बीमा नियामक इरडा ने शुक्रवार को कई सुधारों को मंजूरी दी। इसमें बीमा कारोबार के लिए प्रवेश नियमों को आसान बनाना और ‘सॉल्वेंसी मार्जिन’ में कमी शामिल है। ‘सॉल्वेंसी मार्जिन’ निर्धारित देनदारियों को हटाने के बाद बीमाकर्ता की अतिरिक्त संपत्ति को बताता है। ताजा फैसले का मकसद देश में बीमा के प्रसार को बढ़ाना और 2047 तक सभी के लिए बीमा के लक्ष्य को हासिल करना है। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने अपनी बोर्ड बैठक में निजी इक्विटी (पीई) फंड को बीमा कंपनियों में सीधे निवेश करने की अनुमति दी।
इसके अलावा नियामक ने अनुषंगी कंपनियों को बीमा कंपनियों का प्रवर्तक बनाने की अनुमति भी दी है। इरडा ने एक बयान में कहा कि कोई इकाई जो चुकता पूंजी का 25 प्रतिशत तक और सामूहिक रूप से सभी निवेशकों का 50 प्रतिशत तक निवेश करती है, उसे बीमा कंपनियों में निवेशक माना जाएगा। इससे अधिक निवेश करने वाले को ही प्रवर्तक माना जाएगा। पहले यह सीमा व्यक्तिगत निवेशकों के लिए 10 प्रतिशत और सामूहिक रूप से सभी निवेशकों के लिए 25 प्रतिशत थी। इरडा ने कहा कि प्रवर्तकों को अपनी हिस्सेदारी 26 प्रतिशत तक कम करने की अनुमति देने के लिए एक नया प्रावधान लाया गया है, बशर्ते बीमाकर्ता के पास पिछले पांच वर्षों के लिए संतोषजनक ‘सॉल्वेंसी रिकॉर्ड’ हो और वह एक सूचीबद्ध इकाई हो।