By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 26, 2020
भोपाल। कोविड—19 महामारी के मरीजों का मध्य प्रदेश के इंदौर में इलाज कर रहे चिकित्सकों ने संभावना जताई है कि देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में कोविड—19 की ज्यादा घातक प्रजाति का प्रकार वहां तबाही मचा रही है। इन चिकित्सकों का कहना है कि इंदौर के कोविड—19 के मरीजों के नमूनों को जांच के लिए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) पुणे भेजा जाएगा, ताकि अपनी इन आशंकाओं की पुष्टि की जा सके कि इंदौर शहर की कोविड—19 की प्रजाति का प्रकार देश के अन्य भागों में चल रहे कोविड—19 से ज्यादा घातक है।
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इंदौर जिले में अब तक कोविड-19 से संक्रमित 57 लोगों की मौत हुई है। राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे भारत का एक अग्रणी अनुसंधान संस्थान है। महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज इंदौर की डीन ज्योति बिंदल ने पीटीआई— को बताया, हमने महसूस किया है कि इंदौर बेल्ट में कोविड—19 की जो प्रजाति का प्रकार है, वह ज्यादा घातक है। इसके बारे में हमने राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे के साथ चर्चा की है और उन्हें इंदौर के कोविड—19 के मरीजों के नमूने भेजने जा रहे हैं, ताकि वायरस के आनुवांशिक तत्व को निकालकर उसकी तुलना देश के अन्य कोरोना वायरस के मरीजों के नमूनों के साथ की जा सके।
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उन्होंने कहा, उच्च मृत्यु दर के लिए अन्य कारक जैसे मरीजों का देरी से अस्पतालों में आना भी शामिल है। वहीं, एक अन्य चिकित्सक ने कहा, इंदौर बेल्ट में मरीजों के जो नमूने लिए जा रहे हैं, उनमें केवल यह पता लगाया जा रहा है कि वह मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं। इसमें यह पता नहीं लगाया जा रहा है कि यह कोविड—19 की प्रजाति का प्रकार कौन सा है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित उत्कृष्टता संस्थान के पल्मोनरी मेडिसिन के डायरेक्टर जीतेन्द्र भार्गव ने भी डीन ज्योति बिंदल के विचारों से सहमति जताई और कहा कि इंदौर में कोविड—19 से हो रही उच्च मृत्यु दर का क्या कारण है, इसके लिए इस वायरस की आनुवांशिक जानकारियों का पता लगाने के साथ—साथ आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) के तत्व को निकालकर जांच की जाए। उन्होंने कहा कि यह सही है कि उन मरीजों में मृत्यु दर ज्यादा है जो मुधमेह, हृदय रोग, गुर्दे एवं उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर बीमारियों से पहले से ही पीड़ित हैं। इसके अलावा, जान गवांने में रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी भी बड़ा कारण है। भार्गव ने बताया, नोवेल कोरोना वायरस की कई प्रकार की प्रजातियां हैं, जो इस महामारी से निपटने में बड़ी चुनौती उत्पन्न कर रहे हैं। इस वजह से इसके लिए विश्व व्यापी टीका बनाने में और अधिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा।