मुसलमान के होटल में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड की साफ-सफाई, योगी सरकार का फैसला पलटने वाले जज ने सुनाई दो दुकानों की कहानी

By अभिनय आकाश | Jul 23, 2024

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आदेश दिया था कि कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाले सभी होटल, ढाबे और ठेले वाले अपनी दुकानों पर मोटे अक्षरों में अपना नाम और मोबाइल नंबर लिखेंगे। योगी ने ये आदेश कांवरियों की आस्था को लेकर दिया था। लेकिन विपक्ष की तरफ से इसे हिंदू मुस्लिम मुद्दा बना दिया गया। पूरे मामले पर बयानबाजी के साथ ही जमकर राजनीति भी हुई। मामला देश की सर्वोच्च अदालत तक भी पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर याचिका दायर की गई। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस हुई, जिसके बाद देश की शीर्ष अदालत ने नेमप्लेट नियम पर अंतरिम रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान बताने की जरूरत नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपना नाम बताने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि दुकानदारों सिर्फ खाने का प्रकार बताने की जरूरत है। यानी शाकाहारी है या मांसाहारी वो बताने की जरूरत होगी।  मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई को होगी। यानी फिलहाल असली पहचान और नाम छुपाकर दुकान और ठेला चलाया जा सकता है। 

जस्टिस भट्टी ने केरल की 2 दुकानों की कहानी सुनाई

वहीं आपको बता दें कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसवी भट्टी ने रेस्तरां में साफ-सफाई की वकालत करते हुए कहा कि केरल में अपनी पोस्टिंग के दौरान वह अक्सर एक मुस्लिम द्वारा चलाए जा रहे शाकाहारी रेस्तरां में जाते थे क्योंकि वहां अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया जाता था। न्यायमूर्ति भट्टी ने यह अनुभव तब साझा किया जब उन्होंने न्यायमूर्ति ऋषिकेष रॉय के साथ सोमवार को कांवर यात्रा मार्ग पर स्थित रेस्तरां के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के संबंध में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी।

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जस्टिस भट्टी मुस्लिम रेस्तरां में क्यों गए?

न्यायमूर्ति भट्टी ने कहा कि 'जब मैं केरल में था तो मेरा अपना अनुभव और ज्ञान है। मैं खुलकर नहीं बता सकता क्योंकि मैं इस कोर्ट का सिटिंग जज हूं। शहर का नाम बताए बिना, वहां एक हिंदू द्वारा चलाया जाने वाला शाकाहारी होटल था। वहाँ एक और शाकाहारी होटल था जिसे एक मुस्लिम चलाता था। उन्होंने कहा कि उस राज्य का जज रहते हुए मैं शाकाहारी भोजन के लिए उस मुस्लिम व्यक्ति द्वारा संचालित होटल में जाता था. जहां तक ​​खाद्य मानकों और सुरक्षा का सवाल है, वह सब कुछ करके दिखाते थे। वह दुबई से लौटा था। वह सुरक्षा, स्वच्छता और साफ-सफाई के संबंध में अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन कर रहा था, इसलिए मैंने उस होटल में जाना पसंद किया।

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