देश भर में गणेश उत्सव की धूम थी। गणेश पांडाल के साथ ही प्रतिष्ठित भगवान गणेश की प्रतिमा के दर्शन करने हेतु आसपास के मंदिरो में बप्पा के भक्तों का सुबह-शाम ताता लगा रहता थ। सभी मंदिरो में सूंड वाले गणेशजी की प्रतिमा स्थापित है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहें है जहां पर बिना सूंड के गणपति बप्पा की प्रतिमा बाल रूप में स्थापित है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां मंदिर में विराजित पाषाण के दो मूषक है। जिनके कानों में मनोकामना कहने पर वे गणपति बप्पा तक पहुंचाते हैं और गणपति बप्पा मुराद पूरी कर देते हैं। राजस्थान के जयपुर की नाहरगढ़ पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है। जहां पर बिना सूंड वाले गणेश जी बालरूप में विराजमान है। इस मंदिर की स्थापना के पीछे कई रहस्य भी छुपे हुए हैं।
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महाराजा सवाई जयसिंह ने की थी स्थापना-
बताया जाता है कि यह मंदिर रियासकालीन होकर लगभग 209 वर्ष पुराना है। जिसकी स्थापना यहां के महाराजा सवाई जयसिंह ने की थी। महाराज जयसिंह को गणेशजी ने स्वप्न दिया था। जिसके बाद उन्होंने यहां पर भगवान गणेश की बाल्य रूप में प्रतिमा विराजामन की थी। नाहरगढ़ की पहाड़ी पर महाराजा जयसिंह ने अश्वमेघ यज्ञ करवा कर गणेशजी के बाल्य स्वरूप वाली प्रतिमा स्थापित करवाई थी। इस मंदिर में गणेशजी दो भागो में विराजित है पहला भाग आंकड़े की जड़ का तथा दूसरा अश्वमेघ यज्ञ की भस्म से बना हुआ है। महाराजा जयसिंह ने प्रतिमा की स्थापना इस तरह करवाई थी कि वे अपने महल से दूरबीन के माध्यम से प्रतिमा का ही सुबह दर्शन किया करते थे। आज भी दूरबीन के माध्यम से प्रतिमा के दर्शन किए जा सकते है।
मूषक पहुंचाते है गणेशजी तक मनोकामना-
पहाड़ी पर बने बिना सूंड वाले भगवान गणेश के इस मंदिर में पाषाण के दो मूषक स्थापित है। जो भक्त की मुराद भगवान तक पहुंचाते है। कहा जाता है कि इन मूषक के कान में अपनी इच्छाएं बताने से यह मूषक उन इच्छाओं को बाल रूप में विराजीत भगवान गणेश को पहुंचाते है। जिसके बाद भक्तों द्वारा मांगी जाने वाली हर मुराद जल्द से जल्द पूरी हो जाती है।
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भारत का एकमात्र मंदिर, फोटोग्राफी पर है रोक-
पूरे भारत देश में बिना सूंड वाले गणेशजी का यह मंदिर संभवतः एक मात्र मंदिर है। हर मंदिर में भगवान गणेश की सूंड होती है लेकिन इस मंदिर में भगवान गणेश की सूंड नही है। जिसे देख यहां आने वाला भक्त चकित हो जाता है। देश के अलावा अन्य देश से भी यहां दर्शन करने लोग पहुंचते है। गढ़ शैली में मंदिर बने होने के कारण इसका नाम गढ़ गणेश मंदिर है। मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों से उनके कैमरे बाहर ही रखवा लिए जाते है। क्योंकि इस मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा का फोटो लेना सख्त मना है। इतना ही नही मंदिर परिसर में किसी भी तरह का फोटो नहीं खींचने दिया जाता है।
- कमल सिंघी