By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 28, 2020
नयी दिल्ली। वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने मंगलवार को कहा है कि यदि कमजोर वृद्धि अथवा वित्तीय मानदंडों में ढील से भारत के वित्तीय परिदृश्य की स्थिति बिगड़ती है तो भारत की सावरिन रेटिंग दबाव में आ सकती है। फिच ने कहा है कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के साथ ही आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिये भारत सरकार वित्तीय क्षेत्र में नये प्रोत्साहन उपायों की घोषणा कर सकती है। ऐसी स्थिति में उसकी भारत की रेटिंग का आकलन संकट बाद के परिवेश और उस दौरान अपनाई जाने वाली संभावित मध्यमकालिक वित्तीय कार्ययोजना के आधार पर किया जायेगा। फिच ने एक वक्तव्य में कहा है, ‘‘भारत की वृद्धि दर कम रहने अथवा नये वित्तीय प्रोत्साहनों से यदि वित्तीय परिदृश्य में स्थिति बिगड़ती है तो सावरिन रेटिंग पर दबाव बढ़ सकता है। इस मामले में यह गौर करने वाली बात है कि जब इस संकट की शुरुआत हुई थी तब भी भारत के सामने वित्तीय क्षेत्र में सीमित गुंजाइश ही थी।’’
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रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि महामारी के नियंत्रण में आने के बाद सरकार अपनी राजकोषीय नीतियों को फिर से कड़ा कर सकती है लेकिन भारत का रिकार्ड इस मामले में बहुत अच्छा नहीं रहा है। राजकोषीय लक्ष्यों को हासिल करने और नियमों को कड़ाई से पालन के मामले में भारत का रिकार्ड हाल के वर्षों में मिला जुला रहा है। आने वाले समय में इस रिकार्ड का भी हमारे आकलन पर प्रभाव दिखाई देगा। फिच ने दिसंबर 2019 में भारत की रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी- (नकारात्मक) पर बनाये रखा था। रेटिंग एजेंसी ने भारत की चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को भी काफी घटाकर 0.8 प्रतिशत कर दिया है। कोरोना वायरस महामारी के नियंत्रण पर होने वाले खर्च और सरकारी स्तर पर इस पर काबू पाने के लिये किये जा रहे प्रयासों को देखते हुये आर्थिक वृद्धि के अनुमान में यह कमी की गई है। इससे पहले एजेंसी ने 2020- 21 के लिये 5.6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था।