पासवान को परेशान कर रहा है। साथ ही साथ चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव तक अपनी ताकत बरकरार रखना चाहते हैं ताकि भाजपा से सीट समझौते के दौरान अच्छे से डील किया जा सके।
चिराग पासवान ने यह भी कहा कि जब तक नरेन्द्र मोदी मेरे प्रधानमंत्री हैं, तब तक हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में रहेंगे। उनकी टिप्पणी कि मैं अपने पिता की तरह मंत्री पद छोड़ने में संकोच नहीं करूंगा’ के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए चिराग ने दावा किया कि वह कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के बारे में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मेरे पिता भी संप्रग सरकार में मंत्री थे। और उस समय बहुत सी ऐसी चीजें हुईं जो दलितों के हितों में नहीं थी। यहां तक कि बाबा साहब आंबेडकर की तस्वीरें भी सार्वजनिक कार्यक्रमों में नहीं लगाई जाती थीं। इसलिए हमने अपने रास्ते अलग कर लिए।
चिराग पासवान के बारे में माना जाता है कि उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले अपने पिता को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राजग के साथ फिर से गठबंधन करने के लिए सहमत कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए पासवान ने कहा कि मौजूदा सरकार दलितों के बारे में उनकी चिंताओं के प्रति संवेदनशील रही है और उन्होंने अपनी बात को पुष्ट करने के लिए नौकरशाही में ‘क्रीमी लेयर’ और ‘लेटरल एंट्री’ (सीधी भर्ती) पर केंद्र के रुख का उदाहरण दिया। हालांकि, राजग और ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सूत्रों का मानना है कि पासवान के भाषण में बाद में दिए गए उनके स्पष्टीकरण से कहीं अधिक बयानबाजी थी।