अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक दिवसः सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता है ओलम्पिक

By योगेश कुमार गोयल | Jun 23, 2020

ओलम्पिक खेल दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित खेल स्पर्धा है, जिसमें विश्वभर से अनेक देशों के खिलाड़ी विभिन्न खेलों में हिस्सा लेते हैं। ओलम्पिक खेलों में पदक जीतना किसी भी देश के लिए बहुत गौरवशाली क्षण होता है। वास्तव में ओलम्पिक खेल दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता है, जिसमें दो सौ से ज्यादा देश हिस्सा लेते हैं। प्रतिवर्ष 23 जून को अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक दिवस का आयोजन किया जाता है। दरअसल इसी दिन अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) की स्थापना हुई थी। इसकी स्थापना का श्रेय जाता है फ्रांस के पियरे द कुबर्तिन को, जिनके अथक प्रयासों से ही 23 जून 1894 को आईओसी की स्थापना के बाद 1896 से आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन शुरू हुआ। तभी से ओलम्पिक खेल हर चार वर्ष के अंतराल पर आयोजित किए जा रहे हैं। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण कुल तीन बार ओलम्पिक खेलों का आयोजन रद्द किया गया था और इस वर्ष भी कोरोना महामारी के कारण ओलम्पिक खेल रद्द करने पड़े हैं, जो अब अगले वर्ष होने की संभावना है।

 

इसे भी पढ़ें: फादर्स डेः पिता हैं रिश्तों की जीवंत संस्कृति के शिखर

ओलम्पिक खेलों के संबंध में सबसे रोचक तथ्य यह है कि भले ही ये खेल दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं लेकिन इनके आयोजन को लेकर विरोध प्रदर्शन भी होते रहे हैं। 2008 में बीजिंग में हुए 29वें ओलम्पिक खेलों के अवसर पर तो पहली बार ऐसा देखा गया था, जब मशाल प्रज्वलन के दौरान ही किसी प्रकार का राजनीतिक अथवा कूटनीतिक विरोध प्रदर्शन हुआ हो। हालांकि उससे पूर्व भी समय-समय पर ओलम्पिक खेलों के दौरान विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं मगर मशाल प्रज्वलन के दौरान राजनीतिक अथवा कूटनीतिक प्रदर्शनों का संभवतः वह पहला अवसर था। इन खेलों के विरोध का सिलसिला वास्तव में सन् 1936 से शुरू हुआ था, जब जर्मनी में तानाशाह हिटलर द्वारा अपने शासनकाल में अपना विरोध करने वाले लाखों यहूदियों का कत्लेआम किए जाने के विरोध स्वरूप बर्लिन में आयोजित ओलम्पिक खेलों का दर्जनों यहूदी खिलाडि़यों ने बहिष्कार किया था। उसके बाद ब्रिटेन से स्वतंत्रता की मांग को लेकर आयरलैंड ने 1948 में लंदन में आयोजित ओलम्पिक खेलों का बहिष्कार किया। इसी ओलम्पिक में उद्घाटन समारोह के दौरान अमेरिकी टीम ने किंग एडवर्ड सप्तम को अपना ध्वज देने से इन्कार कर दिया था। 1952 के अगले हेलसिंकी आलेम्पिक में सोवियत खिलाडि़यों ने खेल स्पर्द्धाओं में तो हिस्सा लिया था पर उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया था। हंगरी में सोवियत संघ के दमन के विरोध में हॉलैंड, स्पेन, स्विट्जरलैंड इत्यादि कुछ यूरोपीय देशों ने उस ओलम्पिक का बहिष्कार किया था।


स्वेज नहर विवाद के चलते मिस्र, इराक, लेबनान इत्यादि मध्य-पूर्व के कुछ देशों ने 1956 में आयोजित मेलबर्न ओलम्पिक का बहिष्कार किया था। 1964 के टोक्यो ओलम्पिक में जहां दक्षिण अफ्रीका को उसकी नस्लभेदी नीतियों के कारण ओलम्पिक खेलों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई, वहीं कुछ विवादों के चलते इण्डोनेशिया तथा उत्तर कोरिया ने इस ओलम्पिक का बहिष्कार किया था। 1968 के मैक्सिको ओलम्पिक पर खून के छींटे भी पड़े, जब इन खेलों से चंद दिनों पहले ओलम्पिक खेलों का विरोध कर रहे छात्रों पर मैक्सिको की सेना ने बर्बरतापूर्वक गोलियां चलाकर सैंकड़ों छात्रों को भून डाला था। 1972 का म्यूनिख ओलम्पिक भी खून से सना रहा, जब फिलिस्तीन समर्थक ‘ब्लैक सैपटेंबर’ के कार्यकर्ताओं ने अचानक खेलगांव पर धावा बोलकर करीब दर्जन भर इजरायली खिलाडि़यों की हत्या कर दी थी।

 

इसे भी पढ़ें: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवसः योग अपनाएं, रोग भगाएं

ओलम्पिक खेलों के बहिष्कार की सबसे बड़ी घटना घटी थी 1980 के मॉस्को ओलम्पिक में, जब अफगानिस्तान में सोवियत आक्रमण के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व में दो-चार नहीं बल्कि पूरे 62 देशों ने मास्को ओलम्पिक का बहिष्कार किया था और 1984 में रूस तथा पूर्वी ब्लॉक ने लॉस एंजिल्स में आयोजित अगले ओलम्पिक का बहिष्कार कर अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब देने का प्रयास किया था। 2008 में बीजिंग में हुए ओलम्पिक खेलों के लिए ओलम्पिया में ओलम्पिक मशाल के प्रज्वलन के दौरान ही जबरदस्त विरोध प्रदर्शन देखे गए और उसके बाद मशाल जिन-जिन देशों से गुजरती गई, तिब्बत में चीनी दमन चक्र के खिलाफ हर जगह ऐसे विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला चलता रहा।


योगेश कुमार गोयल

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा चर्चित पुस्तक ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’ के लेखक हैं)

प्रमुख खबरें

PM Narendra Modi कुवैती नेतृत्व के साथ वार्ता की, कई क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा हुई

Shubhra Ranjan IAS Study पर CCPA ने लगाया 2 लाख का जुर्माना, भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने है आरोप

मुंबई कॉन्सर्ट में विक्की कौशल Karan Aujla की तारीफों के पुल बांध दिए, भावुक हुए औजला

गाजा में इजरायली हमलों में 20 लोगों की मौत