भोजपुरी-मगही पर हेमंत सोरेन का बयान क्या किसी राजनीति का हिस्सा है या बस एक भूल

By अंकित सिंह | Sep 20, 2021

हाल में ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक ऐसा बयान दिया था जिसके बाद विवाद बढ़ गया है। दरअसल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिहार के भाषा के प्रति तल्ख टिप्पणी की थी। इसके बाद से यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बिहार से इतने खफा क्यों है? क्या भूल बस हेमंत सोरेन ने इस तरह का बयान दिया है या फिर यह किसी राजनीति का हिस्सा है? हालांकि, जिस तरह से भाजपा उन पर हमलावर है उसके बाद तो ऐसा लग रहा है कि कहीं न कहीं इस मामले को लेकर राजनीति जबरदस्त होने वाली है। हालांकि, ना तो इस पर हेमंत सोरेन और ना ही उनकी पार्टी की ओर से कुछ सफाई दी गई। इसका मतलब साफ है कि कहीं न कहीं हेमंत सोरेन ने अपने इस बयान को सोच समझ कर दिया है।

 

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क्या था हेमंत सोरेन का बयान

दरअसल, हेमंत सोरेन ने पिछले दिनों यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया कि भोजपुरी और मगही बिहार की भाषा है, झारखंड से इसका कुछ लेना देना नहीं है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि झारखंड का बिहारीकरण हो रहा है। इसके बाद जो हेमंत सोरेन ने कहा उस पर और विवाद बढ़ गया। हेमंत सोरेन ने कहा कि महिलाओं की इज्जत पर हमला भोजपुरी भाषा में गाली देकर की जाती है। उन्होंने इसे झारखंड के अस्मिता से जोड़ा और कहा कि यहा के आंदोलन में बिहार के किसी भाषा का योगदान नहीं रहा है। हम सब ने अपनी लड़ाई आदिवासी और क्षेत्रीय भाषाओं के दम पर लड़ी थी। 


नीतीश का पलटवार

हेमंत सोरेन ने यह भी कहा कि जो लोग मगही या फिर भोजपुरी बोलते हैं वह डोमिनेटिंग पर्सन होते हैं। हेमंत सोरेन ने यहां तक कह दिया कि जो लोग भी भोजपुरी बोल रहे हैं उनकी नजर झारखंड की संपदा पर है। जाहिर सी बात है इस तरह के बयान के बाद राजनीति तो होगी ही। आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हेमंत सोरेन पर पलटवार किया। नीतीश कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इन बातों पर कभी विचार नहीं करना चाहिए। बिहार और झारखंड एक ही परिवार के भाई हैं। बिहार और झारखंड को एक दूसरे के बारे में टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है। उन्हें सिर्फ एक-दूसरे से प्यार है। 

 

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यह है असली कारण

हालांकि हेमंत सोरेन का बयान यूं ही नहीं है। उन्हें अपने बयान पर कोई पछतावा नहीं है जिसका मतलब साफ है कि वह क्षेत्रवाद की राजनीति को मजबूत करना चाह रहे हैं। वह अपने वोट बैंक को एक संदेश देना चाह रहे हैं जिसके दम पर उन्होंने दोबारा  सत्ता पाई है। माना जा रहा है कि झारखंड में ट्राईबल्स के बीच हेमंत सोरेन ने अपनी अलग जगह बनाई है और वहां वह अपनी पकड़ को मजबूत करने की लगातार कोशिश में है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को  हुए नुकसान का सबसे बड़ा कारण ट्राईबल्स के अंदर का गुस्सा ही था। हेमंत सोरेन ने इन लोगों को साधने के लिए अपनी चुनावी वायदों की लिस्ट काफी लंबी रखी थी। उन्होंने जमीन की नीति में भी बदलाव के संकेत दिए जिसका उन्हें सियासी लाभ जरूर मिला। अब स्थानीय भाषा को बढ़ावा देना उसी राजनीति का हिस्सा है। 

 

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