अमेरिका के साथ किसी भी द्विपक्षीय वार्ता से ईरान का इनकार

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 03, 2019

तेहरान। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिका के साथ किसी भी तरह की द्विपक्षीय वार्ता करने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि ईरान सिद्धांतत: इस तरह की वार्ता का विरोध करता है। ईरान का कहना है कि वह परमाणु समझौते को लेकर अपनी प्रतिबद्धताओं में आने वाले दिनों में कटौती करेगा। रूहानी ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका के साथ किसी भी तरह की बातचीत 2015 में महाशक्ति देशों के एक समूह के साथ हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते की रूपरेखा के अनुसार होगी। उन्होंने कहा कि अगर यूरोपीय देशों के साथ मौजूदा वार्ता में बृहस्पतिवार तक कोई परिणाम नहीं आता है तो ईरान ‘आने वाले दिनों’ में 2015 के ऐतिहासिक परमाणु समझौते को लेकर प्रतिबद्धताओं में और कमी लाने के लिए तैयार है।

इसे भी पढ़ें: मैंने कभी अमेठी के लोगों को अपना वोट बैंक नहीं समझा, इसलिए अमेठी से जीती: स्मृति ईरानी

पिछले साल मई में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को 2015 के परमाणु समझौते से एकतरफा अलग कर लिया था और ईरान पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया था। तब से इन दोनों देशों के बीच लगातार तनाव की स्थिति बनी हुई है। फ्रांस इस स्थिति को शांत कराने के प्रयास का नेतृत्व कर रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने अगस्त में जी7 वार्ता के दौरान उम्मीद जताई थी कि रूहानी और ट्रंप के बीच बैठक आयोजित हो सकती है। रूहानी ने कहा, ‘‘ हो सकता है कि इसको लेकर गलतफहमी हो। हम कई बार कह चुके हैं और इस बार भी दोहराते हैं कि अमेरिका के साथ द्विपक्षीय बातचीत को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।’’

इसे भी पढ़ें: तनाव के बीच अमेरिका ने ईरान के टैंकर को BLACK LIST में डाला

एक सरकारी वेबसाइट ने उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया, ‘‘ सिद्धांतत: हम अमेरिका के साथ द्विपक्षीय बातचीत नहीं चाहते हैं।’’

उन्होंने 2015 के परमाणु समझौते में शामिल शक्तियों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘अगर अमेरिका सभी प्रतिबंधों को हटाता है तो पूर्व की तरह ही उसके साथ 5+1 बैठक आयोजित हो सकती है।’’ रूहानी ने कहा, ‘‘अगर बृहस्पतिवार तक इन वार्ताओं से कोई परिणाम नहीं निकलता है तो हम अपनी प्रतिबद्धताओं में कमी लाने के तीसरे कदम की घोषणा करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि यूरोपीय देश वार्ता के दौरान लिए गए संकल्पों को पूरा करने में विफल रहे।

 

रूहानी ने कहा, ‘‘ हम सिर्फ दूसरे देशों से सिर्फ यही चाहते हैं कि वह हमारा तेल खरीदना जारी रखें। हम तीसरे कदम के बाद भी वार्ता जारी रख सकते हैं।’’ ईरान और तथाकथित 5+1 यानी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका तथा जर्मनी के बीच 2015 के परमाणु समझौते पर सहमति बनी थी।

प्रमुख खबरें

मुख्यमंत्री योगी ने शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि दी

भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में किसी भी घटना के प्रभाव से निपटने के लिए अच्छी स्थिति में: दास

कांगो में चरमपंथी विद्रोहियों के हमले में 13 लोगों की मौत

PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती की मांग, अनुच्छेद 370 पर अपना स्टैंड किल्यर करे NC और कांग्रेस