By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 30, 2024
नयी दिल्ली । भारत का शुद्ध तेल आयात बिल चालू वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 101-104 अरब डॉलर हो सकता है। यह 2023-24 में 96.1 अरब डॉलर था। इक्रा ने मंगलवार को कहा कि ईरान-इजराइल संघर्ष में बढ़ोतरी से आयात के मूल्य पर दबाव बढ़ सकता है। घरेलू रेटिंग एजेंसी ने अपने विश्लेषण के आधार पर कहा कि रूसी तेल आयात के कम मूल्य से 2023-24 के 11 महीने (अप्रैल-फरवरी) में 7.9 अरब डॉलर की बचत होने का अनुमान है, जो 2022-23 में हुई 5.1 अरब डॉलर की बचत से अधिक है।
इक्रा ने कहा, ‘‘भारत की तेल आयात निर्भरता उच्च स्तर पर बने रहने का अनुमान है। अगर रूसी कच्चे तेल की खरीद पर छूट मौजूदा निम्न स्तर पर बनी रहती है, तो इक्रा को उम्मीद है कि भारत का शुद्ध तेल आयात बिल वित्त वर्ष 2023-24 में 96.1 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 101-104 अरब डॉलर हो जाएगा... यह मानते हुए कि वित्त वर्ष में कच्चे तेल की औसत कीमत 85 डॉलर प्रति बैरल होगी।’’ एजेंसी ने कहा कि इसके अतिरिक्त ईरान-इजराइल संघर्ष में किसी भी तरह की बढ़ोतरी और उस कारण कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से चालू वित्त वर्ष में शुद्ध तेल आयात के मूल्य पर दबाव बढ़ सकता है।
इक्रा की गणना के अनुसार, इस वित्त वर्ष में कच्चे तेल की औसत कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि से वर्ष के दौरान शुद्ध तेल आयात में 12-13 अरब डॉलर की वृद्धि होगी। इससे चालू खाता घाटा (सीएडी) सकल घरेलू उत्पाद के 0.3 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों के लिए 85 प्रतिशत से अधिक आयात पर निर्भर है। कच्चे तेल को रिफाइनरी में पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में तब्दील किया जाता है। यूक्रेन युद्ध के बाद से कुछ पश्चिमी देशों ने रूसी तेल से दूरी बना ली, जिसके कारण उसने छूट की पेशकश की। इसके परिणामस्वरूप भारतीय रिफाइनरियों ने छूट वाला तेल लेना शुरू कर दिया।
पश्चिम एशिया में हाल ही में हुए संघर्ष से कच्चे तेल के आयात मार्ग पर भी खतरा मंडरा रहा है। इस महीने की शुरुआत में ईरान ने सबसे पहले इज़राइल पर ड्रोन और रॉकेट से हमला किया था, जिसके जवाब में इजराइल ने मिसाइल दागी थी। भारत...सऊदी अरब, इराक और संयुक्त अरब अमीरात से तेल आयात करता है। साथ ही कतर से तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का आयात होर्मुज जलडमरूमध्य के जरिए करता है, जो ओमान और ईरान के बीच एक संकीर्ण समुद्री मार्ग है।